लखनऊः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से पूर्व सांसद राजेश पति त्रिपाठी नौ बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस का हाथ छोड़ सकते हैं. पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक आज के नतीजों का इंतजार खत्म हो गया है. अब पूर्व सांसद राजेश पति त्रिपाठी कई बड़े नेताओं के साथ कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी ज्वॉइन करने को तैयार हैं. यानी जो औरंगाबाद हाउस चार दशकों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है, वही औरंगाबाद हाउस अब कांग्रेस से हाथ जोड़ सकता है.
पूर्वांचल में कांग्रेस को होगा बड़ा नुकसान
2019 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए और कांग्रेस महज एक सीट ही जीत पाई तो कांग्रेसियों में मायूसी छा गई. तमाम नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों की तरफ रुख कर गए. इसके बाद कांग्रेस ने संगठन में बदलाव किया और फिर से संगठन खड़ा करने की कोशिश शुरू की, लेकिन 2020 में यूपी की सात विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव और बिहार में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को फिर सफलता नहीं मिली.
फिर टूटने के कगार पर पार्टी
कांग्रेस पार्टी एक बार फिर टूटने के कगार पर है. इस बार कांग्रेस पार्टी को बड़े झटके लगने वाले हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्य उत्तर प्रदेश के कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता हाथ का साथ छोड़ सकते हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम है, राजेश पति त्रिपाठी का. त्रिपाठी परिवार शुरुआत से ही कांग्रेसी रहा है. कमलापति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो उनके पौत्र के रूप में राजेश प्रति त्रिपाठी तीसरी पीढ़ी हैं और ललितेश पति त्रिपाठी भी चौथी पीढ़ी के रूप में पार्टी से जुड़े हुए हैं. वह मिर्जापुर से लोकसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन अब इस घराने के दूर जाने से कांग्रेस की स्थिति खराब हो सकती है. यह परिवार भी कांग्रेस से दूर जाता हुआ नजर आ रहा है. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि पहले से ही राजेशपति त्रिपाठी ने करीब नौ नेताओं के साथ समाजवादी पार्टी से संपर्क स्थापित कर लिया है. बहुत जल्द वे समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो सकते हैं.
सपा की साइकिल पर हो सकते हैं सवार
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी काफी करीबी रहने वाला औरंगाबाद हाउस का त्रिपाठी परिवार कांग्रेस से दूरी की तैयारी कर चुका है. इस परिवार को इंदिरा, राजीव और सोनिया के समय में वरीयता मिलती रही है, लेकिन अब धीरे-धीरे कांग्रेस का त्रिपाठी परिवार से मोहभंग हो रहा है. त्रिपाठी परिवार भी कांग्रेस से दूरी बनाने में लग गया है. प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस की स्थिति है, उससे यह परिवार भी अब कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी का रुख कर सकता है. राजेश पति त्रिपाठी के कांग्रेस छोड़ने से आसपास के नेताओं के अलावा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी पार्टी से बगावत कर सकते हैं. यूपी में मजबूत होने के बजाय कांग्रेस और भी कमजोर पड़ सकती है, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में.
ये है इस परिवार की अहमियत
कांग्रेस में औरंगाबाद हाउस के त्रिपाठी परिवार की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस परिवार की चौथी पीढ़ी भी अभी तक कांग्रेस से ही जुड़ी हुई है. चौथी पीढ़ी के रूप में राजेश पति त्रिपाठी के पुत्र ललितेश पति त्रिपाठी हैं. वे कांग्रेस के ही सिंबल पर 2019 में मिर्जापुर से लोकसभा चुनाव लड़े थे. अब लगातार पार्टी के नजरअंदाजी इस परिवार को कांग्रेस से दूर कर रही है. बता दें कि पंडित कमलापति त्रिपाठी के कांग्रेस में यह पैठ थी कि इंदिरा गांधी ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष तक बनाया था. वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे.
ये है राजेश पति त्रिपाठी का कांग्रेस में दखल
त्रिपाठी परिवार कांग्रेस में शामिल पूर्वांचल का ऐसा परिवार है, जिसने कभी कांग्रेस और गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ा. राजेश पति त्रिपाठी 2001 में एमएलसी बने थे. 2002 में मिर्जापुर से कांग्रेस से चुनाव लड़े. इसके बाद फिर 2004 में भी चुनाव लड़े. 2007 में मिर्जापुर नगर विधानसभा से चुनाव लड़े. इसके बाद उनके बेटे ललितेश पति त्रिपाठी अब कांग्रेस को आगे बढ़ा रहे हैं.