लखनऊ: कहते हैं कि डर उसी चीज से लगता है, जो दिखता नहीं है. वायरस भी कुछ इसी तरह से है, जिसे हम अपनी आंखों से देख तो नहीं सकते हैं, लेकिन वायरस के द्वारा मचाई गई तबाही का मंजर हर कोई अपनी आंखों से देख रहा है. वायरस को सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी माना गया है, जिसका जीवन सजीवों पर निर्भर करता है. वायरस कभी अपनी उपस्थिति को दर्ज करा कर तो कभी खामोशी से तबाही मचाता है.
सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. भावना जैन से ईटीवी भारत ने की बात
कोरोना का दंश झेल रही पूरी दुनिया 'वायरस' शब्द से अच्छी तरह से वाकिफ है, लेकिन क्या है वायरस, क्यों है खतरनाक, क्या इस वायरस की कोई दवा होती है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब लेने ईटीवी भारत की टीम वायरस के बारे में खोज करने वाले वैज्ञानिकों के पास पहुंची. वायरस की पढ़ाई को 'वायरोलॉजी' कहा जाता है और उनके एक्सपर्ट्स को 'वायरोलॉजिस्ट' कहा जाता है. 'वायरस' और 'कोरोना वायरस' के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत ने सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. भावना जैन से खास बातचीत की.
जीवित कोशिकाओं के संपर्क में आने से दिखता है वायरस का प्रभाव
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. भावना जैन ने बताया कि वायरस को सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी माना गया है. यह वायरस तब तक अपना प्रकोप नहीं दिखाता, जब तक वह किसी जीवित कोशिका के संपर्क में नहीं आता है. डॉ. भावना जैन ने बताया कि वायरस की प्रवृत्ति की अगर बात की जाए तो वह किसी भी जीवित व्यक्ति में दो तरह से अपने प्रभाव डालता है.
जानें क्या 'सिंप्टोमेटिक' और 'असिंप्टोमेटिक' वायरस
डॉ. भावना जैन ने बताया कि अगर वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है और व्यक्ति के शरीर में कुछ परिवर्तन आते हैं या कुछ लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो ऐसे वायरस को 'सिंप्टोमेटिक' वायरस कहते हैं, लेकिन अगर किसी के शरीर में वायरस के लक्षण नहीं दिखाई देते तो उसे 'असिंप्टोमेटिक' वायरस कहते हैं. ज्यादातर लोगों की बीमारी से लड़ने वाली 'रोग प्रतिरोधक क्षमता' यानी 'इम्यूनिटी सिस्टम' बहुत मजबूत होता है, जिसकी वजह से वायरस अपना असर नहीं दिखा पाता, लेकिन वह व्यक्ति जिसमें वायरस अपना असर नहीं दिखा पा रहा है या उसके लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं तो वायरस को लोगों में फैला सकता है.
नए रूप में सामने आया है 'कोरोना वायरस'
डॉ. भावना जैन ने बताया कि वायरस बहुत ही चालाक होता है. वह अपनी प्रवृत्ति को लगातार समयानुसार बदलता रहता है. इसी वजह से वायरस की कोई निश्चित वैक्सीन नहीं बन पाती है. हर दो-तीन साल बाद वायरस की वैक्सीन में बदलाव किया जाता है. डॉ. भावना जैन ने कहा कि कोरोना वायरस की अगर बात की जाए तो यह कोई नया वायरस नहीं है, लेकिन उसके अनुवांशिक गुणों में कुछ बदलाव के कारण उसने अपना स्वरूप बदल लिया है और एक नए रूप 'नोवल कोरोना वायरस' के रूप में में सामने आया है.
'नोवल कोरोना वायरस' की वैक्सीन बनने में लगेगा समय
डॉ. भावना जैन ने बताया कि यह वायरस नया है और इसके बारे में अभी हम उतना सही से नहीं जानते है. अभी इसके बारे में वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी जुटाई जा रही है. डॉ. भावना जैन ने कहा कि अगर बात की जाए वायरस की वैक्सीन या एंटीवायरस की तो बहुत ही कम ऐसे वायरस हैं, जिनके एंटीवायरस हम बना पाए हैं. वहीं अगर 'नोवल कोरोना वायरस' की अगर बात करें तो अभी इसकी वैक्सीन या एंटीवायरस बनाने में कुछ समय और लगेगा, क्योंकि यह वायरस हमारे लिए नया है और हमें इसकी पूर्णतया जानकारी भी नहीं है.
अमल में लाएं ईटीवी भारत की अपील
वायरस की कोई भी दवा नहीं होती है और न ही वायरस को मारा जा सकता है. ऐसे में हमें सतर्कता के साथ और संयम बरतते हुए नोवल कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ाई लड़नी है. ईटीवी भारत सभी से अपील करता है कि सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन व नियमों का पूर्णतया पालन करें. खुद को व अपनों को सुरक्षित रखें.