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असामाजिक तत्व कर रहे हैं राजनीति, किसानों को किया जा चुका है पूरा भुगतान: सतीश महाना

उन्नाव में पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प पर औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व इसे गलत दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों को पूरा भुगतान किया जा चुका है.

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना.
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Published : Nov 19, 2019, 11:45 PM IST

लखनऊ: उन्नाव में बीते शनिवार को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस और किसान के बीच हुई थी. इस घटना के बाद सरकार ने सामने आकर कहा है कि यह पूरा प्रकरण राजनीतिक है. कुछ लोग इसे गलत दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई इससे इतर है. आंदोलन उन लोगों ने शुरू किया जिनका इस भूमि से कोई लेना देना नहीं है. सभी किसानों को उनकी अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का पूरा भुगतान किया जा चुका है.

उन्नाव प्रकरण पर हो पर रही है राजनीति.

2014-15 में शुरू हुई थी परियोजना
औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने मंगलवार को कहा कि 2014-15 में उन्नाव में ट्रांस गंगा टाउनशिप परियोजना शुरू हुई थी. सपा सरकार ने लोगों को ट्रांस गंगा टाउनशिप का सपना दिखाया. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने परियोजना को शुरू किया था.

किसानों ने जमीन देने से कर दिया इनकार
उन्नाव में किसानों से इस योजना के तहत भूमि अधिग्रहण किया गया था. इसके एवज में उन्हें 237 करोड़ रुपये भी दिए गए. योजना में 1786 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन सरकार और निर्माण एजेंसियों की गड़बड़ी की वजह से ग्राहकों का विश्वास उठ गया और इनमें से 780 लोगों ने अपनी जमीन देने से मना कर दिया. सब गंवाने के डर से इन ग्राहकों ने कहा कि 25 फीसद पैसा काटकर बाकी की धनराशि वापस कर दी जाए, इस पर सहमति भी बन गई.

हमारी सरकार ने लिया था ये निर्णय
हमारी सरकार आने के बाद ट्रांस गंगा योजना को लेकर बैठक की गई. अधिकारियों ने बताया कि जो लोग योजना का लाभ नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें 25 फीसद धनराशि काट कर उनका पैसा वापस किया जा रहा है. लेकिन हमारी सरकार ने कहा कि अगर हम उन्हें योजना का लाभ देने में असफल हैं, तो ग्राहकों की कोई गलती नहीं है. इसलिए जो लोग पैसा वापस लेना चाहते हैं उन्हें छह प्रतिशत ब्याज के साथ पूरा मूलधन वापस किया जाए. करीब छह माह पूर्व यह निर्णय लिया गया था.

असामाजिक तत्व कर रहे हैं राजनीति
इस बीच जब हमने उस योजना को मूर्त रूप देने का प्रयास शुरू किया, वहां पर फिर से काम शुरू हुआ तो लोगों का एक बार फिर विश्वास जगा कि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सकता है. इसी बीच कुछ असामाजिक तत्व जो राजनीति करना चाहते हैं, जिनका इस योजना से और इस भूमि से कोई लेना-देना भी नहीं है, उन लोगों ने आकर गलत तरीके से मांग शुरू कर दिया. इसके बाद यह विवाद बढ़ा है. इस प्रकरण में 10 टेंडर स्थगित किया गया है. एक दर्जन एफआईआर दर्ज की गई हैं.

इसे भी पढ़ें- किसान पर लाठी चार्ज कर अधमरा करने का 'सच' आया सामने

लखनऊ: उन्नाव में बीते शनिवार को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस और किसान के बीच हुई थी. इस घटना के बाद सरकार ने सामने आकर कहा है कि यह पूरा प्रकरण राजनीतिक है. कुछ लोग इसे गलत दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई इससे इतर है. आंदोलन उन लोगों ने शुरू किया जिनका इस भूमि से कोई लेना देना नहीं है. सभी किसानों को उनकी अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का पूरा भुगतान किया जा चुका है.

उन्नाव प्रकरण पर हो पर रही है राजनीति.

2014-15 में शुरू हुई थी परियोजना
औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने मंगलवार को कहा कि 2014-15 में उन्नाव में ट्रांस गंगा टाउनशिप परियोजना शुरू हुई थी. सपा सरकार ने लोगों को ट्रांस गंगा टाउनशिप का सपना दिखाया. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने परियोजना को शुरू किया था.

किसानों ने जमीन देने से कर दिया इनकार
उन्नाव में किसानों से इस योजना के तहत भूमि अधिग्रहण किया गया था. इसके एवज में उन्हें 237 करोड़ रुपये भी दिए गए. योजना में 1786 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन सरकार और निर्माण एजेंसियों की गड़बड़ी की वजह से ग्राहकों का विश्वास उठ गया और इनमें से 780 लोगों ने अपनी जमीन देने से मना कर दिया. सब गंवाने के डर से इन ग्राहकों ने कहा कि 25 फीसद पैसा काटकर बाकी की धनराशि वापस कर दी जाए, इस पर सहमति भी बन गई.

