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लखनऊ: पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने कमिश्नर प्रणाली का किया स्वागत, बोले-कानून व्यवस्था सुधरेगी

यूपी में कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर प्रदेश के पूर्व पूलिस के आलाधिकारियों ने खुशी जाहिर की है. साथ ही इस सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताते हुए इसका स्वागत किया है. अधिकारियों का कहना है कि इससे कानून प्रणाली में सुधार होगा.

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पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने कमिश्नर प्रणाली का किया स्वागत.
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Published : Jan 13, 2020, 5:20 PM IST

लखनऊः योगी सरकार की उत्तर प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने से पुलिस विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं. सरकार के इस कदम को प्रदेश के पुलिस मुखिया के पदों पर रह चुके अधिकारियों ने क्रांतिकारी करार दिया है. योगी सरकार के इस फैसले की यह सभी पूर्व अधिकारी प्रशंसा कर रहे हैं.

पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने कमिश्नर प्रणाली का किया स्वागत.

71 शहरों में लागू थी कमिश्नर प्रणाली
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को मुबारकबाद देना चाहूंगा. उन्होंने बहुत बड़ा फैसला लिया है. यह मसला वर्ष 1977 से चला रहा था. अंग्रेज तीन जगहों पर पुलिस कमिश्नर व्यवस्था छोड़ कर गए थे. कोलकाता, मुंबई और मद्रास में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू थी. आज देश के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू हो गई है. वहीं उत्तर प्रदेश में कमिश्नर की व्यवस्था लागू होने से पुलिस विभाग की जिम्मेदारी हो जाती है कि इन पदों पर अच्छे अफसरों की तैनाती की जाए.

40 लाख से अधिक आबादी पर लागू होगी ये प्रणाली
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली किसी क्रांति से कम नहीं है. आजादी के उपरांत इस प्रणाली को लागू करने के तमाम प्रयास किए गए. अब इसके शुभारंभ से स्पष्ट है कि यह जनहित के लिए एक अभिनव प्रयोग साबित होगा. जनता के लिए सारी सेवाएं जैसे शस्त्र लाइसेंस से लेकर पुलिस के संबंधित कार्यवाही होती है. इसमें एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट के प्राधिकार प्राप्त होने के उपरांत वह सभी अधिकार पुलिस अधिकारियों में निहित हो जाएंगे.
इससे जनसेवा का नया आयाम स्थापित होगा. देश के 15 राज्यों में यह व्यवस्था बड़ी सफलता के साथ पहले से ही चल रही है.

स्मार्ट पुलिसिंग की तरफ बढ़ा कदम
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि योगी सरकार के इस निर्णय से पुलिस विभाग में उत्साह है. हम स्मार्ट पुलिसिंग की तरफ बढ़ रहे हैं. 1861 पुलिस एक्ट के दायरे से बाहर निकलकर एक पुलिसिंग में बदलाव के लिए यह कदम उठाया गया. इससे न सिर्फ कानून व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि महिला अपराधों पर रोक लगेगी. अब प्रदेश के अधिकारियों का दायित्व बढ़ जाएगा कि वह मुख्यमंत्री की अपेक्षाओं पर खरा उतरें. लगन, मेहनत और ईमानदारी से अपने कार्यों को अंजाम दें.

इसे पढ़ें- पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू: सुजीत पांडे लखनऊ और आलोक सिंह नोएडा की संभालेंगे कमान

टूटा है मिथक
पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि आज एक मिथक टूट गया है कि उत्तर प्रदेश में कभी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं हो सकती. मैं इसके लिए प्रदेश की जनता, ब्यूरोक्रेसी, पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों की तरफ से मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. इस प्रणाली में कानून व्यवस्था सुनिश्चित कर अपराधियों को नियंत्रण करने में पुलिस को सीधे अधिकार मिल गए हैं.

लखनऊः योगी सरकार की उत्तर प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने से पुलिस विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं. सरकार के इस कदम को प्रदेश के पुलिस मुखिया के पदों पर रह चुके अधिकारियों ने क्रांतिकारी करार दिया है. योगी सरकार के इस फैसले की यह सभी पूर्व अधिकारी प्रशंसा कर रहे हैं.

पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने कमिश्नर प्रणाली का किया स्वागत.

71 शहरों में लागू थी कमिश्नर प्रणाली
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को मुबारकबाद देना चाहूंगा. उन्होंने बहुत बड़ा फैसला लिया है. यह मसला वर्ष 1977 से चला रहा था. अंग्रेज तीन जगहों पर पुलिस कमिश्नर व्यवस्था छोड़ कर गए थे. कोलकाता, मुंबई और मद्रास में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू थी. आज देश के 71 शहरों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू हो गई है. वहीं उत्तर प्रदेश में कमिश्नर की व्यवस्था लागू होने से पुलिस विभाग की जिम्मेदारी हो जाती है कि इन पदों पर अच्छे अफसरों की तैनाती की जाए.

40 लाख से अधिक आबादी पर लागू होगी ये प्रणाली
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली किसी क्रांति से कम नहीं है. आजादी के उपरांत इस प्रणाली को लागू करने के तमाम प्रयास किए गए. अब इसके शुभारंभ से स्पष्ट है कि यह जनहित के लिए एक अभिनव प्रयोग साबित होगा. जनता के लिए सारी सेवाएं जैसे शस्त्र लाइसेंस से लेकर पुलिस के संबंधित कार्यवाही होती है. इसमें एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट के प्राधिकार प्राप्त होने के उपरांत वह सभी अधिकार पुलिस अधिकारियों में निहित हो जाएंगे.
इससे जनसेवा का नया आयाम स्थापित होगा. देश के 15 राज्यों में यह व्यवस्था बड़ी सफलता के साथ पहले से ही चल रही है.

स्मार्ट पुलिसिंग की तरफ बढ़ा कदम
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि योगी सरकार के इस निर्णय से पुलिस विभाग में उत्साह है. हम स्मार्ट पुलिसिंग की तरफ बढ़ रहे हैं. 1861 पुलिस एक्ट के दायरे से बाहर निकलकर एक पुलिसिंग में बदलाव के लिए यह कदम उठाया गया. इससे न सिर्फ कानून व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि महिला अपराधों पर रोक लगेगी. अब प्रदेश के अधिकारियों का दायित्व बढ़ जाएगा कि वह मुख्यमंत्री की अपेक्षाओं पर खरा उतरें. लगन, मेहनत और ईमानदारी से अपने कार्यों को अंजाम दें.

इसे पढ़ें- पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू: सुजीत पांडे लखनऊ और आलोक सिंह नोएडा की संभालेंगे कमान

टूटा है मिथक
पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि आज एक मिथक टूट गया है कि उत्तर प्रदेश में कभी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं हो सकती. मैं इसके लिए प्रदेश की जनता, ब्यूरोक्रेसी, पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों की तरफ से मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. इस प्रणाली में कानून व्यवस्था सुनिश्चित कर अपराधियों को नियंत्रण करने में पुलिस को सीधे अधिकार मिल गए हैं.

Intro:लखनऊ: यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने पुलिसिंग सुधार के लिए बड़ा कदम, कानून व्यवस्था में होगी सुधार

लखनऊ। योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने से जहां एक तरफ पुलिस विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं, वही प्रदेश के पुलिस मुखिया के पदों पर रह चुके अधिकारियों ने सरकार के इस कदम को क्रांतिकारी करार दिया। ये ऐसे अधिकारी हैं जिनके सामने पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग उठती रही है। सरकारें आगे बढ़ने का प्रयास करती रहीं लेकिन वे अंजाम तक नहीं पहुंच सकीं। अब योगी सरकार के इस फैसले की यह सभी पूर्व अधिकारी प्रशंसा कर रहे हैं।Body:उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को मुबारकबाद देना चाहूंगा। उन्होंने बहुत बड़ा फैसला लिया है। यह मसला सन 1977 से चला रहा था। अंग्रेज तीन जगहों पर पुलिस कमिश्नर व्यवस्था छोड़ कर गए थे। कोलकाता, मुंबई और मद्रास में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू थी। आज देश के 71 शहरों तक पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू हो गई है। साउथ की बात हो या नार्थ की बात। पंजाब, हरियाणा हो या उड़ीसा, में भी पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू कर दी गई। केवल यूपी और बिहार जैसे राज्य इस तरफ नहीं बढ़ रहे थे। एक ऐसी लावी थी जो नहीं लागू होने देने का दबाव बना रही थी। राजनीतिक व्यक्त इसके दबाव में थे और नहीं कर पा रहे थे। मुख्यमंत्री योगी ने उस राजनीतिक दबाव से परे फैसला लिया है। दो ही जगहों पर सही। अब पुलिस विभाग और मुखिया की जिम्मेदारी हो जाती है कि इन पदों पर बड़े अच्छे अफसरों की तैनाती की जाए।

पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली किसी क्रांति से कम नहीं है। आजादी के उपरांत तमाम प्रयास हुए। 1977 से इसकी मांग उठी कुछ अफसरों के नाम चले भी लेकिन हो नहीं पाया। तमाम आयोगों ने भी इसकी संस्तुति की लेकिन यह निर्णय नहीं हो पाया। तमाम स्वार्थ नहीं चाहते थे कि जनहित में यह कार्य हो। इसके शुभारंभ से स्पष्ट है कि यह जनहित के लिए एक अभिनव प्रयोग साबित होगा। जनता के लिए सारी सेवाएं, जैसे शस्त्र लाइसेंस से लेकर जो भी पुलिस के संबंध में कार्यवाही होती थी एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट के प्राधिकार प्राप्त होने के उपरांत वह सभी अधिकार पुलिस अधिकारियों में निहित हो जाएंगे जिससे जनसेवा का नया आयाम स्थापित होगा। देश के 15 राज्यों में और 71 जिलों में यह व्यवस्था बड़ी सफलता के साथ पहले से ही चल रही है। उत्तर प्रदेश में किन कारणों से यह नहीं हो पाया लेकिन शासन की प्रबल इच्छा शक्ति है कि इसे लागू करना संभव हो सका है। यह अपेक्षा की जाती है कि अन्य जिलों में भी जहां की आबादी 40 लाख से ऊपर है, वहां पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की जाएगी।

पूर्व पुलिस महानिदेशक एके जैन कहते हैं कि योगी सरकार के इस निर्णय से पुलिस विभाग में उत्साह है। हम स्मार्ट पुलिसिंग की तरफ बढ़ रहे हैं। 1861 पुलिस एक्ट के दायरे से बाहर निकलकर एक पुलिसिंग में बदलाव के लिए यह कदम उठाया गया। यह साहसिक कदम है। कई दशकों से मै देख रहा था कि कई सरकारों ने इस ओर कदम आगे बढ़ाए लेकिन आईएएस लॉबी के दबाव में सभी सरकारों ने कदम पीछे खींच लिए। इससे ना सिर्फ कानून व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि महिला अपराधों पर रोक लगेगी। हमारी निरोधात्मक कार्यवाही में सुधार होगा। गुणवत्ता में सुधार होगा। उसमें शीघ्रता आएगी और एक अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होगा। मजिस्ट्रेट की शक्तियां 50 से अधिक बड़े शहरों में देश में जो दी गई है पुलिस को दिया जाना सर्वथा उपयुक्त है। अब प्रदेश के अधिकारियों का दायित्व बढ़ जाएगा कि वह मुख्यमंत्री के अपेक्षाओं पर खरा उतरें। लगन, मेहनत और ईमानदारी से अपने कार्यों को अंजाम दें।

पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि आज एक मिथक टूट गया है कि उत्तर प्रदेश में कभी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं हो सकती। जो देश के 71 महानगरों में पहले से ही प्रचलित है। मै इसके लिए प्रदेश की जनता, ब्यूरोक्रेसी, पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों की तरफ से मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। यह निर्णय उनकी इच्छाशक्ति का परिचायक है। इस प्रणाली में कानून व्यवस्था सुनिश्चित कर अपराधियों को नियंत्रण करने में पुलिस को सीधे अधिकार मिल गए हैं। जिससे वक्त पर निर्णय लेकर यहां की जनता को राहत पहुंचाएगी। कानून व्यवस्था में सुधार होगी।

दिलीप शुक्ला, 9450663213Conclusion:
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