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सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें क्या है मामला - आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने भारती पटेल व 5 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर पारित किया है. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में क्या करना है, यह राज्य सरकार तय करे क्योंकि उसी ने यह स्थिति पैदा की है. हालांकि यह स्पष्ट है कि उक्त विज्ञापन के क्रम में 69 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्त नहीं की जा सकती.

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सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
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Published : Jan 29, 2022, 7:43 PM IST

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. न्यायालय ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के तहत अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने कहा है कि एक दिसम्बर 2018 को जारी विज्ञापन में 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए एक दिसम्बर 2018 को विज्ञापन जारी किया गया था. उक्त 69 हजार से अधिक एक भी पद पर बिना विज्ञापन प्रकाशित किए न की जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने भारती पटेल व 5 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर पारित किया है. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में क्या करना है, यह राज्य सरकार तय करे क्योंकि उसी ने यह स्थिति पैदा की है. हालांकि यह स्पष्ट है कि उक्त विज्ञापन के क्रम में 69 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्त नहीं की जा सकती.

दरअसल, सहायक शिक्षकों की 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए एक दिसंबर 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. इस भर्ती प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद आरक्षित श्रेणी के तमाम अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया. उनका कहना था कि उन्हें मिले मार्क्स सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक थे. बावजूद इसके उन्हें चयनित न करते हुए, उनसे कम मार्क्स पाए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया.

यह भी पढ़ें : सीएम योगी पर मुनव्वर राना ने साधा निशाना, कहा- फिर सत्ता में आए तो करूंगा पलायन

न्यायालय के समक्ष सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह का कहना था कि सरकार ने मामले पर फिर से विचार करने के बाद 6800 अभ्यर्थियों के नाम वाली एक अतिरिक्त नई चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया है जो आरक्षित श्रेणी के लिए है. 5 जनवरी व 25 जनवरी को जारी नई चयन सूची के अभ्यर्थियों ने अनारक्षित श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए हैं.

हालांकि न्यायालय ने जब उनसे पूछा कि 69 हजार पद जब पहले ही भरे जा चुके हैं तो इन 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी तो इस पर महाधिवक्ता न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर सके. नई सूची में स्थान पाए कुछ अभ्यर्थियों की ओर से दलील दी गई कि अधिक मार्क्स अर्जित करने के कारण नई सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जानी चाहिए. उनके स्थान पर पहले से नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों को हटा दिया जाना चाहिए.

वहीं, न्यायालय ने मामले पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह विकट स्थिति सरकार द्वारा बनाई गई है. अतिरिक्त नियुक्तियों पर रोक लगाने के साथ ही न्यायालय ने प्रमुख समाचार पत्रों में वर्तमान याचिका के बारे में प्रकाशित करने का निर्देश दिया ताकि जिन अभ्यर्थियों का हित मामले में शामिल है, वे सुनवाई में अपनी बात रख सकें. मामले की अग्रिम सुनवाई 18 फरवरी 2022 को होगी

लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. न्यायालय ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के तहत अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने कहा है कि एक दिसम्बर 2018 को जारी विज्ञापन में 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए एक दिसम्बर 2018 को विज्ञापन जारी किया गया था. उक्त 69 हजार से अधिक एक भी पद पर बिना विज्ञापन प्रकाशित किए न की जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने भारती पटेल व 5 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर पारित किया है. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में क्या करना है, यह राज्य सरकार तय करे क्योंकि उसी ने यह स्थिति पैदा की है. हालांकि यह स्पष्ट है कि उक्त विज्ञापन के क्रम में 69 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्त नहीं की जा सकती.

दरअसल, सहायक शिक्षकों की 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए एक दिसंबर 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. इस भर्ती प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद आरक्षित श्रेणी के तमाम अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया. उनका कहना था कि उन्हें मिले मार्क्स सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक थे. बावजूद इसके उन्हें चयनित न करते हुए, उनसे कम मार्क्स पाए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया.

यह भी पढ़ें : सीएम योगी पर मुनव्वर राना ने साधा निशाना, कहा- फिर सत्ता में आए तो करूंगा पलायन

न्यायालय के समक्ष सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह का कहना था कि सरकार ने मामले पर फिर से विचार करने के बाद 6800 अभ्यर्थियों के नाम वाली एक अतिरिक्त नई चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया है जो आरक्षित श्रेणी के लिए है. 5 जनवरी व 25 जनवरी को जारी नई चयन सूची के अभ्यर्थियों ने अनारक्षित श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए हैं.

हालांकि न्यायालय ने जब उनसे पूछा कि 69 हजार पद जब पहले ही भरे जा चुके हैं तो इन 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी तो इस पर महाधिवक्ता न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर सके. नई सूची में स्थान पाए कुछ अभ्यर्थियों की ओर से दलील दी गई कि अधिक मार्क्स अर्जित करने के कारण नई सूची के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जानी चाहिए. उनके स्थान पर पहले से नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों को हटा दिया जाना चाहिए.

वहीं, न्यायालय ने मामले पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह विकट स्थिति सरकार द्वारा बनाई गई है. अतिरिक्त नियुक्तियों पर रोक लगाने के साथ ही न्यायालय ने प्रमुख समाचार पत्रों में वर्तमान याचिका के बारे में प्रकाशित करने का निर्देश दिया ताकि जिन अभ्यर्थियों का हित मामले में शामिल है, वे सुनवाई में अपनी बात रख सकें. मामले की अग्रिम सुनवाई 18 फरवरी 2022 को होगी

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