लखनऊः आपको फिल्मों में एक मजबूर मां द्वारा अपने नवजात को मंदिर, अस्पताल या फिर अनाथालय के गेट के बाहर छोड़ने का सीन तो याद ही होगा. कुछ ऐसा हकीकत में हुआ है नौ नवजातों के साथ. दरअसल, बीते वर्ष मंदिर, अस्पताल, बाल गृह के गेट, तालकटोरा, अलीगंज सेक्टर-बी, चारबाग रेलवे स्टेशन पर इन नवजातों को छोड़कर इनकी माताएं चलीं गईं.
चाइल्ड लाइन में कार्यरत कृष्ण प्रताप शर्मा ने इस बारे में बताया कि वर्ष 2021 में सड़क पर हमें कुल नौ नवजात शिशु मिले थे. जब ये नवजात मिले थे तब उनकी स्थिति बेहद खराब थी. कुछ बच्चे तो कपड़ों में लिपटे हुए थे लेकिन वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिन्हें सड़क किनारे कूड़ेदान में फेंक दिया गया था. इन सभी के मां-बाप के बारे में आज तक नहीं पता चल सका. पुलिस की सूचना पर चाइल्ड लाइन ने इन बच्चों को देखरेख की. अब ये बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं. अगर कोई शख्स इन बच्चों को गोद लेना चाहता है तो उसे गोद लेने की पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा.
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चाइल्डलाइन सदस्य संगीता शर्मा ने बताया कि अक्सर मां-बाप बच्चे को कपड़े में छोड़कर चले जाते हैं. इस वजह से बच्चे के असली मां-बाप कभी पता नहीं चल पाते हैं. एक बार ऐसा हुआ था कि एक महिला ने अनाथालय के नवजात शिशु को छोड़ दिया था. बच्चे के शरीर में एक चोट का निशान था. उस बच्चे को एक दंपति ने गोद ले लिया था. बाद में उसकी असली मां उसे तलाशते हुए पहुंच गई और बच्चे के ले आई. उन्होंने बताया कि जब ये बच्चे मिले थे तब इनका ट्रीटमेंट कराया गया फिर इसके बाद इन्हें अनाथालय़ में शिफ्ट किया गया. इस समय कोई बच्चा एक साल का है तो कोई डेढ़ साल का. जो बच्चा हमें जिस दिन मिला हमने उसका जन्मदिन भी उसी तारीख को रखा है ताकि भविष्य में इन बच्चों को ऐसा न लगे कि किसी को इनकी बर्थ डेट ही नहीं मालूम है.
इस तरह गोद ले सकते हैं बच्चा
अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो आपको सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. इसके बाद बच्चों की उपलब्धता के आधार पर मेरिट बनती है फिर जरूरतमंद दंपति को बच्चा देने की प्रक्रिया पूरी होती है. यह प्रक्रिया बेहद ही जटिल है. इसे पूरे होने में करीब 6 से 8 माह लगते हैं. काफी जांच पड़ताल के बाद बच्चा गोद मिलता है. मोदी सरकार इस प्रक्रिया को सरल करने के लिए कानून में संशोधन करने की तैयारी कर रही है.
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