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जानें...इन्फैंट्री डे का गौरवशाली इतिहास, ऐसे हुई थी घुसपैठियों को खदेड़ने की शुरूआत

देश में हर साल 27 अक्टूबर के दिन इन्फैंट्री डे को मनाया जाता है. इस दिन के मौके पर सेवानिवृत्त मेजर आशीष चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत के साथ इस विशेष दिन का इतिहास साझा किया. आगे जानिए भारतीय सेना की इस डिवीजन का रोचक इतिहास...

इन्फैंट्री डे का इतिहास.
इन्फैंट्री डे का इतिहास.
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Published : Oct 28, 2020, 12:49 AM IST

लखनऊ: इन्फैंट्री डे यानी 'पैदल सेना' का दिन. 27 अक्टूबर को इस डिवीजन का विशेष दिन होता है. भारतीय सेना की इस डिवीजन का इतिहास बेहद रोचक है. आजादी के ठीक बाद इस इन्फैंट्री ने अपनी वीरता का पराक्रम दिखाया था और कश्मीर रियासत को भारत में मिला दिया था. साल 1947 के इसी अक्टूबर महीने में तीन देसी रियासतों ने भारत में विलय से मना कर दिया था. उनमें से एक रियासत जम्मू-कश्मीर भी थी. उस समय जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह थे. पाकिस्तान की नजर इस क्षेत्र पर पहले से ही थी. जिन्ना कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे, लेकिन उनके मंसूबों पर भारत की इस इन्फैंट्री ने पानी फेर दिया था. इन्फैंट्री के शौर्य के बारे में रिटायर्ड मेजर आशीष चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत से बात की.

इन्फैंट्री डे.
15वीं शताब्दी का इतिहास
मेजर आशीष चतुर्वेदी बताते हैं कि आखिर 27 अक्टूबर को इन्फेंट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है. वे बताते हैं कि जब 1947 में देश आजाद हुआ, तो पाकिस्तान की आर्मी ने कबायलियों के साथ श्रीनगर की तरफ हमला बोल दिया था. उस टाइम स्थिति को संभालने के लिए वन सिख बटालियन को 27 अक्टूबर के दिन श्रीनगर एयरफील्ड पर उतारा गया था. कबायलियों और पाकिस्तान आर्मी के अचानक हमले से उनकी तादाद बहुत ज्यादा थी, लेकिन फिर भी जिस बहादुरी से वन सिख बटालियन के जवानों ने उनका सामना किया और उनको परास्त किया.

उन्हीं की याद में 27 अक्टूबर के दिन पूरे देश में इन्फेंट्री दिवस मनाया जाता है. वैसे तो इन्फेंट्री का इतिहास बहुत पुराना है. यह 15वीं शताब्दी से चला आ रहा है.

विश्व की सबसे बड़ी इन्फैंट्री
विश्व की सबसे बड़ी पैदल सेना की इन्फेंट्री डिवीजन भारत में है. देश के पैदल सैनिकों की संख्या वर्तमान में तकरीबन 12.40 लाख के करीब है. 27 अक्टूबर इसी इन्फेंट्री को समर्पित है. फ्रंट लाइन पर रहकर देश की सुरक्षा करने वाली पैदल सेना पर देश को गर्व है.

लखनऊ: इन्फैंट्री डे यानी 'पैदल सेना' का दिन. 27 अक्टूबर को इस डिवीजन का विशेष दिन होता है. भारतीय सेना की इस डिवीजन का इतिहास बेहद रोचक है. आजादी के ठीक बाद इस इन्फैंट्री ने अपनी वीरता का पराक्रम दिखाया था और कश्मीर रियासत को भारत में मिला दिया था. साल 1947 के इसी अक्टूबर महीने में तीन देसी रियासतों ने भारत में विलय से मना कर दिया था. उनमें से एक रियासत जम्मू-कश्मीर भी थी. उस समय जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह थे. पाकिस्तान की नजर इस क्षेत्र पर पहले से ही थी. जिन्ना कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे, लेकिन उनके मंसूबों पर भारत की इस इन्फैंट्री ने पानी फेर दिया था. इन्फैंट्री के शौर्य के बारे में रिटायर्ड मेजर आशीष चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत से बात की.

इन्फैंट्री डे.
15वीं शताब्दी का इतिहास
मेजर आशीष चतुर्वेदी बताते हैं कि आखिर 27 अक्टूबर को इन्फेंट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है. वे बताते हैं कि जब 1947 में देश आजाद हुआ, तो पाकिस्तान की आर्मी ने कबायलियों के साथ श्रीनगर की तरफ हमला बोल दिया था. उस टाइम स्थिति को संभालने के लिए वन सिख बटालियन को 27 अक्टूबर के दिन श्रीनगर एयरफील्ड पर उतारा गया था. कबायलियों और पाकिस्तान आर्मी के अचानक हमले से उनकी तादाद बहुत ज्यादा थी, लेकिन फिर भी जिस बहादुरी से वन सिख बटालियन के जवानों ने उनका सामना किया और उनको परास्त किया.

उन्हीं की याद में 27 अक्टूबर के दिन पूरे देश में इन्फेंट्री दिवस मनाया जाता है. वैसे तो इन्फेंट्री का इतिहास बहुत पुराना है. यह 15वीं शताब्दी से चला आ रहा है.

विश्व की सबसे बड़ी इन्फैंट्री
विश्व की सबसे बड़ी पैदल सेना की इन्फेंट्री डिवीजन भारत में है. देश के पैदल सैनिकों की संख्या वर्तमान में तकरीबन 12.40 लाख के करीब है. 27 अक्टूबर इसी इन्फेंट्री को समर्पित है. फ्रंट लाइन पर रहकर देश की सुरक्षा करने वाली पैदल सेना पर देश को गर्व है.

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