गोरखपुर: बीते 6 सितंबर को ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में एशिया के पहले गिद्ध संरक्षण केंद्र का उद्घाटन किया था. 2 करोड़ 80 लाख 54 हजार रुपये की लागत से कम्पियरगंज वन प्रभाग क्षेत्र में स्थापित इस जटायु संरक्षण केंद्र के जरिए गिद्धों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य है. लेकिन हैरत की बात यह है कि संरक्षण केंद्र के पास ही गिद्ध नहीं हैं. अब भारत सरकार और वाइल्ड लाइफ केंद्र से गिद्धों को पकड़ने की अनुमति लेकर गोरखपुर वन विभाग की टीम 28 सितंबर को चित्रकूट और छत्तीसगढ़ के जंगलों के लिए रवाना होने वाली है.
मौजूदा समय में 6 गिद्ध, एक नर-पांच मादा: गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने संबंध में बताया है कि उन्हें कुल 20 नर-मादा गिद्ध का यहां पालन और संरक्षण करते हुए प्रजनन को आगे बढ़ाना है. मौजूदा समय में इस केंद्र में 6 गिद्ध हैं, जिसमें नर एक और मादा की संख्या 5 है. 2 साल बाद यहां प्रजनन की स्थिति को आगे बढ़ाया जा सकेगा. इसलिए नर गिद्ध को यहां लाने पर ज्यादा जोर दिया गया है, जिससे यह केंद्र अपने स्थापना के मूल उद्देश्यों को प्राप्त कर सके
सीएम योगी ने किया था उद्घाटन: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 सितंबर 2024 को गोरखपुर वन प्रभात के भारी वैसी गांव में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र का उद्घाटन किया था. यह एशियाई किंग गिद्ध यानी लाल सिर वाले गिद्ध की प्रजाति के लिए दुनिया का पहला संरक्षण और प्रजनन केंद्र है. लक्ष्य के अनुसार अगले 10 वर्षों में यहां से 20 जोड़ा यानी 40 गृद्धों को तैयार कर उन्हें जंगल में छोड़ने की तैयारी वन विभाग को करनी है. मौजूदा समय में इस केंद्र के अंदर जो नर-मादा गिद्ध की जोड़ी है, उसकी उम्र करीब डेढ़ वर्ष है. अन्य की उम्र 3 से 4 वर्ष है. इसलिए अभी प्रजनन में समय लगने वाला है. ऐसे में संरक्षण केंद्र और प्रजनन केंद्र की उपयोगिता को सिद्ध करने के लिए वन विभाग को चित्रकूट और छत्तीसगढ़ के जंगलों में कॉम्बिन्ग करनी है. डीएफओ ने बताया कि इसके लिए उन्हें भारत सरकार और वाइल्डलाइफ सेंटर से परमिशन मिल चुकी है.
गिद्धों की 24 घंटे निगरानी: गिद्ध संरक्षण केंद्र में कुछ कल 12 बाड़े बने हैं. पांच बाड़े में गिद्धों को रखा गया है. एक बाड़े में रखने से यह दूसरे के प्रति हिंसात्मक हो जाते हैं, इसलिए इन्हें अलग रखा गया है. बाड़े में लगे सीसीटीवी कैमरे से इनकी 24 घंटे निगरानी हो रही है. डीएफओ ने बताया कि गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया तराई का बेल्ट है. जहां पर एक समय गिद्धों की संख्या बड़े पैमाने पर पाई जाती थी, लेकिन अब वह लुप्तप्राय हैं.
5 एकड़ में बना जटायु संरक्षण केंद्रः बता दें कि जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना पर कुल 2 करोड़ 80 लाख 54 हजार रुपये की लागत आई है. इसमें ब्रीडिंग एवरी, होल्डिंग एवरी, हॉस्पिटल एवरी, नर्सरी एवरी, वेटनरी सेक्शन, प्रशासनिक भवन, रिकवरी एवरी, गार्डरूम, जेनरेटर रूम, पाथवे का निर्माण किया गया है. इस केंद्र में 8 स्टाफ हैं. जटायु संरक्षण केंद्र में कुल 6 राजगिद्धों (नर एवं मादा) को लाया जा चुका है. यहां राजगिद्धों गिद्धों की निगरानी की सीसी कैमरों से की जाएगी. पांच हेक्टेयर जमीन पर बनाए गए इस केंद्र के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और प्रदेश सरकार के बीच में समझौता हुआ है. गोरखपुर वन प्रभाग द्वारा बनाई गई कार्ययोजना के अनुसार इस जटायु संरक्षण केंद्र से आगामी आठ-दस साल में 40 जोड़े राजगिद्ध छोड़े जाने का लक्ष्य है.