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JPNIC के निर्माण घोटाले में पूर्व वीसी ने अफसरों को भी बताया जिम्मेदार - पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह

लखनऊ के गोमतीनगर में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर के निर्माण में हुए घोटालों के लिए पूर्व आईएएस व पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने उच्च अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने अपने भेजे जवाब में लिखा है कि स्वीकृत डीपीआर के अतिरिक्त कराए गए काम के लिए एलडीए के तत्कालीन सचिव सहित तीन बड़े अधिकारियों को पूरी जानकारी थी.

JPNIC.
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Published : May 29, 2021, 8:10 AM IST

लखनऊ: राजधानी के गोमतीनगर में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर के निर्माण में हुए घोटालों के लिए पूर्व आईएएस व पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने उच्च अधिकारियों को भी जिम्मेदार बताया है. घोटाले के लिए आरोप पत्र दिया गया था जिसके जवाब में तत्कालीन आला अफसरों को ही दोषी ठहराया है. उन्होंने अपने भेजे जवाब में लिखा है कि स्वीकृत डीपीआर के अतिरिक्त कराए गए काम के लिए एलडीए के तत्कालीन सचिव सहित तीन बड़े अधिकारियों को पूरी जानकारी थी.

लखनऊ कमिश्नर की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी
लखनऊ के कमिश्नर की अध्यक्षता में जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. इसमें आवास विकास के भी दो अधिकारी शामिल हैं. आरोप पत्र का जवाब सतेन्द्र ने काफी पहले दिया था लेकिन यह शासन में ही रुक गया था. शासन ने इस पर फिर एक जांच बैठा दी. इसमें सत्येंद्र सिंह के जवाब और बिना स्वीकृत के कराए गए कामों की जांच होनी है. पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने जवाब में लिखा है कि विद्युत यांत्रिक से संबंधित काम स्वीकृत डीपीआर से अतिरिक्त कराने का जो आरोप है उसमें शासन के अधिकारियों की भी सहमति रही है. पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने अपने जवाब में लिखा है कि तत्कालीन सचिव आवास हर सप्ताह इसकी समीक्षा करते थे. मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी भी समीक्षा करती थी. मुख्यमंत्री के सलाहकार भी इसमें शामिल रहते थे. खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री इसका निरीक्षण करते थे.

इन अफसरों की भी थी जिम्मेदारी
पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने अपने जवाब में लिखा है कि तत्कालीन वित्त नियंत्रक हरि कृष्ण यादव, तत्कालीन मुख्य अभियंता विद्युत यांत्रिक डीपी सिंह तथा तत्कालीन सचिव अरुण कुमार ने ही अतिरिक्त कार्य बिना शासन की अनुमति के कराने की स्पष्ट संस्तुति की थी. इन अधिकारियों की संस्तुति पर इसे स्वीकृत किया गया. इन्हीं तीनों अधिकारियों को डीपीआर को पुनरीक्षित करने के लिए शासन को भेजना था. उन्होंने इन अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी भी मांगी है.

40 करोड़ के घोटाले की बात आई थी सामने
उल्लेखनीय है कि गोमती नगर स्थित जेपी सेंटर के निर्माण के लिए पहले 265 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे. फिर बढ़ाकर 665 करोड़ और तीसरी बार इसे 864 करोड़ रुपए कर दिया गया. शासन ने इसमें 40 करोड़ के घोटाले की बात कही गई थी. अब देखना होगा कि शासन स्तर पर आगे इस पर क्या फैसला होता है. जिन अफसरों को जिम्मेदार बताया गया है तो क्या उनसे भी सवाल जवाब होंगे.

इसे भी पढ़ें- अवैध शराब माफियाओं पर शिकंजा कसने गई पुलिस पर हमला

लखनऊ: राजधानी के गोमतीनगर में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर के निर्माण में हुए घोटालों के लिए पूर्व आईएएस व पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने उच्च अधिकारियों को भी जिम्मेदार बताया है. घोटाले के लिए आरोप पत्र दिया गया था जिसके जवाब में तत्कालीन आला अफसरों को ही दोषी ठहराया है. उन्होंने अपने भेजे जवाब में लिखा है कि स्वीकृत डीपीआर के अतिरिक्त कराए गए काम के लिए एलडीए के तत्कालीन सचिव सहित तीन बड़े अधिकारियों को पूरी जानकारी थी.

लखनऊ कमिश्नर की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी
लखनऊ के कमिश्नर की अध्यक्षता में जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. इसमें आवास विकास के भी दो अधिकारी शामिल हैं. आरोप पत्र का जवाब सतेन्द्र ने काफी पहले दिया था लेकिन यह शासन में ही रुक गया था. शासन ने इस पर फिर एक जांच बैठा दी. इसमें सत्येंद्र सिंह के जवाब और बिना स्वीकृत के कराए गए कामों की जांच होनी है. पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने जवाब में लिखा है कि विद्युत यांत्रिक से संबंधित काम स्वीकृत डीपीआर से अतिरिक्त कराने का जो आरोप है उसमें शासन के अधिकारियों की भी सहमति रही है. पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने अपने जवाब में लिखा है कि तत्कालीन सचिव आवास हर सप्ताह इसकी समीक्षा करते थे. मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी भी समीक्षा करती थी. मुख्यमंत्री के सलाहकार भी इसमें शामिल रहते थे. खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री इसका निरीक्षण करते थे.

इन अफसरों की भी थी जिम्मेदारी
पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह ने अपने जवाब में लिखा है कि तत्कालीन वित्त नियंत्रक हरि कृष्ण यादव, तत्कालीन मुख्य अभियंता विद्युत यांत्रिक डीपी सिंह तथा तत्कालीन सचिव अरुण कुमार ने ही अतिरिक्त कार्य बिना शासन की अनुमति के कराने की स्पष्ट संस्तुति की थी. इन अधिकारियों की संस्तुति पर इसे स्वीकृत किया गया. इन्हीं तीनों अधिकारियों को डीपीआर को पुनरीक्षित करने के लिए शासन को भेजना था. उन्होंने इन अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी भी मांगी है.

40 करोड़ के घोटाले की बात आई थी सामने
उल्लेखनीय है कि गोमती नगर स्थित जेपी सेंटर के निर्माण के लिए पहले 265 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे. फिर बढ़ाकर 665 करोड़ और तीसरी बार इसे 864 करोड़ रुपए कर दिया गया. शासन ने इसमें 40 करोड़ के घोटाले की बात कही गई थी. अब देखना होगा कि शासन स्तर पर आगे इस पर क्या फैसला होता है. जिन अफसरों को जिम्मेदार बताया गया है तो क्या उनसे भी सवाल जवाब होंगे.

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