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गेंदे के फूल की खेती किसानों के लिए है लाभदायक - गेंदे की खेती के फायदें

किसानों के लिए परंपरागत खेती से अच्छी गेंदे की खेती है. विशेषज्ञों का मानना है कि खेती के लिए गेंदा बहुत लाभप्रद है. इसकी खेती पूरे साल की जा सकती है.

गेंदे की खेती
गेंदे की खेती
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Published : Jan 9, 2021, 10:03 PM IST

लखनऊ: प्रदेश के किसानों की आय को बढ़ाने में सजावटी गेंदे के फूल की खेती बहुत लाभप्रद सिद्ध हो रही है. आज के परिवेश में जहां किसान परंपरागत खेती करते हैं, वहां पर आधुनिक खेती में गेंदे की फसल को सम्मिलित करके कम समय में किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है. हालांकि इसके लिए किसानों को भी यह जानना बेहद जरूरी है कि उन्हें किस तरह की किस्मों की खेती करनी चाहिए.


पूरे साल की जा सकती है खेती

कृषि विशेषज्ञ सत्येंद्र कुमार सिंह ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि गेंदे की खेती पूरे साल की जा सकती है. अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा बहुत ही सरल तरीके से उगाया जा सकता है. इसको पीएच 6.50 से 7.0 बलुई दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है. गेंदा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसमें एंटी फंगल एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. प्रमुख रूप से त्वचा संबंधी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बहुत उपयोगी होता है. उन्होंने बताया कि ऐसे तो गेंदा की परंपरागत किस्मे बहुत सी हैं. जिसमें पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसंती गेंदा, अपोलो, अर्का हनी, ऑरेंज लेडी, गोल्डी, कारमेन अच्छी किस्में है. ये किस्में पूरे वर्ष उगाई जाती है. गेंदा 30 से 35 दिन में तैयार हो जाता है.




ऐसे करें खेती

किसानों को नर्सरी सदैव 15 सेंटीमीटर ऊंची बनानी चाहिए. नर्सरी में सड़ी हुई गोबर की खाद तथा नीम की खली का प्रयोग करना चाहिए. साथ में ब्यूबेरिया, बैशियाना को अच्छी तरीके से नर्सरी की मिट्टी में मिला देना चाहिए. जिससे बीमारियों का प्रकोप कम हो. प्रमुख रूप से नर्सरी को बीमारी से बचाने के लिए ट्राइकोडरमा पाउडर का भी प्रयोग करना चाहिए. 1 एकड़ गेंदा के लिए 200 ग्राम बीज उपयुक्त होता है. गेंदे की नर्सरी 4 से 5 सप्ताह में तैयार हो जाती है.

सड़ी गोबर से करें खेती

खेतों की अच्छी तरह से जुताई करके उसमें 120 कुंतल सड़ी हुई गोबर की खाद, प्रति एकड़ की दर से 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश पौध रोपाई से पहले मिला देना चाहिए. अफ्रीकन गेंदे की पौधों से पौधों की दूरी 45 सेंटीमीटर, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और फ्रेंच गेंदे की पौधों से पौधों की दूरी 20 सेंटीमीटर, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. आवश्यकता अनुसार समय-समय पर नाइट्रोजन का भुरकाव करते रहना चाहिए.

बीमारियां का रहता है खतरा

डॉ. सिंह ने बताया कि गेंदे पर बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है. सर्दियों में प्रमुख रूप से सफेद मक्खी और माहू का अधिक प्रकोप होता है. यह छोटे जीव होते हैं और पतियों तथा फूलों से रस को चूस लेते हैं. जिसमें बीमारी का खतरा रहता है. इसको प्रतिबंधित करने के लिए 2ml वाइपर प्लस नामक कीटनाशक को लेकर उसको 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

झुलसा से खराब होती है फसल

जनवरी माह में प्रमुख रूप से गेंदे में झुलसा की बीमारी बहुत अधिक लगती है. इससे पहले पत्तियों के ऊपर जलने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. उसके बाद पूरा फूल सूख जाता है. यह बहुत ही गंभीर बीमारी है. इस बीमारी को रोकने करने के लिए डाईथेन एम-45 फफूंदी नाशक की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव लाभप्रद है.


