लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली संकट (Electricity crisis in Uttar Pradesh) फिर से पैदा हो गया है. अक्टूबर में बढ़ी गर्मी से बिजली आपूर्ति बहाल कर पाना फिर से बिजली विभाग के लिए चुनौती साबित होने लगा है. पहले से ही बिजली की कमी से जूझ रहे यूपी पावर कॉरपोरेशन (UP Power Corporation) को उत्पादन इकाइयों ने भी झटका दे दिया है. इसके चलते दिक्कतों में और भी इजाफा हो गया है. आधा दर्जन इकाइयों से उत्पादन ठप होने, कई इकाइयों के पहले से बंद होने और कई इकाइयों के फोर्स आउटेज होने के कारण उत्पादन न कर पाने से स्थिति बिगड़ गई है.
हालांकि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री का दावा है कि एक से दो दिन में विद्युत आपूर्ति पटरी पर लौट आएगी और उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होगी. जब तक बिजली संकट बरकरार है उन्होंने उपभोक्ताओं से बेवजह ऊर्जा की खपत न करने की अपील की है. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (Energy Minister Arvind Kumar Sharma) का कहना है कि गर्मी बढ़़ने और सिक्किम के तीस्ता बेसिन में आई बाढ़ के अलावा केन्द्रीय सेक्टर से विद्युत उपलब्धता कम होने के साथ ही राज्य विद्युत उत्पादन निगम की परियोजनाओं की यूनिटों की वार्षिक मरम्मत के कारण बन्द होने से प्रदेश में विद्युत मांग और उपलब्धता में करीब तीन जार मेगावाट का अंतर आया है.
इससे नौ और 10 अक्टूबर को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से चार घण्टे की विद्युत कटौती की गई है. विद्युत की उपलब्धता बढ़ाने के लिये हर सम्भव कोशिश की जा रही है. आपूर्ति में सुधार कर ग्रामीण क्षेत्रों में 16 घण्टे विद्युत आपूर्ति शुरू की जाएगी. आगामी 18 अक्टूबर तक स्थिति सामान्य होने की ऊर्जा मंत्री ने सम्भावना जताई है.
कहा है कि एक अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक वर्ष 2022 में औसतन मांग 15,133 मेगावाट थी, जबकि इस समय 2023 में यह बढ़कर 20,042 मेगावाट पहुंच गई है. बुधवार को पीक आवर में बिजली की मांग 21,668 मेगावाट के मुकाबले विद्युत उपलब्धता 18,995 मेगावाट है. 12 अक्टूबर को विद्युत उपलब्धता बढ़कर 19,472, 13 अक्टूबर को 19,971, 14 अक्टूबर को 20,056, 15 अक्टूबर को 20,108, 16 अक्टूबर को 20,190, 17 अक्टूबर को 20,210 और 18 अक्टूबर को 20,220 तक पहुंच जाएगी. बाढ़ के कारण तीन केन्द्रीय परियोजनाएं तीस्ता जल विद्युत परियोजना (1200 मेगावाट), एनएचपीसी तीस्ता-वी की 510 मेगावाट और 100 मेगावाट की दिक्चू परियोजना में उत्पादन ठप है.
हर साल अक्टूबर में बिजली उत्पादन ईकाईयों की मरम्मत की जाती है. इस मरम्मत के कारण 1968 मेगावाट और 1340 मेगावाट क्षमता की विद्युत ईकाइयां तकनीकी कारणों से और केन्द्रीय सेक्टर की बन्द ईकाइयों से प्रदेश को बिजली नहीं प्राप्त हो रही है. कोयले की गुणवत्ता की कमी के कारण भी 1300 मेगावाट का विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है. बता दें कि केन्द्रीय सेक्टर की जो परियोजनाएं वार्षिक मेंटेनेंस के चलते बन्द है. उसमें टीआरएन एनर्जी (390) मेगावाट, ससान (660) सिंगरौली (500) केएसके (600) मेजा (660) टांडा 2 (660) मेगावाट परियोजनाएं शामिल हैं. फोर्स आउटेज की वजह से बारा (660), ऊंचाहार (500), हरदुआगंज (105), रोजा (300) और तीस्ता (200) उत्पादन नहीं कर पा रही हैं.