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गन्ने की बम्पर पैदावार के लिए कब करें बुआई और कौन सी विधि अपनाएं? वैज्ञानिक और गन्नाधिकारी से जानें - SUGARCANE FARMING

बसंत पंचमी के बाद से हो रहा बदलाव, किसान इस समय अपने खेत में गन्ना उगाएं तो लाभ अधिक होगा

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गन्ने की खेती. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2025, 4:12 PM IST

मेरठः पश्चिमी यूपी में किसान गन्ने का भरपूर उत्पादन करते हैं. यहां के किसानों का कमाई का जरिया ही गन्ना है. इसलिए गन्ने की फसल उगाने में जी जान लगा देते हैं. एक बार फिर गन्ने की बुआई का समय आ गया है. ऐसे में आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि गन्ना बुआई का सही समय क्या है.

मेरठ के जिला गन्ना अधिकारी बृजेश कुमार पटेल ने बताया कि यूपी की सबसे प्रमुख फसल गन्ने की खेती है. जहां-जहां गन्ने की खेती होती है, वहां सम्पन्नता भी आ रही है. लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में गन्ने की फसल का बड़ा योगदान है. गन्ना की खेती में तो मेरठ के किसान अग्रणी हैं. यहां प्रगतिशील किसान हैं, यही वजह है कि लगातार गन्ने का रकबा बढ़ रहा है.

जिला गन्नाधिकारी और गन्ना वैज्ञानिक की सलाह. (Video Credit; ETV Bharat)

जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस फसल के प्रति किसानो में अधिक दिलचस्पी है. पिछले वर्ष गन्ने का जो रकबा था, इस बार वह और भी बढ़ गया है. बृजेश पटेल का कहना है कि गन्ना बुवाई के दो सही सही समय हैं. जिनमें से एक तो शरद काल में बुवाई होती है, दूसरा बसंत काल में. गन्ने की फसल की मेन बुवाई का समय बसंत है. फ़रवरी से लेकर मार्च तक गन्ना बुआई के लिए सबसे अच्छा समय है. वहीं, अप्रैल तक गेंहू की फसल भी तैयार हो जाती है. गेंहू की फ़सल की कटाई के बाद भी किसान गन्ने की फसल को लगाते हैं. पहले जहां पारंपरिक तरीके से होती थी, जिससे उपज कम होती थी, अब इसमें भी कई बड़े बदलाव हुए हैं, अब कई अलग-अलग विधियों से भी गन्ने की बुवाई की जाती है. अब किसान सह -फसली खेती भी करते हैं.

डीसीओ ब्रजेश पटेल ने बताया कि ट्रेंच विधि से किसान गन्ने की खेती करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि इस विधि से चार से पांच फीट की दूरी पर बुवाई गन्ने की की जाती है. बीच में खाली स्थान में दलहन तिलहन, प्याज लहसुन और आलू आदि फसलें उगाकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा रिंग-पिट विधि से भी गन्ने की खेती करने से पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. इससे तो मुनाफा भी लगभग 25 से 30 फीसदी बढ़ जाएगा. इस विधि से खेती करने में लागत भी कम आएगी और उत्पादन बढ़ने के साथ ही गन्ने की फ़सल में रोग भी लगने का प्रतिशत कम है. टपक सिंचाई से पानी की बचत होगी, इसके लिए सरकार ड्रीप विधि से किसानों को जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक और करनाल के क्षेत्रीय गन्ना प्रजनन केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर एमएस छावड़ा का कहना है कि फरवरी और मार्च की गन्ने की खेती के लिए सबसे मुफीद समय है. इस वक्त की फसल सबसे अच्छी होती है. किसानों के लिए करनाल गन्ना प्रजनन केंद्र से कई खास प्रजाति तैयार की गई हैं. जिनके उपयोग से गन्ना किसान अधिक पैदावार के साथ ही अधिक लाभ कमा सकता है. सीओ -118,सीओ 15023, सीओ -17018. सीओ 16030 पर भी किसान भरोसा करके इनकी खेती कर सकते हैं. खास बात है इन प्रजाति में रोग लगने की संभावना बहुत कम है.

