लखनऊ : राजधानी के डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में बीते शनिवार को बीएड तृतीय वर्ष की छात्रा अंजली ने हॉस्टल में आत्महत्या कर ली थी. वहीं, अब इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ रविवार को सभी छात्र छात्राओं ने प्रदर्शन किया जबकि विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार को बंद करने के साथ ही चारों तरफ बैरिकेडिंग लगा दी गई थी ताकि कोई भी छात्र-छात्रा अंदर न आ पाए. नाराज छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय के वीसी और रजिस्ट्रार को हटाने की मांग कर रहे हैं.
शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के स्टूडेंट का कहना है कि अंजली आत्महत्या कभी नहीं करती. वह बहुत होनहार लड़की थी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने फाइनल ईयर में उसका बैक लगा दिया जबकि उसका दावा था कि उसकी परीक्षा अच्छी हुई है. इसको लेकर अंजलि काफी दिनों से परेशान थी. कई बार वह प्रोफेसरों और वीसी को भी मिली. बावजूद उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई. उसे अपने करियर का चिंता सता रही थी. जब किसी ने अंजली की एक न सुनी तो उसने इतना बड़ा कदम उठा लिया.
छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉलेज में न तो एंबुलेंस की सुविधा है, न तो जरूरत के अन्य सामान की व्यवस्था है. विषय में बैक आने के बाद छात्रा काफी परेशान रहने लगी थी. आरोप है कि टीचर की प्रताड़ना से छात्रा ने फांसी लगाई है. वहीं, गोमती नगर निवासी पिता महेश यादव ने बताया कि कॉलेज दूर होने के कारण बेटी अंजलि को कॉलेज में हॉस्टल दिलवा दिया था. छुट्टी होने पर बेटी घर आ जाती थी. कुछ दिनों पहले बेटी घर आई थी, लेकिन उसने कुछ बताया नहीं. वह खुशमिजाज थी.
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शकुंतला यूनिवर्सिटी के दिव्यांग हॉस्टल के कमरा नंबर 212 में रहने वाली छात्रा अंजली यादव (26 वर्ष) ने हॉस्टल के कमरे में ही आत्महत्या कर ली थी. अंजली गौरी गांव थाना गोमती नगर की रहने वाली थी. छात्रा ने कमरा बंद करके पंखे से दुपट्टा से आत्महत्या की थी. घटना शनिवार रात करीब 8 बजे की है. रात 8 बजे भोजन के लिए जाने वाली छात्राओं ने बाहर से दरवाजे के ऊपर स्थित शीशे की खिड़की से उसे लटकते देखा था. करीब 10-12 छात्राओं ने धक्का देकर दरवाजा खोला. उसे उतारकर अस्पताल ले जाया गया जहां. तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. अंजली बीएड की छात्रा थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने छात्रा के घर वालों को इस बात की जानकारी दी. कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था. अब घरवालों के प्रार्थना पत्र के आधार पर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है.
पहले भी सामने आए हैं ऐसे मामले
विवि में इससे पहले भी सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं. कुछ साल पहले बीएड की एक छात्रा रेनू ने सुसाइड कर लिया था. इसके बाद विवि परिसर में बस की टक्कर से एक छात्रा की जान चली गई थी. इस मामले में छात्रों ने विवि प्रशासन पर लापरवाही और समय से एंबुलेंस की सुविधा न मिलने की शिकायत की थी. अंजलि के मामले में भी छात्राओं ने आरोप लगाया कि घटना की जानकारी के देर बाद तक विवि के जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचे.
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रजिस्ट्रार ये बोले
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमित कुमार सिंह ने कहा कि यह घटना दिल दहलाने वाली है. हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे यहां की छात्रा सुसाइड का कदम उठाएगी. बैक पेपर बहुत से विद्यार्थियों के आते हैं और इसे क्लियर करने के बाद उन्हें कई अवसर भी दिए जाते हैं. घटना की जांच की जा रही है. हमारी संवेदनाएं छात्रा के परिजनों के साथ हैं.