लखनऊ : एडीजे विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मुकेश मनवानी हत्याकांड मामले में आरोपियों बलबीर सिंह दुआ उर्फ़ शिंकु, जसबीर सिंह दुआ उर्फ़ रिंकू, नरेंद्र सिंह उर्फ़ मोंटी को आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने से दंडित किया है. कोर्ट ने बलबीर सिंह दुआ, जसबीर सिंह दुआ और नरेंद्र सिंह को हत्या, जानमाल की धमकी देने के आरोपों में आजीवन कारावास और पंद्रह-पंद्रह हज़ार के जुर्माने से दंडित किया है. कोर्ट ने इस मामले में दोषी ठहराए गए सुमित उर्फ़ पारुल को एक साल की क़ैद और सोलह हज़ार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है. कोर्ट ने इस मामले में दोषी सुमित के लिए नरम रुख़ अपनाया है और कहा की सुमित इस मामले के अन्य दोषी बलबीर सिंह की दुकान किराए पर लेकर मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता है, लिहाज़ा उसे अपने मकान मलिक के प्रभाव में माना जा सकता है और इसी प्रभाव के चलते उसने हत्या में प्रयुक्त असलहा बलबीर सिंह के देने पर रख लिया.
उल्लेखनीय है कि 28 मार्च को ही कोर्ट ने मामले में आरोपी रहे मंजित सिंह दुआ उर्फ़ रिक्की, राजेंद्र सिंह दुआ और इंद्रजीत सिंह उर्फ़ शेरू सिंह को जहां साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था, वहीं उपरोक्त चार आरोपियों को दोषी ठहराया था. पत्रावली के अनुसार, मामले की रिपोर्ट वादी विक्रम मनवानी ने नाका थाने में 25 अगस्त 2017 को दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि वादी का भाई मुकेश मनवानी नाका क्षेत्र में शुभम लॉज के नाम से होटल का संचालन करता था, वहीं बग़ल में बलबीर सिंह दुआ रॉयल पंजाब के नाम से होटल चलाता था. कहा गया कि मुकेश और बलबीर में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा चलती थी, मुकेश अपने होटल की एक दीवार बनवा रहा था और बलबीर उस दीवार को बनने से रोकने के लिए विरोध कर रहा था, इस दीवार को लेकर घटना के दो दिन पहले बलबीर और मुकेश के बीच विवाद भी हुआ था तो आरोपियों ने मुकेश को जानमाल की धमकी दी थी. बताया गया कि घटना वाले दिन मुकेश अपने होटल के बाहर खड़ा था तभी आरोपी अपने हाथों में लाठी डंडे और हथियार लेकर आए, पहुंचते ही राजेंद्र सिंह दुआ ने सभी को गोली मारने के लिए ललकारा तो आरोपियों ने मुकेश को पकड़ लिया तथा बलबीर सिंह दुआ ने लाइसेंसी रिवाल्वर से मुकेश को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई थी.
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