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लखनऊ: क्षेत्र में क्रय केंद्र न होने से किसानों को हो रही परेशानी

सरकार ने किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने के लिए क्रय केंद्रों की स्थापना की. लखनऊ के निगोहा क्षेत्र में क्रय केंद्र न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्रय केंद्रों की कमी की वजह से छोटे किसान औने-पौने दाम पर बिचौलियों को फसल बेचने को मजबूर हैं.

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क्रय केंद्र न होने से किसानों को हो रही परेशानी.
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Published : Dec 1, 2019, 1:40 PM IST

लखनऊ: किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए सरकार ने जगह-जगह क्रय केंद्रों की स्थापना की, ताकि किसान यहां जाकर अपनी फसल बेच सकें और उन्हें उसका उचित मूल्य भी मिले. राजधानी में कई जगह क्रय केंद्र न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

क्रय केंद्र न होने से किसानों को हो रही परेशानी.


क्रय केंद्र न होने से किसानों को हो रही परेशानी

  • सरकार ने किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने के लिए क्रय केंद्रों की स्थापना की.
  • लखनऊ से 40 किमी दूर निगोहा क्षेत्र के किसान आज भी परेशान हैं.
  • निगोहा में क्रय केंद्र न होने से किसानों को मजबूरन 15 से 20 किलोमीटर दूर जाकर क्रय केंद्र पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है.
  • क्रय केंद्रों की कमी की वजह से छोटे किसान फसल औने-पौने दाम पर बिचौलियों को बेच रहे हैं.

ईटीवी भारत ने जब किसानों से बात की तो उनका कहना है कि आस-पास के क्षेत्रों में कोई भी क्रय केंद्र नहीं है. निगोहा में समिति तो बनी है, लेकिन वह कई सालों से बंद है. इसकी वजह से उन्हें काफी दूर जाना पड़ता है. छोटे किसान आज भी अपनी फसल व्यापारियों और बिचौलियों को ही बेच रहे हैं. इस वजह से किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- कानपुर देहात: धान खरीद केंद्रों पर किसानों को नहीं मिल रही सुविधा

क्रय केंद्रों की बात करें तो वहां पर किसानों को धान की फसल 1800 रुपये प्रति कुंतल का रेट दिया जाता है. आस-पास क्रय केंद्र न होने की वजह से आज भी छोटे किसान अपनी धान की फसल को 1400 से 1500 रुपये प्रति कुंतल बेच रहे हैं.

लखनऊ: किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए सरकार ने जगह-जगह क्रय केंद्रों की स्थापना की, ताकि किसान यहां जाकर अपनी फसल बेच सकें और उन्हें उसका उचित मूल्य भी मिले. राजधानी में कई जगह क्रय केंद्र न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

क्रय केंद्र न होने से किसानों को हो रही परेशानी.


क्रय केंद्र न होने से किसानों को हो रही परेशानी

  • सरकार ने किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने के लिए क्रय केंद्रों की स्थापना की.
  • लखनऊ से 40 किमी दूर निगोहा क्षेत्र के किसान आज भी परेशान हैं.
  • निगोहा में क्रय केंद्र न होने से किसानों को मजबूरन 15 से 20 किलोमीटर दूर जाकर क्रय केंद्र पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है.
  • क्रय केंद्रों की कमी की वजह से छोटे किसान फसल औने-पौने दाम पर बिचौलियों को बेच रहे हैं.

ईटीवी भारत ने जब किसानों से बात की तो उनका कहना है कि आस-पास के क्षेत्रों में कोई भी क्रय केंद्र नहीं है. निगोहा में समिति तो बनी है, लेकिन वह कई सालों से बंद है. इसकी वजह से उन्हें काफी दूर जाना पड़ता है. छोटे किसान आज भी अपनी फसल व्यापारियों और बिचौलियों को ही बेच रहे हैं. इस वजह से किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- कानपुर देहात: धान खरीद केंद्रों पर किसानों को नहीं मिल रही सुविधा

क्रय केंद्रों की बात करें तो वहां पर किसानों को धान की फसल 1800 रुपये प्रति कुंतल का रेट दिया जाता है. आस-पास क्रय केंद्र न होने की वजह से आज भी छोटे किसान अपनी धान की फसल को 1400 से 1500 रुपये प्रति कुंतल बेच रहे हैं.

Intro:किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए सरकार ने जगह-जगह क्रय केंद्रों की स्थापना की जहां किसान जाकर अपनी फसल को बेच सकता है और उसे उसका उचित मूल्य भी मिल जाए। लेकिन राजधानी लखनऊ मैं कई जगह आसपास क्रय केंद्र न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


Body:सरकार के द्वारा किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने के लिए क्रय केंद्रों की स्थापना की गई है वही देखा जा रहा है कि राजधानी का छोटा किसान आज भी परेशान है हम बात कर रहे हैं राजधानी लखनऊ से 40 किलोमीटर दूर निगोहा क्षेत्र की जो कि मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आता है।

निगोहा में आसपास क्रय केंद्र ना होने की वजह से किसानों को मजबूरन 15 से 20 किलोमीटर दूर जाकर क्रय केंद्र पर अपनी फसल को बेचना पड़ता है वही छोटे किसानों की अगर बात की जाए तो क्रय केंद्रों की कमी की वजह से उन्हें आज भी अपनी फसल औने पौने दाम पर बिचौलियों को ही बेचनी पड़ रही है।

ईटीवी भारत ने जब किसानों से बात की तो उनका कहना है कि आसपास के क्षेत्रों में कोई भी क्रय केंद्र नहीं है वही निगोहा में समिति तो बनी है लेकिन वह कई सालों से बंद है जिसकी वजह से उन्हें काफी दूर जाना पड़ता है वहीं छोटे किसान आज भी अपनी फसल व्यापारियों और बिचौलियों को ही बेच रहे हैं। इसकी वजह से आज भी किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

बाइट- जगदीश प्रसाद (किसान)
बाइट- मनोज पटेल (किसान नेता)
पीटीसी- योगेश मिश्रा




Conclusion:क्रय केंद्रों की अगर बात की जाए तो वहां पर किसानों को धान की फसल 18 रुपए प्रति किलो का रेट दिया जाता है वही आस पास क्रय केंद्र ना होने की वजह से आज भी छोटे किसान अपनी धान की फसल को 13 से ₹14 मात्र प्रति किलो में बेच रहे हैं। अब ऐसे में देखने वाली बात होगी कि जहां एक तरफ सरकार किसानों को राहत पहुंचाने की बात कर रही है वही छोटे किसानों को किस तरह से राहत दी जाएगी।

योगेश मिश्रा लखनऊ
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