लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तावित एकीकृत न्यायालय परिसर के प्रारूप के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़े अदालतों की व्यवस्था है. वर्तमान में जिलों में यह अदालतें अलग-अलग जगहों से कामकाज संचालित करती हैं. एक ही जिले में अलग-अलग दिशाओं में अदालतों के चलते न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है. सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं. इसको देखते हुए अदालतों के लिए एकीकृत कोर्ट भवन उपयोगी हो सकते हैं.
कहा कि आम जन की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों ऐसे एकीकृत न्यायालय परिसरों का विकास किया जाना है. अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए ₹400 करोड़ की व्यवस्था भी की गई है. उन्होंने कहा कि एकीकृत न्यायालय परिसर में जिला और अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत आदि होंगे. यहां न्यायालय भवनों और अधिवक्ता चैंबर तथा सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पार्किंग और फूड प्लाजा भी हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट परिसर की डिजाइन ऐसी हो, जिससे आम आदमी उसमें सहजता के साथ अपने कार्यों का निष्पादन करा सके. डिजाइन सस्ता, सहज एवं सुलभ योजना के अनुसार किया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी न्यायालय परिसर में एक विशिष्ट कॉरीडोर का निर्माण कराया जाए, जहां आमजन भारत की इन प्राचीन विशिष्टता से सुपरिचित हो सकें. कॉरीडोर में भारतीय संविधान में की विशिष्टताओं, मूल अधिकारों, कर्तव्यों, विविध अनुच्छेदों का प्रभावी प्रस्तुतिकरण किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोर्ट बिल्डिंग परिसर एवं आवासीय परिसर अलग-अलग हों एवं आवासीय परिसर के बीच में गेटेड बाउंड्रीवॉल दिया जाना उचित होगा. कोर्ट रूम सहित पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरों की सतत निगरानी होनी चाहिए. न्यायिक अधिकारी, एडवोकेट एवं प्रतिवादी के लिए अलग-अलग कैंटीन का प्रावधान किया जाना चाहिए. सीएम ने कहा कि कोर्ट भवन के परिसर में हरिशंकर, मौलश्री, कदम, सीता अशोक एवं नीम के छायादार वृक्षों का पौधारोपण किया जाना चाहिए तथा बाउंड्रीवाॅल के किनारे डैंस पौधों को लगाया जाए, ताकि वायु प्रदूषण से परिसर प्रभावित न हो.
यह भी पढ़ें : कंस्ट्रक्शन विभाग का नया भवन भी सीबीआई जांच के दायरे में, काम ठप