लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2008-09 में प्रयोगशाला सहायक ग्राम्य के 728 पदों पर हुई भर्तियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के नाम बताने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं. न्यायालय ने उक्त भर्ती में कथित धांधली की जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चयन सम्बंधी मूल ओएमआर शीट गायब होने व सीबीसीआईडी द्वारा जांच में अंतिम आख्या लगाने पर गंभीर रुख अख्तियार किया है.
मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने मनेाज श्रीवास्तव की ओर से दाखिल विशेष अपील पर पारित किया. न्यायालय ने कहा कि मामला गम्भीर है, लिहाजा ओएमआर शीटों की स्थिति और सीबीसीआईडी की जांच रिपेार्ट आवश्यक है. न्यायालय ने कहा कि पहले भी याचिका पर कई आदेश पारित किये गए थे, जिन पर पर्याप्त जवाब आना जरूरी है.
याची के अधिवक्ता राजकरन सिंह के अनुसार उक्त भर्तियों में व्यापक स्तर पर धांधली की गई थी साक्षात्कार में चार गुना की बजाय तीन गुना अभ्यर्थी ही बुलाए गए थे. यही नहीं, एक ही परिवार के कई अभ्यर्थियों का चयन हो गया. इसके अलावा महिला आरक्षण का पालन भी नहीं किया गया. आरोप लगाया गया है कि चयनित अभ्यर्थियों की मूल ओएमआर पुस्तिका नष्ट कर दी गई.
अधिवक्ता के अनुसार अपील में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनन्त कुमार मिश्रा भी पक्षकार हैं. याची का आरोप है कि उन्हीं के दबाव में तत्कालीन प्रमुख सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य डॉ. संजय अग्रवाल व तत्कालीन निदेशक प्रशिक्षण डॉ. शोभनाथ द्वारा चयनित सभी ओएमआर पुस्तिकाएं पहले बदली गईं और बाद में जांच के डर से नष्ट कर दी गईं.
ये भी पढ़ें: लखनऊ: कोनेश्वर मंदिर का लोकार्पण करने पहुंचे सीएम योगी, हर-हर महादेव के लगे नारे