ETV Bharat / state

लखनऊ: 5 हजार साल पुराना है जिले का मनकामेश्वर मंदिर - lucknow news in hindi

लखनऊ शहर के डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना बताया जाता है. मान्यता है कि भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने इस मंदिर में वनवास से वापस आने के वक्त पूजा अर्चना की थी.

etv bharat
5 हजार साल पुराना है जिले का मनकामेश्वर मंदिर
author img

By

Published : Feb 21, 2020, 4:10 AM IST

लखनऊ: शहर के डालीगंज क्षेत्र में स्थित भगवान शिव के मंदिर का अस्तित्व त्रेता युग से ही माना जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर का इतिहास भगवान राम के छोटे भाई, वीरवर लक्ष्मण से जुड़ा हुआ है. शेषावतार लक्ष्मण ने त्रेता युग में इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी.

लक्ष्मण नगरी के मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना है. भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने इस मंदिर में वनवास से वापस आने के वक्त पूजा अर्चना की थी. तब से यहां भक्त अपने आराध्य देव महादेव का पूजन अर्चन करने आते हैं. मान्यता है कि लखनऊ शहर को भगवान लक्ष्मण ने ही बसाया है. इसीलिए इस शहर का नाम प्राचीन काल में लक्ष्मणपुरी था. फिर लखनपुरी हुआ. बाद में इसे लखनऊ के नाम से जाना गया.

5 हजार साल पुराना है जिले का मनकामेश्वर मंदिर.
जूना अखाड़े से सम्बद्ध है यह प्राचीन मंदिर
मनकामेश्वर मंदिर जूना अखाड़े से सम्बद्ध है. यहां के महंत, पुजारी या अन्य सदस्य जो स्वयंसेवक की भूमिका में हैं, उनकी दीक्षा जूना अखाड़े से ही होती है. विश्व प्रसिद्ध जूना अखाड़ा से लाखों नागा सन्यासी दीक्षित हैं. इस मंदिर की महंत देव्या गिरी हैं. पहली बार यहां कोई महिला सन्यासी महंत की गद्दी पर विराजमान हुई हैं. देव्या गिरी विज्ञान क्षेत्र की पढ़ाई करने के उपरांत वर्ष 2001-02 में जूना अखाड़े से दीक्षित होकर, यहां मंदिर का कार्यभार संभालना शुरू किया. पूर्व महंत के देहावसान के उपरांत देव्या गिरी को महंत की गद्दी पर आसीन किया गया.
शिव से लेकर प्रकृति की आराधना का केंद्र है यह मंदिर
महंत देव्या गिरी को जब गद्दी पर आसीन किया गया तो उस वक्त जूना पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज उस समारोह में शामिल हुए थे. वर्ष 2009 से देव्या गिरी मंदिर की महंत हैं. इनकी पहचान शहर में एक बड़े धर्म गुरु के रूप में स्थापित है. वह समाज सेवा में भी सक्रियता रखती हैं. गर्मी के दिनों में शहर के कई स्थानों पर उनके द्वारा प्याऊ लगवाए जाते हैं. इसके अलावा इनका प्रकृति रक्षण में भी उनका योगदान है. ग्राउंड वॉटर को लेकर उनकी सजगता साफ दिखती है.

इसे भी पढ़ें:-काशी के इस बैंक में जमा होता है भोले का नाम, ब्याज में म‍िलती है मन की शांत‍ि-मुक्ति का द्वार

करीब एक दशक पूर्व ही इस मंदिर प्रांगण में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया गया था. आज गंगा गोमती कही जाने वाली नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए भी अभियान चला रही हैं. मंदिर प्रांगण के सामने गोमती नदी के किनारे पर गोमती आरती का आयोजन हर दिन होता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु गोमती आरती में शामिल होते हैं. उन्हें गोमती को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जागरूक भी किया जाता है. ऐसे ही यह मंदिर भगवान शिव की आराधना से लेकर प्रकृति की आराधना तक का केंद्र बना हुआ है.

लखनऊ: शहर के डालीगंज क्षेत्र में स्थित भगवान शिव के मंदिर का अस्तित्व त्रेता युग से ही माना जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर का इतिहास भगवान राम के छोटे भाई, वीरवर लक्ष्मण से जुड़ा हुआ है. शेषावतार लक्ष्मण ने त्रेता युग में इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी.

लक्ष्मण नगरी के मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना है. भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने इस मंदिर में वनवास से वापस आने के वक्त पूजा अर्चना की थी. तब से यहां भक्त अपने आराध्य देव महादेव का पूजन अर्चन करने आते हैं. मान्यता है कि लखनऊ शहर को भगवान लक्ष्मण ने ही बसाया है. इसीलिए इस शहर का नाम प्राचीन काल में लक्ष्मणपुरी था. फिर लखनपुरी हुआ. बाद में इसे लखनऊ के नाम से जाना गया.

5 हजार साल पुराना है जिले का मनकामेश्वर मंदिर.
जूना अखाड़े से सम्बद्ध है यह प्राचीन मंदिर
मनकामेश्वर मंदिर जूना अखाड़े से सम्बद्ध है. यहां के महंत, पुजारी या अन्य सदस्य जो स्वयंसेवक की भूमिका में हैं, उनकी दीक्षा जूना अखाड़े से ही होती है. विश्व प्रसिद्ध जूना अखाड़ा से लाखों नागा सन्यासी दीक्षित हैं. इस मंदिर की महंत देव्या गिरी हैं. पहली बार यहां कोई महिला सन्यासी महंत की गद्दी पर विराजमान हुई हैं. देव्या गिरी विज्ञान क्षेत्र की पढ़ाई करने के उपरांत वर्ष 2001-02 में जूना अखाड़े से दीक्षित होकर, यहां मंदिर का कार्यभार संभालना शुरू किया. पूर्व महंत के देहावसान के उपरांत देव्या गिरी को महंत की गद्दी पर आसीन किया गया.
शिव से लेकर प्रकृति की आराधना का केंद्र है यह मंदिर
महंत देव्या गिरी को जब गद्दी पर आसीन किया गया तो उस वक्त जूना पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज उस समारोह में शामिल हुए थे. वर्ष 2009 से देव्या गिरी मंदिर की महंत हैं. इनकी पहचान शहर में एक बड़े धर्म गुरु के रूप में स्थापित है. वह समाज सेवा में भी सक्रियता रखती हैं. गर्मी के दिनों में शहर के कई स्थानों पर उनके द्वारा प्याऊ लगवाए जाते हैं. इसके अलावा इनका प्रकृति रक्षण में भी उनका योगदान है. ग्राउंड वॉटर को लेकर उनकी सजगता साफ दिखती है.

इसे भी पढ़ें:-काशी के इस बैंक में जमा होता है भोले का नाम, ब्याज में म‍िलती है मन की शांत‍ि-मुक्ति का द्वार

करीब एक दशक पूर्व ही इस मंदिर प्रांगण में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया गया था. आज गंगा गोमती कही जाने वाली नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए भी अभियान चला रही हैं. मंदिर प्रांगण के सामने गोमती नदी के किनारे पर गोमती आरती का आयोजन हर दिन होता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु गोमती आरती में शामिल होते हैं. उन्हें गोमती को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जागरूक भी किया जाता है. ऐसे ही यह मंदिर भगवान शिव की आराधना से लेकर प्रकृति की आराधना तक का केंद्र बना हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.