लखनऊ: बलरामपुर के सपा नेता फिरोज अहमद उर्फ पप्पू की हत्या के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व सांसद रिजवान जहीर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने अपने आदेश में रिजवान जहीर के आपराधिक इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि अभियुक्त जब भी जमानत पर बाहर आता है, वह दूसरे जघन्य अपराध में सम्मिलित हो जाता है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश रिजवान जहीर की जमानत याचिका पर दिया.
अभियोजन के मुताबिक फिरोज अहमद उर्फ पप्पू समाजवादी पार्टी से तुलसीपुर विधान सभा के लिए टिकट चाहता था, जबकि रिजवान जहीर भी अपनी बेटी को इसी क्षेत्र से सपा से चुनाव लड़ाना चाहता था. आरोप है कि इसी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते उसने फिरोज अहमद की हत्या करवाई. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि मामले में एक भी साक्ष्य विवेचना में नहीं मिले हैं, जिससे इस घटना का अभियुक्त से सम्बंध स्थापित किया जा सके.
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वहीं, याचिका विरोध करते हुए, सरकारी वकील राव नरेंद्र सिंह ने दलील दी कि अभियुक्त के खिलाफ 15 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. जिनमें से छह हत्या के मुकदमे हैं. उसके खिलाफ गैंगस्टर की भी कार्रवाई हो चुकी है. कहा कि यदि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया गया तो वह न सिर्फ गवाहों के लिए खतरा बनेगा बल्कि ट्रायल को भी प्रभावित कर सकता है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात जमानत याचिका को खारिज कर दिया.