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हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात को अनुमति दी है. पीड़िता ने कोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती.

Lucknow Bench of High Court
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jul 23, 2021, 9:30 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात (Abortion) की अनुमति दी है. न्यायालय ने एक सप्ताह के भीतर किसी अधिकृत अस्पताल में पीड़िता का गर्भपात कराने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने पीड़िता और उसके पिता द्वारा दाखिल याचिका पर पारित किया.

न्यायालय ने सुनवाई के लिए पीड़िता और उसके पिता को भी कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया था. जिसके अनुपालन में वे दोनों भी शुक्रवार को कोर्ट में मौजूद रहे. कोर्ट में पीड़िता की ओर से दलील दी गई कि सर्वेश नाम के व्यक्ति ने उसके साथ दुराचार किया था. जिसके बाद पीड़िता को पेट में दर्द उठा व मासिक धर्म रुक गया. बाद में पता चला कि वह गर्भवती है. पीड़िता की शिकायत पर अभियुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

इसे भी पढ़ें-दो साल बाद भी नहीं लगी सीटी स्कैन की मशीन, हाईकोर्ट ने 24 घंटे में मांगा जवाब

पीड़िता की ओर से कहा गया कि वह 18 सप्ताह के गर्भ से है और वह दुराचार के कारण उसके गर्भ में आए शिशु को जन्म नहीं देना चाहती है. लिहाजा उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए. न्यायालय ने कोर्ट में मौजूद पीड़िता और उसके पिता से भी पूछा, जिस पर उन्होंने गर्भपात की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि पीड़िता नाबालिग है और शादी भी नहीं हुई है. इसलिए गर्भपात की अनुमति दी जाए.

वहीं न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में केजीएमयू के कुलपति द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की 15 जुलाई की रिपोर्ट में आया कि पीड़िता को 20 सप्ताह का गर्भ है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के अनुसार उसका गर्भपात कराया जा सकता है. जिसके बाद न्यायालय ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात (Abortion) की अनुमति दी है. न्यायालय ने एक सप्ताह के भीतर किसी अधिकृत अस्पताल में पीड़िता का गर्भपात कराने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने पीड़िता और उसके पिता द्वारा दाखिल याचिका पर पारित किया.

न्यायालय ने सुनवाई के लिए पीड़िता और उसके पिता को भी कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया था. जिसके अनुपालन में वे दोनों भी शुक्रवार को कोर्ट में मौजूद रहे. कोर्ट में पीड़िता की ओर से दलील दी गई कि सर्वेश नाम के व्यक्ति ने उसके साथ दुराचार किया था. जिसके बाद पीड़िता को पेट में दर्द उठा व मासिक धर्म रुक गया. बाद में पता चला कि वह गर्भवती है. पीड़िता की शिकायत पर अभियुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

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पीड़िता की ओर से कहा गया कि वह 18 सप्ताह के गर्भ से है और वह दुराचार के कारण उसके गर्भ में आए शिशु को जन्म नहीं देना चाहती है. लिहाजा उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए. न्यायालय ने कोर्ट में मौजूद पीड़िता और उसके पिता से भी पूछा, जिस पर उन्होंने गर्भपात की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि पीड़िता नाबालिग है और शादी भी नहीं हुई है. इसलिए गर्भपात की अनुमति दी जाए.

वहीं न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में केजीएमयू के कुलपति द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की 15 जुलाई की रिपोर्ट में आया कि पीड़िता को 20 सप्ताह का गर्भ है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के अनुसार उसका गर्भपात कराया जा सकता है. जिसके बाद न्यायालय ने पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी.

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