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लखनऊ: अनलॉक-1 में पर्यावरण की सेहत बिगड़ी तो आप भी नहीं रहेंगे फिट!

लॉकडाउन में प्रकृति ने फलना-फूलना शुरू किया और इससे वातावरण भी स्वच्छ हुआ. अनलॉक-1 में लोग घरों से बाहर तो आ रहे हैं, लेकिन इस उत्साह में कहीं न कहीं पर्यावरण का नुकसान का भी अंदेशा लगाया जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि खुद को भी सुरक्षित रखें और पर्यावरण का भी ख्याल रखें.

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लॉकडाउन से सुधरी पर्यावरण की सेहत
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Published : Jun 5, 2020, 10:04 AM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से जब पूरी दुनिया में लोग घरों में कैद हो गए थे तो प्रकृति ने भी दोबारा संवरना शुरू किया था. अब जब अनलॉक-1 लागू हो चुका है तब वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकृति की सेहत बनाए रखने के लिए कुछ एहतियात बरतने भी जरूरी होंगे.

लॉकडाउन से सुधरी पर्यावरण की सेहत.

अनलॉक-1 में सभी सरकारी व गैर सरकारी ऑफिस खुल गए हैं और लोगों का घरों से निकलना शुरू हो गया है. लोगों के घरों से निकलने की वजह से सड़कों पर भी गाड़ियों का मजमा लग गया है. ऐसे में पिछले दो महीनों में प्रकृति की सुधरी हुई हालत के बिगड़ने का भी अंदेशा लगाया जा सकता है.

सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) की प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने बताया कि लॉकडाउन में प्रकृति की सेहत वाकई काफी हद तक सुधर गई थी. पार्टिकुलेट मैटर कम हो गए थे और इस वजह से हरियाली और साफ सुथरा पर्यावरण देखने को मिल रहा था. अब अनलॉक-1 में गाड़ियां निकल रही हैं और लोग भी काफी संख्या में बाहर हैं तो जाहिर है थोड़ा बहुत पीएम बढ़ रहा है. शुरुआती दौर में इतना नुकसान पर्यावरण को नहीं हो रहा है, लेकिन प्रकृति की सेहत बनाए रखने के लिए कुछ एहतियात बरतने बेहद जरूरी हैं.

प्रोफेसर आलोक धावन ने बताया कि ऑफिस और काम पर जाने वाले लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि वह गाड़ी का इस्तेमाल किस तरह से करें और कैसे पर्यावरण प्रदूषण को कम कर सकते हैं. इसी तरह एक बात हम सभी को ध्यान में रखनी चाहिए कि जितना हो सके हम घर पर रहें या इको फ्रेंडली रहने की कोशिश करें. मसलन हफ्ते में एक बार पूरे दिन गाड़ी का इस्तेमाल न करें. कारपूलिंग करें, पैदल या साइकिल से चलें और यदि जरूरत न हो तो घर से न निकलें. तभी हमारा पर्यावरण भी साफ-सुथरा रहेगा और हम भी अपनी जीवनशैली बेहतर कर सकेंगे.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अभिनव अरुण सोनकर कहते हैं कि अनलॉक-1 में हम देख रहे हैं कि लोगों की आवाजाही बढ़ गई है. हमारी ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है और अब कुछ अन्य चिकित्सीय सुविधाएं भी शुरू कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोग घरों से बाहर आ रहे हैं, लेकिन वह एहतियात बरतते नजर नहीं आ रहे हैं. हम अभी भी संक्रमण की जद में हैं. ऐसे में अपना ख्याल रखने के साथ ही पर्यावरण और अपने आसपास का ख्याल रखना भी हमारा काम है. तभी संक्रमण से भी हम बचेंगे और अपने आसपास को भी स्वच्छ रख सकते हैं.

लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से जब पूरी दुनिया में लोग घरों में कैद हो गए थे तो प्रकृति ने भी दोबारा संवरना शुरू किया था. अब जब अनलॉक-1 लागू हो चुका है तब वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रकृति की सेहत बनाए रखने के लिए कुछ एहतियात बरतने भी जरूरी होंगे.

लॉकडाउन से सुधरी पर्यावरण की सेहत.

अनलॉक-1 में सभी सरकारी व गैर सरकारी ऑफिस खुल गए हैं और लोगों का घरों से निकलना शुरू हो गया है. लोगों के घरों से निकलने की वजह से सड़कों पर भी गाड़ियों का मजमा लग गया है. ऐसे में पिछले दो महीनों में प्रकृति की सुधरी हुई हालत के बिगड़ने का भी अंदेशा लगाया जा सकता है.

सीएसआईआर (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) की प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने बताया कि लॉकडाउन में प्रकृति की सेहत वाकई काफी हद तक सुधर गई थी. पार्टिकुलेट मैटर कम हो गए थे और इस वजह से हरियाली और साफ सुथरा पर्यावरण देखने को मिल रहा था. अब अनलॉक-1 में गाड़ियां निकल रही हैं और लोग भी काफी संख्या में बाहर हैं तो जाहिर है थोड़ा बहुत पीएम बढ़ रहा है. शुरुआती दौर में इतना नुकसान पर्यावरण को नहीं हो रहा है, लेकिन प्रकृति की सेहत बनाए रखने के लिए कुछ एहतियात बरतने बेहद जरूरी हैं.

प्रोफेसर आलोक धावन ने बताया कि ऑफिस और काम पर जाने वाले लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि वह गाड़ी का इस्तेमाल किस तरह से करें और कैसे पर्यावरण प्रदूषण को कम कर सकते हैं. इसी तरह एक बात हम सभी को ध्यान में रखनी चाहिए कि जितना हो सके हम घर पर रहें या इको फ्रेंडली रहने की कोशिश करें. मसलन हफ्ते में एक बार पूरे दिन गाड़ी का इस्तेमाल न करें. कारपूलिंग करें, पैदल या साइकिल से चलें और यदि जरूरत न हो तो घर से न निकलें. तभी हमारा पर्यावरण भी साफ-सुथरा रहेगा और हम भी अपनी जीवनशैली बेहतर कर सकेंगे.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अभिनव अरुण सोनकर कहते हैं कि अनलॉक-1 में हम देख रहे हैं कि लोगों की आवाजाही बढ़ गई है. हमारी ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है और अब कुछ अन्य चिकित्सीय सुविधाएं भी शुरू कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोग घरों से बाहर आ रहे हैं, लेकिन वह एहतियात बरतते नजर नहीं आ रहे हैं. हम अभी भी संक्रमण की जद में हैं. ऐसे में अपना ख्याल रखने के साथ ही पर्यावरण और अपने आसपास का ख्याल रखना भी हमारा काम है. तभी संक्रमण से भी हम बचेंगे और अपने आसपास को भी स्वच्छ रख सकते हैं.

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