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कल्याण सिंह सरकार में पोस्टर ब्वॉय थे राजनाथ सिंह, राजनीति में ऐसे ली एंट्री

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Published : Feb 9, 2019, 5:42 AM IST

Updated : Feb 9, 2019, 9:22 AM IST

राजनाथ सिंह मिर्जापुर में अध्यापक थे. 1977 से इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. विधायक, शिक्षा मंत्री, कृषि मंत्री, सीएम रह चुके हैं राजनाथ सिंह वर्तमान में देश के गृहमंत्री हैं.

राजनाथ सिंह

लखनऊ: बात उस नेता कि जब वो शिक्षा मंत्री बना तो प्रदेश में बोर्ड पेपर देने वाले आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो गए. वो नेता जिसने भारतीय जनता पार्टी में एक जिले की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक का सफर तय किया. बात मिर्जापुर के उन मास्टर साब कि जो बच्चों भौतिक विज्ञान पढ़ाते-पढ़ाते देश के सियासतदारों को सियासत का पाठ पढ़ाने लगे.

हम बात कर रहे है राजनाथ सिंह...1976 के दौर में जब देश में इमरजेंसी लगी थी तो राजनाथ सिंह को जेल जाना पड़ा था और तब से ही वे राजनीति में सक्रिय हो गए. इसके बाद 77 में जब जेल से छूटे तो मिर्जापुर से चुनाव लड़ने का मौका मिल गया और बन गए विधायक.

इसके बाद राजनाथ सिंह कई चुनाव हारे, लेकिन 1988 जब राम मंदिर का दौर शुरू हुआ तब इनकी सोशल इंजिनियरिंग उभर कर सामने आई. ये वो समय था जब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार थी और राजनाथ सिंह उसके पोस्टर बॉय होते थे.

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जानिए राजनाथ सिंह का सफर.
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1991 में कल्याण सिंह जब मुख्यमंत्री बने तब राजनाथ सिंह को शिक्षा मंत्री बनाया गया. राजनाथ सिंह ने मंत्री रहते हुए प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार किया और इससे ही इन्हे काफी ख्याति मिली. ये बोर्ड पेपर के लिए नकल अध्यादेश लाए जिसमें नकल करते पकड़े जाने पर छात्र के साथ शिक्षक के लिए भी सजा का प्रावधान था.

1992 में बाबरी मस्जिद ढह गई और कल्याण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी मिर्जापुर के बाबू साब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1996 आते-आते इन्होंने राज्यसभा में अपनी सीट जमा ली.

2000 में एक बार फिर राजनाथ को बड़ा पद दिया गया. संघ का अर्शीवाद साथ था तो बना दिए गए यूपी के सीएम. 2002 मे फिर यूपी में चुनाव हुए और इस चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. हार का ठीकरा राजनाथ पर फोड़ा गया, फिर भी काबिलियत को भापते हुए जब अटल जी प्रधानंमत्री थे तब इन्हे कृषि मंत्री का पद दिया गया.

उधर 2005 आते-आते लालकृष्ण आडवाणी पकिस्तान चले गए और तमाम विवादों में घिर गए. इसके बाद भाजपा में नए अध्यक्ष के तौर पर ये जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को दी गई. हालांकि 2009 में चुनाव के बाद ये पद राजनाथ को पद गंवाना पड़ा. लेकिन 2014 लोकसभा से ठीक पहले भाजपा पार्टी अध्यक्ष की कमान एक बार फिर राजनाथ को मिली.

इसके बाद कड़े निर्णय लेते हुए मोदी जी को आगे रखकर राजनाथ सिंह ने दांव खेला और पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई. फिलहाल राजनाथ देश के गृहमंत्री है लेकिन उनका ये कार्यकाल तमाम विवादो से घिरा रहा है. देश में 2019 का चुनाव भी करीब है. हो सकता है कि राजनाथ एक बार फिर सियासत के दांव पेंच कर खुद को साबित करें.

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लखनऊ: बात उस नेता कि जब वो शिक्षा मंत्री बना तो प्रदेश में बोर्ड पेपर देने वाले आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो गए. वो नेता जिसने भारतीय जनता पार्टी में एक जिले की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक का सफर तय किया. बात मिर्जापुर के उन मास्टर साब कि जो बच्चों भौतिक विज्ञान पढ़ाते-पढ़ाते देश के सियासतदारों को सियासत का पाठ पढ़ाने लगे.

हम बात कर रहे है राजनाथ सिंह...1976 के दौर में जब देश में इमरजेंसी लगी थी तो राजनाथ सिंह को जेल जाना पड़ा था और तब से ही वे राजनीति में सक्रिय हो गए. इसके बाद 77 में जब जेल से छूटे तो मिर्जापुर से चुनाव लड़ने का मौका मिल गया और बन गए विधायक.

इसके बाद राजनाथ सिंह कई चुनाव हारे, लेकिन 1988 जब राम मंदिर का दौर शुरू हुआ तब इनकी सोशल इंजिनियरिंग उभर कर सामने आई. ये वो समय था जब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार थी और राजनाथ सिंह उसके पोस्टर बॉय होते थे.

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जानिए राजनाथ सिंह का सफर.
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1991 में कल्याण सिंह जब मुख्यमंत्री बने तब राजनाथ सिंह को शिक्षा मंत्री बनाया गया. राजनाथ सिंह ने मंत्री रहते हुए प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार किया और इससे ही इन्हे काफी ख्याति मिली. ये बोर्ड पेपर के लिए नकल अध्यादेश लाए जिसमें नकल करते पकड़े जाने पर छात्र के साथ शिक्षक के लिए भी सजा का प्रावधान था.

