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अमिताभ ठाकुर की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट के सामने दुराचार पीड़िता व उसके गवाह द्वारा आत्मदाह करने के मामले में अभियुक्त बनाए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने अपने खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर सीजेएम द्वारा संज्ञान लिए जाने को चुनौती दी है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर उन्होंने सीजेएम द्वारा संज्ञान लिए जाने को विधि विरुद्ध बताया है.

हाईकोर्ट.
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Published : Apr 22, 2022, 9:16 AM IST

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के सामने दुराचार पीड़िता व उसके गवाह द्वारा आत्मदाह करने के मामले में अभियुक्त बनाए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने अपने खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर सीजेएम द्वारा संज्ञान लिए जाने को चुनौती दी है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर उन्होंने सीजेएम द्वारा संज्ञान लिए जाने को विधि विरुद्ध बताया है. न्यायालय ने इस याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता को निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने अमिताभ ठाकुर की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया है कि याची के विरुद्ध पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र अन्य धाराओं के साथ-साथ आईपीसी की धारा 167 व 218 में भी दाखिल किया गया है. दलील दी गई है कि इन दोनों धाराओं के अंतर्गत उल्लिखित अपराध लोक सेवक द्वारा अपने सरकारी काम के दौरान ही किया जाना संभव है लिहाजा इन धाराओं के तहत अभियोजन चलाने के लिए राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति लिया जाना अनिवार्य है.

कहा गया है कि इस मामले में राज्य सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी. बावजूद इसके सीजेएम द्वारा आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया गया. जिसपर न्यायालय ने सरकारी वकील को निर्देश प्राप्त करने का आदेश देते हुए, मामले को 9 मई के सप्ताह में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि अमिताभ ठाकुर को इस मामले में अगस्त 2021 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया था. लगभग 7 माह बाद 14 मार्च 2022 को उनकी जमानत हाईकोर्ट से हुई है.

इसे भी पढे़ं- रेप पीड़िता आत्मदाह मामला : अमिताभ ठाकुर 9 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजे गये

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के सामने दुराचार पीड़िता व उसके गवाह द्वारा आत्मदाह करने के मामले में अभियुक्त बनाए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने अपने खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर सीजेएम द्वारा संज्ञान लिए जाने को चुनौती दी है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर उन्होंने सीजेएम द्वारा संज्ञान लिए जाने को विधि विरुद्ध बताया है. न्यायालय ने इस याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता को निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने अमिताभ ठाकुर की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया है कि याची के विरुद्ध पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र अन्य धाराओं के साथ-साथ आईपीसी की धारा 167 व 218 में भी दाखिल किया गया है. दलील दी गई है कि इन दोनों धाराओं के अंतर्गत उल्लिखित अपराध लोक सेवक द्वारा अपने सरकारी काम के दौरान ही किया जाना संभव है लिहाजा इन धाराओं के तहत अभियोजन चलाने के लिए राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति लिया जाना अनिवार्य है.

कहा गया है कि इस मामले में राज्य सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी. बावजूद इसके सीजेएम द्वारा आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया गया. जिसपर न्यायालय ने सरकारी वकील को निर्देश प्राप्त करने का आदेश देते हुए, मामले को 9 मई के सप्ताह में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि अमिताभ ठाकुर को इस मामले में अगस्त 2021 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया था. लगभग 7 माह बाद 14 मार्च 2022 को उनकी जमानत हाईकोर्ट से हुई है.

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