लखनऊ: प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ( UPPTCL ) के कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने आगामी गर्मियों को ध्यान में रखकर पारेषण क्षमता, आयात क्षमता व लो-वोल्टेज की दिक्कत को दूर करने के लिए बनाये जा रहे विद्युत उपकेंद्रों का काम हरहाल में मार्च तक पूरा करने के निर्देश दिए.
गर्मी से पहले की जाए क्षमता वृद्धिउन्होंने निर्देशित किया कि जो भी पारेषण उपकेंद्र ओवरलोडिंग में हैं या 90% क्षमता पर चल रहे हैं, उनकी क्षमता वृद्धि गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले ही कर ली जाए. उन्होंने बताया कि इस वर्ष सर्वाधिक मांग 23867 मेगावाट रही जिसे पूरा किया है. हम लगातार अपने नेटवर्क में सुधार कर रहे हैं. अगले साल की गर्मियों में निर्बाध आपूर्ति के लिए आवश्यक तंत्र विकसित करने का काम भी किया जा रहा है. साल 2021 की गर्मियों में अधिकतम ऊर्जा मांग 26500 मेगावाट रहने की उम्मीद है. इसके लिए आयात क्षमता और पारेषण क्षमता को 14000 मेगावाट व 28000 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा. मौजूदा समय में आयात क्षमता जहां 13500 मेगावाट है, वहीं ग्रिड की पारेषण क्षमता 25500 मेगावाट है.
50 से ज्यादा जनपदों को मिलेगा फायदाऊर्जा मंत्री ने कहा कि यूपीपीटीसीएल चरणबद्ध ढंग से 52 नए ट्रांसमिशन उपकेंद्रों का निर्माण करा रहा है. इनमें 13 उपकेंद्र पिछले माह चालू हो चुके हैं, शेष 39 उपकेंद्रों का काम 31 मार्च 2021 तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. इससे प्रदेश के 50 से ज्यादा जनपदों के निवासियों को अनावश्यक ट्रिपिंग और लो-वोल्टेज की समस्या से निजात मिल जाएगी, साथ ही निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए आवश्यक पारेषण नेटवर्क भी बन जाएगा. उर्जा मंत्री ने निर्देश दिया कि, 220 और 132 केवी उपकेंद्रों की पूरी क्षमता का उपयोग वितरण तंत्र द्वारा किया जाए. इसके लिए ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन दोनों की यूपीपीटीसीएल के अधिकारी संयुक्त रणनीति बनाकर काम करें. जिससे गर्मियों में लो वोल्टेज व ट्रिपिंग की समस्या न्यूनतम हो जाए.
2025 तक विकसित होगा पारेषण नेटवर्कउन्होंने बताया कि UPPTCL 2025 तक आवश्यक मांग के अनुरूप पारेषण नेटवर्क विकसित करने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है. वर्ष 2025 तक कुल मांग 31500 मेगावाट होने की उम्मीद है. इसके सापेक्ष आवश्यक पारेषण तंत्र के साथ ही कुल 198 नए पारेषण उपकेंद्र भी बनाए जाएंगे. पारेषण क्षमता भी 32400 मेगावाट व आयात क्षमता 16000 मेगावाट तक बढ़ाई जाएगी. उन्होंने ये भी निर्देश दिए कि ट्रांसमिशन लाइनों को बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि खेतिहर भूमि का अधिग्रहण ना हो, जिससे किसानों को कोई समस्या न हो.