1992 में बाबरी मस्जिद ढह गई और कल्याण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी मिर्जापुर के बाबू साब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1996 आते-आते इन्होंने राज्यसभा में अपनी सीट जमा ली.

2000 में एक बार फिर राजनाथ को बड़ा पद दिया गया. संघ का अर्शीवाद साथ था तो बना दिए गए यूपी के सीएम. 2002 मे फिर यूपी में चुनाव हुए और इस चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. हार का ठीकरा राजनाथ पर फोड़ा गया, फिर भी काबिलियत को भापते हुए जब अटल जी प्रधानंमत्री थे तब इन्हे कृषि मंत्री का पद दिया गया.

उधर 2005 आते-आते लालकृष्ण आडवाणी पकिस्तान चले गए और तमाम विवादों में घिर गए. इसके बाद भाजपा में नए अध्यक्ष के तौर पर ये जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को दी गई. हालांकि 2009 में चुनाव के बाद ये पद राजनाथ को पद गंवाना पड़ा. लेकिन 2014 लोकसभा से ठीक पहले भाजपा पार्टी अध्यक्ष की कमान एक बार फिर राजनाथ को मिली.

इसके बाद कड़े निर्णय लेते हुए मोदी जी को आगे रखकर राजनाथ सिंह ने दांव खेला और पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई. फिलहाल राजनाथ देश के गृहमंत्री है लेकिन उनका ये कार्यकाल तमाम विवादो से घिरा रहा है. देश में 2019 का चुनाव भी करीब है. हो सकता है कि राजनाथ एक बार फिर सियासत के दांव पेंच कर खुद को साबित करें.

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बात उस नेता कि जब वो शिक्षा मंत्री बना तो प्रदेश में बोर्ड पेपर देने वाले आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो गए. वो नेता जिसने भारतीय जनता पार्टी में एक जिले की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक का सफर तय किया. 

बात मिर्जापुर के उन मास्टर साब कि जो बच्चों भौतिक विज्ञान पढ़ाते-पढ़ाते देश के सियासतदारो को सियासत का पाठ पढ़ाने लगे...

जी हां हम बात कर रहे है राजनाथ सिंह....

 1976 के दौर में जब देश में एमरजेंसी लगी थी तो राजनाथ सिंह को जेल जाना पड़ा था और तब से ही वे राजनीति में सक्रिय हो गए,.....इसके बाद 77 में जब जेल से छूटे तो मिर्जापुर से चुनाव लड़ने का मौका मिल गया..बन गए विधायक...

इसके बाद राजनाथ सिंह कई चुनाव हारे, लेकिन 1988 जब राम मंदिर का दौर शुरू हुआ तब इनकी सोशल इंजिनियरिंग उभर कर सामने आई.... ये वो समय था जब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार थी और राजनाथ सिंह उसके पोस्टर बॉय होते थे...

1991 में कल्याण सिंह जब मुख्यमंत्री बने तब राजनाथ सिंह को शिक्षा मंत्री बनाया गया..राजनाथ सिंह ने मंत्री रहते हुए प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार किया और इससे ही इन्हे काफी ख्याति मिली.. ये बोर्ड पेपर के लिए नकल अध्यादेश लाए जिसमे नकल करते पकड़े जाने पर छात्र के साथ शिक्षक के लिए भी सजा का प्रावधान था.

...1992 में बाबरी मस्जिद ढह गई और कल्याण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा...लेकिन इसके बाद भी मिर्जापुर के बाबू साब का पीछे मुड़कर नहीं देखा...1996 आते आते इन्होंने राज्यसभा में अपनी सीट जमा ली..

फिर सन् 2000 में एक बार फिर राजनाथ को बड़ा पद दिया गया..संघ का अर्शीवाद साथ था तो बना दिए गए यूपी के सीएम...

2002 मे फिर यूपी मे चुनाव हुए और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और हार का ठिकरा राजनाथ पर फोड़ा गया...फिर भी काबिलियत को भापते हुए जब अटल जी प्रधानंमत्री थे तब इन्हे कृषि मंत्री का पद दिया गया..

उधर 2005 आते आते लालकृष्ण आडवाणी पकिस्तान चले गए और तमाम विवादों में घिर गए...जिसके बाद भाजपा में नए अध्यक्ष के तौर पर ये जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को दी गई..

हालंकि 2009 में चुनाव के बाद ये पद राजनाथ को पद गंवाना पड़ा.. लेकिन 2014 लोकसभा से ठीक पहले  भाजपा पार्टी अध्यक्ष की कमान एक बार फिर राजनाथ को मिली

जिसके बाद कड़े निर्णय लेते हुए मोदी जी को आगे रखकर राजनाथ सिंह ने दांव खेला और पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई.. 

फिलहाल राजनाथ देश के गृहमंत्री है लेकिन उनका ये कार्यकाल तमाम विवादो से घिरा रहा है.. देश में 2019 का चुनाव भी करीब है...और हो सकता है कि राजनाथ एक बार फिर सियासत के दांव पेंच कर खुद   को सबित करें....



जगह - लखनऊ

राजनाथ सिंह, गृह मंत्री


Conclusion:
Last Updated : Feb 9, 2019, 9:22 AM IST
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