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सीबीआई ने अभी तक अपने हाथ में नहीं लिया विनय पाठक का केस, एसटीएफ ने शासन को सौंपी रिपोर्ट

यूपी एसटीएफ ने कमीशनखोरी के मामले में आरोपी कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति विनय पाठक की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है. हालांकि शासन की सिफारिश के बाद अभीतक सीबीआई ने विनय पाठक का केस अपने हाथों (CBI did not take Vinay Pathak's case) में नहीं लिया है.

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Published : Jan 5, 2023, 8:57 AM IST

लखनऊ : कमीशनखोरी के मामले में कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति विनय पाठक (Kanpur University Vice Chancellor Vinay Pathak Case) की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने अपनी अब तक की जांच रिपोर्ट शासन (STF submitted Vinay Pathak investigation report to the government) को भेजी है. बीते दिनों शासन ने एसटीएफ से विनय पाठक प्रकरण में जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी थी. शासन ने एजेंसी से पूछा था कि विनय पाठक प्रकरण में अब तक क्या साक्ष्य मिले हैं. किस-किस पर कार्रवाई हुई और किन विश्वविद्यालयों में जांच की गई.

बता दें, विनय पाठक प्रकरण (Kanpur University Vice Chancellor Vinay Pathak Case) की जांच शासन द्वारा सीबीआई से करवाने के लिए सिफारिश किए तीन दिन बीतने को है, लेकिन अब तक सीबीआई (CBI investigation of Vinay Pathak case) ने इस मामले को अपने हाथ में नहीं लिया है. जबकि सरकार विनय पाठक प्रकरण (Action on Vinay Pathak) में हर डिटेल सीबीआई को भेज चुकी है. सिर्फ एसटीएफ की जांच प्रगति रिपोर्ट बची हुई थी. वह भी एसएफटी द्वारा मिलने पर केंद्रीय एजेंसी को भेज दिया गया है. एसटीएफ इस मामले में दो लोगों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर चुकी थी, लेकिन कोर्ट में दाखिल होने से पहले ही सीबीआई जांच की संस्तुति हो गई.

बता दें, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Digitex Technologies India Private Limited) के एमडी डेविड एम. डेनिस (MD David M. Dennis) ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन (Vinay Pathak asked for commission) की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है.

लखनऊ : कमीशनखोरी के मामले में कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति विनय पाठक (Kanpur University Vice Chancellor Vinay Pathak Case) की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने अपनी अब तक की जांच रिपोर्ट शासन (STF submitted Vinay Pathak investigation report to the government) को भेजी है. बीते दिनों शासन ने एसटीएफ से विनय पाठक प्रकरण में जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी थी. शासन ने एजेंसी से पूछा था कि विनय पाठक प्रकरण में अब तक क्या साक्ष्य मिले हैं. किस-किस पर कार्रवाई हुई और किन विश्वविद्यालयों में जांच की गई.

बता दें, विनय पाठक प्रकरण (Kanpur University Vice Chancellor Vinay Pathak Case) की जांच शासन द्वारा सीबीआई से करवाने के लिए सिफारिश किए तीन दिन बीतने को है, लेकिन अब तक सीबीआई (CBI investigation of Vinay Pathak case) ने इस मामले को अपने हाथ में नहीं लिया है. जबकि सरकार विनय पाठक प्रकरण (Action on Vinay Pathak) में हर डिटेल सीबीआई को भेज चुकी है. सिर्फ एसटीएफ की जांच प्रगति रिपोर्ट बची हुई थी. वह भी एसएफटी द्वारा मिलने पर केंद्रीय एजेंसी को भेज दिया गया है. एसटीएफ इस मामले में दो लोगों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर चुकी थी, लेकिन कोर्ट में दाखिल होने से पहले ही सीबीआई जांच की संस्तुति हो गई.

बता दें, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Digitex Technologies India Private Limited) के एमडी डेविड एम. डेनिस (MD David M. Dennis) ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन (Vinay Pathak asked for commission) की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है.

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