लखनऊ: प्रदेश के किसानों की आय को बढ़ाने में सजावटी गेंदे के फूल की खेती बहुत लाभप्रद सिद्ध हो रही है. आज के परिवेश में जहां किसान परंपरागत खेती करते हैं, वहां पर आधुनिक खेती में गेंदे की फसल को सम्मिलित करके कम समय में किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है. हालांकि इसके लिए किसानों को भी यह जानना बेहद जरूरी है कि उन्हें किस तरह की किस्मों की खेती करनी चाहिए.


पूरे साल की जा सकती है खेती

कृषि विशेषज्ञ सत्येंद्र कुमार सिंह ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि गेंदे की खेती पूरे साल की जा सकती है. अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा बहुत ही सरल तरीके से उगाया जा सकता है. इसको पीएच 6.50 से 7.0 बलुई दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है. गेंदा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसमें एंटी फंगल एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. प्रमुख रूप से त्वचा संबंधी बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बहुत उपयोगी होता है. उन्होंने बताया कि ऐसे तो गेंदा की परंपरागत किस्मे बहुत सी हैं. जिसमें पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसंती गेंदा, अपोलो, अर्का हनी, ऑरेंज लेडी, गोल्डी, कारमेन अच्छी किस्में है. ये किस्में पूरे वर्ष उगाई जाती है. गेंदा 30 से 35 दिन में तैयार हो जाता है.




ऐसे करें खेती

किसानों को नर्सरी सदैव 15 सेंटीमीटर ऊंची बनानी चाहिए. नर्सरी में सड़ी हुई गोबर की खाद तथा नीम की खली का प्रयोग करना चाहिए. साथ में ब्यूबेरिया, बैशियाना को अच्छी तरीके से नर्सरी की मिट्टी में मिला देना चाहिए. जिससे बीमारियों का प्रकोप कम हो. प्रमुख रूप से नर्सरी को बीमारी से बचाने के लिए ट्राइकोडरमा पाउडर का भी प्रयोग करना चाहिए. 1 एकड़ गेंदा के लिए 200 ग्राम बीज उपयुक्त होता है. गेंदे की नर्सरी 4 से 5 सप्ताह में तैयार हो जाती है.

सड़ी गोबर से करें खेती

खेतों की अच्छी तरह से जुताई करके उसमें 120 कुंतल सड़ी हुई गोबर की खाद, प्रति एकड़ की दर से 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश पौध रोपाई से पहले मिला देना चाहिए. अफ्रीकन गेंदे की पौधों से पौधों की दूरी 45 सेंटीमीटर, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और फ्रेंच गेंदे की पौधों से पौधों की दूरी 20 सेंटीमीटर, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. आवश्यकता अनुसार समय-समय पर नाइट्रोजन का भुरकाव करते रहना चाहिए.

बीमारियां का रहता है खतरा

डॉ. सिंह ने बताया कि गेंदे पर बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है. सर्दियों में प्रमुख रूप से सफेद मक्खी और माहू का अधिक प्रकोप होता है. यह छोटे जीव होते हैं और पतियों तथा फूलों से रस को चूस लेते हैं. जिसमें बीमारी का खतरा रहता है. इसको प्रतिबंधित करने के लिए 2ml वाइपर प्लस नामक कीटनाशक को लेकर उसको 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

झुलसा से खराब होती है फसल

जनवरी माह में प्रमुख रूप से गेंदे में झुलसा की बीमारी बहुत अधिक लगती है. इससे पहले पत्तियों के ऊपर जलने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. उसके बाद पूरा फूल सूख जाता है. यह बहुत ही गंभीर बीमारी है. इस बीमारी को रोकने करने के लिए डाईथेन एम-45 फफूंदी नाशक की 3 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव लाभप्रद है.


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