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SDM को चेयरमैन नियुक्त करने के विरोध में दायर याचिका खारिज

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Published : Nov 28, 2020, 9:08 AM IST

हरदोई में एसडीएम शाहाबाद को नगर पालिका परिषद का चेयरमैन नियुक्त किया गया है. एसडीएम को चेयरमैन नियुक्त करने के विरोध में दायर याचिका खारिज की गई.

हाईकोर्ट
हाईकोर्ट

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एसडीएम को नगर पालिका परिषद का चेयरमैन नियुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि याची कोर्ट को संतुष्ट कर पाने में असमर्थ रहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने अभिषेक वैश की याचिका पर पारित किया. इस मामले में याची ने जिलाधिकारी हरदोई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत एसडीएम शाहाबाद को नगर पालिका परिषद का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया. याची का कहना था कि वह उक्त नगर पालिका क्षेत्र का निवासी है और समाज सेवा का कार्य करता है. लिहाजा उसने वर्तमान याचिका दाखिल की है.

न्यायालय ने पाया कि याची ने जनहित याचिका में अनिवार्य रूप से उल्लेख किये जाने वाले पैराग्राफ को नहीं डाला है. जिसके तहत याची को कोर्ट को संतुष्ट करना अनिवार्य है कि उसकी जनहित याचिका के पीछे किसी का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है. न्यायालय ने याची के समाज सेवा सम्बंधी कार्यों के बार में भी पूछा, किंतु याची इसका भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका.

याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि किसी भी चेयरमैन के न होने की दशा में जिलाधिकारी ने यूपी म्युन्सिपालिटीज एक्ट की धारा 54 (ए) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए एसडीएम को बतौर चेयरमैन नियुक्त किया है. जिसके बाद न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एसडीएम को नगर पालिका परिषद का चेयरमैन नियुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि याची कोर्ट को संतुष्ट कर पाने में असमर्थ रहा है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने अभिषेक वैश की याचिका पर पारित किया. इस मामले में याची ने जिलाधिकारी हरदोई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत एसडीएम शाहाबाद को नगर पालिका परिषद का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया. याची का कहना था कि वह उक्त नगर पालिका क्षेत्र का निवासी है और समाज सेवा का कार्य करता है. लिहाजा उसने वर्तमान याचिका दाखिल की है.

न्यायालय ने पाया कि याची ने जनहित याचिका में अनिवार्य रूप से उल्लेख किये जाने वाले पैराग्राफ को नहीं डाला है. जिसके तहत याची को कोर्ट को संतुष्ट करना अनिवार्य है कि उसकी जनहित याचिका के पीछे किसी का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है. न्यायालय ने याची के समाज सेवा सम्बंधी कार्यों के बार में भी पूछा, किंतु याची इसका भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका.

याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि किसी भी चेयरमैन के न होने की दशा में जिलाधिकारी ने यूपी म्युन्सिपालिटीज एक्ट की धारा 54 (ए) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए एसडीएम को बतौर चेयरमैन नियुक्त किया है. जिसके बाद न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया.

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