लखनऊ: भारत को आयुर्वेद का जनक कहा गया है. प्राचीन काल से ही भारत में जड़ी बूटियों से असाध्य रोगों को ठीक करने में महारत हासिल है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में आयुर्वेद को हाशिए पर ढकेल दिया गया था. करोना काल में एक बार फिर से आयुर्वेद के चमत्कारिक गुण सामने आए हैं. डॉक्टर भी आयुर्वेदिक काढ़ा और जड़ी बूटियों से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत करने की सलाह दे रहे हैं. इसको देखते हुए लोगों में एक बार फिर से हर्बल पौधों के प्रति दिलचस्पी बढ़ गई है. इसको देखते हुए प्रशासन लखनऊ में कई जगहों पर हर्बल वाटिकाएं विकसित करने की योजना बना रहा है.
लोगों को करना है जागरूक
राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर तहसील में हर्बल वाटिका विकसित करने की तैयारियां जोरों से चल रही हैं. इसके लिए सरोजनी नगर एसडीएम उपयुक्त जमीन की तलाश कर रहे हैं. वन विभाग को नीम, तुलसी, एलोवेरा और अन्य औषधीय गुणों वाले पौधों को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. औषधीय पौधों की वाटिका विकसित करने का मुख्य उद्देश्य लोगों को जड़ी बूटियों और हर्बल पौधों से होने वाले फायदों के बारे में जागरूक करना है. इस वाटिकाओं से लोग देसी जड़ी-बूटियों से होने वाले फायदों के बारे में जान सकेंगे. एसडीएम सरोजिनी नगर प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि सरोजिनी नगर क्षेत्र में वृहद पौधारोपण का अभियान चलाया जा रहा है, साथ ही दो हर्बल वाटिका विकसित करने कीभी योजना है.
शास्त्रों में भी है वर्णन
भारत में जड़ी बूटियों का अधिक महत्व है. इसके महत्व को देखते हुए पूर्वजों ने औषधीय गुणों से युक्त पेड़-पौधों का शास्त्रों में भी वर्णन किया है. जिससे लोग घरों में तुलसी और नीम के पेड़ों को लगाते हैं और उनकी पूजा भी की जाती है.