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निजी अस्पताल में गर्भवती की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने की कार्रवाई, जड़ा ताला - राज अर्चना हॉस्पिटल

राजधानी में निजी अस्पताल में गर्भवती की मौत के मामले में कृष्णानगर स्थित राज अर्चना हॉस्पिटल में ताला जड़ दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने छापेमारी की.

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Published : Jun 28, 2023, 8:38 AM IST

लखनऊ : राजधानी के कृष्णानगर स्थित राज अर्चना हॉस्पिटल में गर्भवती की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने शिकंजा कस दिया है. स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने अस्पताल पर छापा मारा. अस्पताल मानक विहीन संचालित होता मिला. स्वास्थ्य विभाग की मौजूदगी में पुलिस ने अस्पताल पर ताला जड़ दिया है. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है 'जब तक जांच पूरी नहीं होती संचालन नहीं होगा.'

कृष्णानगर लक्ष्मी विहार काॅलोनी केसरीखेड़ा में रहने वाले बैंककर्मी विकास सोनी ने प्रसव पीड़ा होने पर पत्नी इन्दु को राज अर्चना हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, जहां डाॅक्टर ने हालत गंभीर बताकर तत्काल सिजेरियन करने की बात कही. गर्भवती को ओटी में ले जाया गया था. आरोप है वहां पर बेहोशी का ओवरडोज इंजेक्शन लगाया गया था. इससे गर्भवती की हालत बिगड़ गई थी. अस्पताल ने हाथ खड़े करके दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. पति का आरोप है कि अस्पताल की ओटी में पत्नी के शरीर में हरकत नहीं थी. आनन फानन में एक निजी अस्पताल ले गए, मगर वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. पति ने पुलिस व स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की थी. चदरनगर सीएचसी प्रभारी डॉ. शाहिद रजा, डॉ. अमित विक्रम व चौकी प्रभारी शैलेंद्र सिंह सेंगर समेत अन्य फोर्स ने अस्पताल में भर्ती मरीजों को सरकारी में शिफ्ट कराकर वहां पर ताला जड़ दिया है.

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक, 'अस्पताल का संचालन अब नहीं होगा. मामले की जांच अभी चल रही है.'

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कोरोना काल में कर्मचारियों का किया इस्तेमाल : कोरोना काल में मरीजों की सेवा करने के लिए प्रदेश भर में नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) में हजारों कर्मचारी तैनात किए गए. जैसे-जैसे कोरोना का खत्म हुआ कर्मचारियों को हटाया जा रहा है. 30 जून को बचे 3250 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवाएं भी खत्म हो रही हैं. इससे बड़ी संख्या में युवक बेरोजगार हो जाएंगे. इन प्रशिक्षित व अनुभवी कर्मचारियों को एनएचएम के दूसरे कार्यक्रमों में लगाया जा सकता है. मंगलवार को संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की अगुवाई में सैकड़ों कर्मचारी डिप्टी सीएम के आवास पहुंचे. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से अपनी पीड़ा बयान की.

संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री योगेश उपाध्याय और कोविड कर्मचारी संघ के प्रभारी शुभम मिश्र की अगुवाई में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से मिले. योगेश उपाध्याय ने बताया कि 'कोरोना काल में एनएचएम के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर लैब टेक्नीशियन, डॉक्टर, स्टाफ नर्स, ओटी टेक्नीशियन, डाटा इंट्री ऑपरेटर, नॉन मेडिकल सांइटिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिट की भर्ती हुई. कोविड जैसे-जैसे काबू आता गया कर्मचारियों की छटनी हुई. मौजूदा समय में 3250 कर्मचारी बचे हैं. इनका कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है. उन्होंने बताया कि यदि इन कर्मचारियों को एनएचएम के दूसरे कार्यक्रम में समायोजित किया जा सकता है. सभी कर्मचारी प्रशिक्षित व अनुभवी हैं. इनका योजनाओं को बढ़ाने में बेहतर इस्तेमाल हो सकता है. इस पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि मरीजों की सेवा करने वालों का नुकसान नहीं होगा.'

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कृष्णानगर लक्ष्मी विहार काॅलोनी केसरीखेड़ा में रहने वाले बैंककर्मी विकास सोनी ने प्रसव पीड़ा होने पर पत्नी इन्दु को राज अर्चना हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, जहां डाॅक्टर ने हालत गंभीर बताकर तत्काल सिजेरियन करने की बात कही. गर्भवती को ओटी में ले जाया गया था. आरोप है वहां पर बेहोशी का ओवरडोज इंजेक्शन लगाया गया था. इससे गर्भवती की हालत बिगड़ गई थी. अस्पताल ने हाथ खड़े करके दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. पति का आरोप है कि अस्पताल की ओटी में पत्नी के शरीर में हरकत नहीं थी. आनन फानन में एक निजी अस्पताल ले गए, मगर वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. पति ने पुलिस व स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की थी. चदरनगर सीएचसी प्रभारी डॉ. शाहिद रजा, डॉ. अमित विक्रम व चौकी प्रभारी शैलेंद्र सिंह सेंगर समेत अन्य फोर्स ने अस्पताल में भर्ती मरीजों को सरकारी में शिफ्ट कराकर वहां पर ताला जड़ दिया है.

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