लखनऊ: सुबह 7 बजे पार्किंग से फोन आया. बोला गया आग लग गयी है होटल से बाहर निकलें और फोन कट गया. बाहर निकले तो अंधेरा ही अंधेरा, समझ में ही नहीं आया कि कैसे जान बचाएं. लखनऊ के लेवाना सूट में आग लगने के 6 घंटे बाद भी इस होटल में ठहरे लोग अभी भी सदमे में है. खुद पर बीती बताते हुए आंखों से आंसू निकल रहे है. ईटीवी भारत ने इस हादसे के दौरान होटल में फंसे कुछ लोगों से बातचीत की, जिन्होंने लखनऊ के होटल लेवाना में आग लगने से लेकर बाहर निकलने तक की पूरी कहानी बयां की.
पार्किंग से फोन आया आग लगी है, लेकिन बचाने कोई नहीं आयाः वाराणसी से लखनऊ किसी काम से आये उज्जवल मिश्रा लेवाना होटल के दूसरे तल के कमरा नंबर 206 में रुके हुए थे. उज्जवल ने बताया कि वो पिछले 7 दिनों से इस होटल में रुके हुए थे. करीब 7 बजे जब वो सो रहे थे, तब उनके पास पार्किंग वॉलेट से फोन आया कि होटल में आग लग गयी है बाहर निकल जाएं. जैसे ही वो बाहर निकले अंधेरा ही अंधेरा था. अब वो वापस जा नही सकते थे क्योंकि कमरा लॉक हो गया. जैसे ही उज्ज्वल सीढी की ओर बढ़े आह्न धुंआ ही धुंआ था. इस लिए उन्होंने लिफ्ट का सहारा लिया. तभी 208 नंबर कमरे से एक परिवार जिसमें 2 बच्चे भी शामिल थे. उनके साथ वो लिफ्ट से तीसरे तल तक पहुचें. वहां से उन्होंने किसी तरह एग्जिट पॉइंट पर कांच तोड़ा और बाहर निकले.
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होटल में नही थे फायर सेफ्टी उपकरणः उज्जवल ने बताया कि आग लगने पर न ही फायर अलार्म बजा और न ही स्प्रिंकल से पानी की बौछारें आई. उन्होंने बताया कि जब वो कमरे से बाहर निकले तो फायर सेफ्टी के एक भी उपकरण मौजूद नहीं थे. जिस कारण खिड़की तोड़ने के लिए हाथों का ही प्रयोग करना पड़ा था.
होटल मैनेजमेंट ने तो मार ही डाला थाः नोएडा से लखनऊ में बीजेपी कार्यालय आये रिंकू त्यागी अपने दो भाई पवन और अक्षय त्यागी के साथ होटल लेवाना में ही रुके हुए थे. रिंकू होटल के तीसरे तल में 315 कमरा नंबर पर थे. रिंकू ने बताया कि वो और अक्षय त्यागी सो रहे थे तभी उनके दूसरे भाई पवन ने बताया कि धुंए की बदबू आ रही है. तीनों जैसे ही बाहर निकले तो देखा कि आग ही आग है. वो तीनों किसी तरह तौलिया को गीला कर बाहर निकले और कांच तोड़ कर पाइप के सहारे बाहर आये.
रिंकू ने बताया कि एक समय तो ऐसा आया था कि जब उन्होंने हिम्मत तोड़ ली थी और दम घुटने से वहीं बैठ गए लेकिन उनके बड़े भाई ने हिम्मत दी और फिर वो बाहर आ गए. उन्होंने बताया कि होटल का एक भी कर्मचारी उन तक नहीं पहुंचा और न ही इमेरजेंसी एग्जिट सीढ़ियों किस ओर है. इसकी कोई मार्किंग थी. उन्होंने बताया कि उन्हें आज ईश्वर ने बचा लिया है.
राधेश्याम व जशवंत बने प्रवीण के लिए भगवानः होटल लेवाना में आग लगने के बाद जब वहां मौजूद लोग अपनी जान बचा कर होटल के बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे. उस वक्त होटल के बगल में मौजूद गुलमोहर आपर्टमेंट के दो युवक राधेश्याम व जशवंत खुद की जान की परवाह किए बगैर होटल के अंदर घुस रहे थे. रायबरेली के रहने वाले जशवंत ने बताया कि करीब 7:30 पर होटल के तीसरे फ्लोर की खिड़की से एक अधेड़ व्यक्ति चिल्ला रहा था कि मेरी जान बचा लो. उन्होंने जैसे ही उस व्यक्ति को चिल्लाते हुए देखा तो उन्होंने आपर्टमेंट में मौजूद सीढ़ी को हॉटल की दीवार से लगा कर बिना कुछ सोचे समझे चढ़ गए.
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जशवंत ने बताया कि उन्होंने बाइक वाला हेलमेट लगाया और एक ईंट लेकर खिड़की तोड़ने लगे. तब तक चिल्लाने वाला व्यक्ति हिम्मत हार चुका था और शांत हो गया. तभी जशवंत का एक अन्य साथी राधेश्याम भी ऊपर आ गया और खिड़की तोड़ कर होटल में घुस गया और उस व्यक्ति को बाहर निकाल लाये. हैदरगढ़ निवासी राधेश्याम ने बताया कि उस व्यक्ति को हम लोगों ने पानी पिलाया और हिम्मत बढ़ाई.
उसने बताया कि वो कानपुर से लखनऊ आया था और होटल के 210 नंबर कमरे में रुका हुआ था. राधेश्याम व जशवंत दोनों ही पिछले 15 साल से गुलमोहर आपर्टमेंट में नौकरी कर रहे हैं. दोनों के ही तीन-तीन बच्चे हैं और गांव में रहते है. राधेश्याम ने बताया कि उस व्यक्ति को चिल्लाते हुए उन्हें ऐहसास हुआ कि शायद भगवान ने उन्हें यही पुण्य काम करने के लिए जीवन दिया था और बिना अपनी जान की परवाह किये और बगैर परिवार के बारे सोचे वो होटल में फंसे व्यक्ति को निकालने के लिए चढ़ गया.
बता दें कि राजधानी के हजरतगंज इलाके में होटल लेवाना में लगी आग से अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. जिसमें 2 पुरुष और 2 महिलाये शामिल हैं. वहीं 8 लोगों को अस्पताल में इलाज चल रहा है. फिलहाल सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर और मंडलायुक्त रोशन जैकब होटल में आग लगने के कारणों की जांच कर रहे है.
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