इसे भी पढ़ें-यूपी में गन्ना किसानों को बड़ा झटका, कृषि मंत्री शाही बोले-हर साल थोड़े ही बढ़ाएंगे रेट

मेरठः पश्चिमी यूपी में किसान गन्ने का भरपूर उत्पादन करते हैं. यहां के किसानों का कमाई का जरिया ही गन्ना है. इसलिए गन्ने की फसल उगाने में जी जान लगा देते हैं. एक बार फिर गन्ने की बुआई का समय आ गया है. ऐसे में आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि गन्ना बुआई का सही समय क्या है.

मेरठ के जिला गन्ना अधिकारी बृजेश कुमार पटेल ने बताया कि यूपी की सबसे प्रमुख फसल गन्ने की खेती है. जहां-जहां गन्ने की खेती होती है, वहां सम्पन्नता भी आ रही है. लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में गन्ने की फसल का बड़ा योगदान है. गन्ना की खेती में तो मेरठ के किसान अग्रणी हैं. यहां प्रगतिशील किसान हैं, यही वजह है कि लगातार गन्ने का रकबा बढ़ रहा है.

जिला गन्नाधिकारी और गन्ना वैज्ञानिक की सलाह. (Video Credit; ETV Bharat)

जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस फसल के प्रति किसानो में अधिक दिलचस्पी है. पिछले वर्ष गन्ने का जो रकबा था, इस बार वह और भी बढ़ गया है. बृजेश पटेल का कहना है कि गन्ना बुवाई के दो सही सही समय हैं. जिनमें से एक तो शरद काल में बुवाई होती है, दूसरा बसंत काल में. गन्ने की फसल की मेन बुवाई का समय बसंत है. फ़रवरी से लेकर मार्च तक गन्ना बुआई के लिए सबसे अच्छा समय है. वहीं, अप्रैल तक गेंहू की फसल भी तैयार हो जाती है. गेंहू की फ़सल की कटाई के बाद भी किसान गन्ने की फसल को लगाते हैं. पहले जहां पारंपरिक तरीके से होती थी, जिससे उपज कम होती थी, अब इसमें भी कई बड़े बदलाव हुए हैं, अब कई अलग-अलग विधियों से भी गन्ने की बुवाई की जाती है. अब किसान सह -फसली खेती भी करते हैं.

डीसीओ ब्रजेश पटेल ने बताया कि ट्रेंच विधि से किसान गन्ने की खेती करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि इस विधि से चार से पांच फीट की दूरी पर बुवाई गन्ने की की जाती है. बीच में खाली स्थान में दलहन तिलहन, प्याज लहसुन और आलू आदि फसलें उगाकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा रिंग-पिट विधि से भी गन्ने की खेती करने से पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. इससे तो मुनाफा भी लगभग 25 से 30 फीसदी बढ़ जाएगा. इस विधि से खेती करने में लागत भी कम आएगी और उत्पादन बढ़ने के साथ ही गन्ने की फ़सल में रोग भी लगने का प्रतिशत कम है. टपक सिंचाई से पानी की बचत होगी, इसके लिए सरकार ड्रीप विधि से किसानों को जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक और करनाल के क्षेत्रीय गन्ना प्रजनन केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर एमएस छावड़ा का कहना है कि फरवरी और मार्च की गन्ने की खेती के लिए सबसे मुफीद समय है. इस वक्त की फसल सबसे अच्छी होती है. किसानों के लिए करनाल गन्ना प्रजनन केंद्र से कई खास प्रजाति तैयार की गई हैं. जिनके उपयोग से गन्ना किसान अधिक पैदावार के साथ ही अधिक लाभ कमा सकता है. सीओ -118,सीओ 15023, सीओ -17018. सीओ 16030 पर भी किसान भरोसा करके इनकी खेती कर सकते हैं. खास बात है इन प्रजाति में रोग लगने की संभावना बहुत कम है.

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