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यूपी में कोरोना पर हाई अलर्ट, सरकार ने बढ़ाए कोविड अस्पताल

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट कर दिया गया है. प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 45 बंद कोविड अस्पताल दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं.

कोरोना.
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Published : Apr 1, 2021, 5:22 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट कर दिया गया है. गुरुवार को बंद कई कोविड अस्पताल फिर से शुरू करने का एलान कर दिया गया है. वहीं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति, चिकित्सा संस्थानों के निदेशक की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई. इसमें कोरोना वायरस से निपटने पर मंथन किया गया.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना.

24 हजार से ज्यादा बेड मरीजों के लिए आरक्षित
प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 45 बंद कोविड अस्पताल दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें लखनऊ के आठ अस्पताल हैं. ये सभी लेवल-टू व लेवल-थ्री के अस्पताल हैं. वहीं फरवरी में 83 कोविड अस्पतालों का संचालन हो रहा था. ऐसे में पहले जहां 17, 235 बेड थे, अब कोविड अस्प्ताल में बेडों की संख्या बढ़कर 24 हजार, 597 हो गई है. अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद द्वारा जारी आदेश में तीन दिनों में अस्प्ताल शुरू करने के निर्देश हैं. इसमें 7023 ऑक्सीजन बेड हैं, वहीं 1342 वेंटिलेटर युक्त बेड हैं.

अस्पतालों में डेढ़ लाख बेड की क्षमता
प्रदेश भर के कोविड अस्पतालों में डेढ़ लाख बेडों की क्षमता है. वहीं 17, 200 के करीब आईसीयू बेड हैं. ऐसे में मरीजों के इलाज में कोई समस्या नहीं होगी. राजधानी में केजीएमयू, लोहिया व पीजीआई तीन सरकारी के लेवल-थ्री के अस्पताल हैं. इनमें कोविड बेड बढ़ाए जा रहे हैं. आरएसएम, लोकबन्धु अस्पताल फिर से कोविड अस्पताल बन रहे हैं. राज्य में सबसे अधिक मरीज लखनऊ में ही आ रहे हैं. ऐसे में यहां निजी अस्पतालों को भी कोविड अस्पताल बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-कोरोना वायरस के स्रोत की संयुक्त शोध रिपोर्ट जारी


आरटीपीसीआर टेस्ट पर दिया जाएगा जोर
सरकारी में 125 व निजी में 104 कोविड लैब संचालित हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण कम होने पर कोविड टेस्ट की संख्या भी घट गई थीं. अब फ़िर से स्क्रीनिंग, टेस्टिंग पर सरकार ने जोर देने को कहा है. इसमें 70 फीसद तक आरटीपीसीआर टेस्ट के निर्देश दिए हैं ताकि व्यक्ति में संक्रमण को शुरुआती दौर में ही पकड़ा जा सके.

पिछले वर्ष अप्रैल से बढ़ने शुरू हुए थे मरीज
पिछले साल 2020 में मार्च के महीने में ही कोरोना ने यूपी में दस्तक दी थी. 3 मार्च 2020 को कोरोना का पहला मामला गाजियाबाद में पाया गया था. 11 मार्च को राजधानी में कनाडा से लौटी महिला डॉक्टर में पहली बार वायरस की पुष्टि हुई थी. इसके बाद अप्रैल में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ और सितंबर में चरम पर रहा.

लखनऊ: प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट कर दिया गया है. गुरुवार को बंद कई कोविड अस्पताल फिर से शुरू करने का एलान कर दिया गया है. वहीं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति, चिकित्सा संस्थानों के निदेशक की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई. इसमें कोरोना वायरस से निपटने पर मंथन किया गया.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना.

24 हजार से ज्यादा बेड मरीजों के लिए आरक्षित
प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 45 बंद कोविड अस्पताल दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें लखनऊ के आठ अस्पताल हैं. ये सभी लेवल-टू व लेवल-थ्री के अस्पताल हैं. वहीं फरवरी में 83 कोविड अस्पतालों का संचालन हो रहा था. ऐसे में पहले जहां 17, 235 बेड थे, अब कोविड अस्प्ताल में बेडों की संख्या बढ़कर 24 हजार, 597 हो गई है. अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद द्वारा जारी आदेश में तीन दिनों में अस्प्ताल शुरू करने के निर्देश हैं. इसमें 7023 ऑक्सीजन बेड हैं, वहीं 1342 वेंटिलेटर युक्त बेड हैं.

अस्पतालों में डेढ़ लाख बेड की क्षमता
प्रदेश भर के कोविड अस्पतालों में डेढ़ लाख बेडों की क्षमता है. वहीं 17, 200 के करीब आईसीयू बेड हैं. ऐसे में मरीजों के इलाज में कोई समस्या नहीं होगी. राजधानी में केजीएमयू, लोहिया व पीजीआई तीन सरकारी के लेवल-थ्री के अस्पताल हैं. इनमें कोविड बेड बढ़ाए जा रहे हैं. आरएसएम, लोकबन्धु अस्पताल फिर से कोविड अस्पताल बन रहे हैं. राज्य में सबसे अधिक मरीज लखनऊ में ही आ रहे हैं. ऐसे में यहां निजी अस्पतालों को भी कोविड अस्पताल बनाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-कोरोना वायरस के स्रोत की संयुक्त शोध रिपोर्ट जारी


आरटीपीसीआर टेस्ट पर दिया जाएगा जोर
सरकारी में 125 व निजी में 104 कोविड लैब संचालित हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण कम होने पर कोविड टेस्ट की संख्या भी घट गई थीं. अब फ़िर से स्क्रीनिंग, टेस्टिंग पर सरकार ने जोर देने को कहा है. इसमें 70 फीसद तक आरटीपीसीआर टेस्ट के निर्देश दिए हैं ताकि व्यक्ति में संक्रमण को शुरुआती दौर में ही पकड़ा जा सके.

पिछले वर्ष अप्रैल से बढ़ने शुरू हुए थे मरीज
पिछले साल 2020 में मार्च के महीने में ही कोरोना ने यूपी में दस्तक दी थी. 3 मार्च 2020 को कोरोना का पहला मामला गाजियाबाद में पाया गया था. 11 मार्च को राजधानी में कनाडा से लौटी महिला डॉक्टर में पहली बार वायरस की पुष्टि हुई थी. इसके बाद अप्रैल में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ और सितंबर में चरम पर रहा.

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