हमारी सरकार ने लिया था ये निर्णय
हमारी सरकार आने के बाद ट्रांस गंगा योजना को लेकर बैठक की गई. अधिकारियों ने बताया कि जो लोग योजना का लाभ नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें 25 फीसद धनराशि काट कर उनका पैसा वापस किया जा रहा है. लेकिन हमारी सरकार ने कहा कि अगर हम उन्हें योजना का लाभ देने में असफल हैं, तो ग्राहकों की कोई गलती नहीं है. इसलिए जो लोग पैसा वापस लेना चाहते हैं उन्हें छह प्रतिशत ब्याज के साथ पूरा मूलधन वापस किया जाए. करीब छह माह पूर्व यह निर्णय लिया गया था.

असामाजिक तत्व कर रहे हैं राजनीति
इस बीच जब हमने उस योजना को मूर्त रूप देने का प्रयास शुरू किया, वहां पर फिर से काम शुरू हुआ तो लोगों का एक बार फिर विश्वास जगा कि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सकता है. इसी बीच कुछ असामाजिक तत्व जो राजनीति करना चाहते हैं, जिनका इस योजना से और इस भूमि से कोई लेना-देना भी नहीं है, उन लोगों ने आकर गलत तरीके से मांग शुरू कर दिया. इसके बाद यह विवाद बढ़ा है. इस प्रकरण में 10 टेंडर स्थगित किया गया है. एक दर्जन एफआईआर दर्ज की गई हैं.

इसे भी पढ़ें- किसान पर लाठी चार्ज कर अधमरा करने का 'सच' आया सामने

Intro:लखनऊ: उन्नाव प्रकरण को सरकार ने राजनीति से प्रेरित बताया, किसानों को किया जा चुका है पूरा भुगतान

लखनऊ। उन्नाव में किसानों के आंदोलन के दौरान पुलिस और किसान के बीच हुई झड़प के बाद अब सरकार ने सामने आकर कहा है कि यह पूरा प्रकरण राजनीतिक है। इसे कुछ लोग गलत दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। सच्चाई इससे इतर है। आंदोलन उन लोगों ने शुरू किया जिनका इस भूमि से कोई लेना देना नहीं है। सभी किसानों को उनकी अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का पूरा भुगतान किया जा चुका है। इसके साथ ही उन्होंने अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया।




Body:औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने मंगलवार को कहा कि 2014-15 में उन्नाव में ट्रांस गंगा टाउनशिप परियोजना शुरू हुई। सपा सरकार ने ट्रांस गंगा टाउनशिप का सपना लोगों को दिखाया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने परियोजना को शुरू किया था।

उन्नाव में किसानों से इस योजना के तहत भूमि अधिग्रहण किया गया। इसके एवज में उन्हें 237 करोड रुपए दिए गए। योजना में 1786 लोगों ने आवेदन किया। लेकिन सरकार और निर्माण एजेंसियों की गड़बड़ी की वजह से ग्राहकों का विश्वास उठ गया और इनमें से 780 लोगों ने योजना लेने से मना कर दिया। सब गंवाने के डर से इन ग्राहकों ने कहा कि 25 फीसद पैसा काट कर बाकी की धनराशि वापस कर दी जाए। इस पर सहमति भी बन गयी।

हमारी सरकार आने के बाद ट्रांस गंगा योजना को लेकर बैठक की गई। अधिकारियों ने बताया कि जो लोग योजना का लाभ नहीं लेना चाहते हैं उन्हें 25 फीसद धनराशि काट कर उनका पैसा वापस किया जा रहा है। लेकिन हमारी सरकार ने कहा कि अगर हम उन्हें योजना का लाभ देने में असफल हैं तो ग्राहकों की कोई गलती नहीं है। इसलिए जो लोग पैसा वापस लेना चाहते हैं उन्हें छह प्रतिशत ब्याज के साथ पूरा मूलधन वापस किया जाए। करीब छह माह पूर्व यह निर्णय लिया गया।

इस बीच जब हमने उस योजना को मूर्त रूप देने का प्रयास शुरू किया। वहां पर फिर से काम शुरू हुआ। तो लोगों का एक बार फिर विश्वास जगा कि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सकता है। इसी बीच कुछ असामाजिक तत्व जो राजनीति करना चाहते हैं, जिनका इस योजना से और इस भूमि से कोई लेना-देना भी नहीं है, वे लोग इसमें आकर गलत तरीके से मांग शुरू कर दिये। लोगों को उकसाने भी लगे। इसके बाद या विवाद बढ़ा है। इस प्रकरण में 10 टेंडर स्थगित किया गया। एक दर्जन एफआईआर दर्ज की गई।

दिलीप शुक्ला, 9450663213


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