लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष बुधवार को विधि व नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिवों को पुनः हाजिर होना पड़ा. नगर महापालिका ट्रिब्युनल में अध्यक्ष पद खाली रहने के मामले में न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को तलब किया था.
इस मामले में पूर्व में भी दोनों अधिकारी न्यायालय के समक्ष हाजिर हो चुके हैं. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार को नसीहत भी दी कि हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति के किसी निर्णय को समुचित सम्मान देना चाहिए.
न्यायालय ने कहा कि राजधानी में नगर महापालिका न्यायाधिकरण में पीठासीन अधिकारी के रूप में किसी अपर जिला जज की नियुक्ति में कोई विधिक बाधा नहीं है. लिहाजा सरकार हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति के सुझाए नाम पर विचार करे. मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी.
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यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने चंद्रपाल वर्मा की याचिका पर पारित किया. याचिका में कहा गया कि कि याची का एक मुकदमा ट्रिब्युनल में लंबित है लेकिन अध्यक्ष का पद खाली होने से उसके मुकदमे की सुनवाई नहीं हो पा रही है.
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि उक्त पद पिछले दो सालों से अधिक समय से रिक्त है. हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने आगरा के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार चतुर्थ के नाम की संस्तुति की थी.
हालांकि राज्य सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक को 26 अगस्त को एक पत्र भेजते हुए सुधीर कुमार चतुर्थ के बजाय कोई अन्य नाम भेजने का अनुरोध किया गया. इस पर न्यायालय ने कहा है कि इस पत्र में सुधीर कुमार चतुर्थ के बजाय कोई अन्य नाम भेजने का कोई कारण भी नहीं दर्शाया गया है.