ETV Bharat / state

World Hindi Conference में हिस्‍सा लेने के लिए जाएंगे डॉ सूर्यकान्‍त - 12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले डाॅ. सूर्यकांत विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) में भाग लेने फिजी जाएंगे. इसके लिए उन्हें भारतीय प्रतिनिधि मंडल में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Feb 14, 2023, 11:29 AM IST

लखनऊ : 12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन आगामी 15 से 17 फरवरी तक नाडी (फिजी) में आयोजित किया जा रहा है, जिसका मुख्य विषय “हिन्दी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक“ रखा गया है. डॉ. सूर्यकान्त द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को समृद्ध करने में उल्लेखनीय योगदान दिया गया है, इसे देखते हुए भारत सरकार ने डॉ. सूर्यकान्त को विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में आमंत्रित किया है.

डॉ. सूर्यकान्त को उनके द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पहले भी मॉरिशस में हुए विश्व हिन्दी सम्मेलन (18 से 20 अगस्त 2018) में, भारत के सरकारी प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने का गौरव प्राप्त हो चुका है. केजीएमयू व देश के इतिहास में डॉ सूर्यकान्त पहले चिकित्सक हैं, जिन्होंने किसी भी विश्व हिन्दी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभाग किया. डॉ सूर्यकान्‍त ने अपना चिकित्सकीय एम.डी. शोध प्रबंध 1991 में “क्षय रोगों की अल्पावधि रसायन चिकित्सा में सह औषधियों की भूमिका“ हिंदी भाषा में लिखकर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में हिन्दी भाषा के स्थापन/प्रसार में एक नवीन इतिहास व कीर्तिमान स्थापित कर दिया था. डॉ. सूर्यकांत को हिंदी में शोध प्रबंध जमा करने की अनुमति एक वर्ष के सतत संघर्ष के बाद उप्र विधान सभा के ऐतिहासिक प्रस्ताव (14-08-1991) द्वारा मिली थी.



उन्हें भारत के प्रसिद्ध शीर्ष 58 लोगों में शामिल किया गया है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों और स्थानों में काम कर रहे हैं. डॉ. सूर्यकान्त को हाल ही में विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है. उन्हें अब तक विभिन्न संस्थाओं द्वारा 173 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. हिंदी भाषा की उन्नति में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर के विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी को समृद्ध करने के लिए दिया गया. “आत्माराम राष्ट्रीय पुरस्कार (2017)". इसके अतिरिक्त डॉ. सूर्यकान्त को मिलने वाले सम्मानों में उप्र हिन्दी संस्थान द्वारा अति प्रतिष्ठित विश्वविद्यालीय हिंदी पुरस्कार (2013) और “विद्या वाचस्पति“, “चिकित्सा शिरोमणि“ मानद उपाधि, एवं “साहित्य गौरव चिकित्सा वाचस्पति“ (अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सेवी संस्थान इलाहाबाद) प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा को चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित करने के लिए डॉ. सूर्यकान्त को अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल, (2012) इटावा हिन्दी निधि सम्मान (2009), विज्ञान प्रभा, लखनऊ (1993) आदि के द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.

डॉ सूर्यकान्त उप्र हिन्दी संस्थान के पुस्तक समीक्षक तथा उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की हिन्दी भाषा समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. डॉ. सूर्यकान्त मप्र शासन की ’’चिकित्सा पाठ्यक्रम हिन्दी माध्यम समिति’’ के सलाहकार सदस्य भी हैं. मध्य प्रदेश में हिन्दी भाषा में चिकित्सा शिक्षा का शुभारम्भ 16 अक्टूबर 2022 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किया जा चुका है. इस कार्यक्रम में डॉ सूर्यकान्त को विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग करने का अवसर मिला. डॉ. सूर्यकान्त ने केजीएमयू में हिन्दी भाषा में रोगियों एवं परिजनों के लिए विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी के लिए एक “चिकित्सा ज्ञान वाटिका“ की भी स्थापना की है. यह चिकित्सा ज्ञान वाटिका अपनी तरह का अभिनव प्रयोग है, जो कि हिन्दी भाषा में विश्व में पहली बार किया गया है. इस वाटिका से रोगियों एवं परिजनों को विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है.

डॉ. सूर्यकान्त ने केजीएमयू, लखनऊ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विगत 27 वर्षों से चिकित्सा शिक्षक, 18 वर्षों से प्रोफेसर व 11 वर्षों से विभागाध्यक्ष के रूप में रोगी के उपचार के पर्चों तथा उनके छुट्टी के कार्ड पर दवाओं के निर्देश हिन्दी में दिए जाने पर जोर दिया है. उनके इस प्रयास से रोगियों को अपनी दवाओं के दिशा निर्देश समझने में आसानी होती है. डॉ. सूर्यकान्त ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के प्रति चेतना तथा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में, अनेकों लेख (लगभग 1000) लिखे तथा दूरदर्शन, आकाशवाणी, ज्ञानवाणी और एफएम रेडियो के अनेक कार्यक्रमों में भागीदारी की. इसके अलावा उन्होंने चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों हिन्दी भाषा में 7 मौलिक पुस्तकों के माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने का उल्लेखनीय कार्य किया है.

यह भी पढ़ें : Lucknow News : 25 फरवरी से चार मार्च तक प्रभावित रहेंगी 19 शहरों की बिलिंग सेवाएं, जानें वजह

लखनऊ : 12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन आगामी 15 से 17 फरवरी तक नाडी (फिजी) में आयोजित किया जा रहा है, जिसका मुख्य विषय “हिन्दी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक“ रखा गया है. डॉ. सूर्यकान्त द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को समृद्ध करने में उल्लेखनीय योगदान दिया गया है, इसे देखते हुए भारत सरकार ने डॉ. सूर्यकान्त को विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में आमंत्रित किया है.

डॉ. सूर्यकान्त को उनके द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पहले भी मॉरिशस में हुए विश्व हिन्दी सम्मेलन (18 से 20 अगस्त 2018) में, भारत के सरकारी प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने का गौरव प्राप्त हो चुका है. केजीएमयू व देश के इतिहास में डॉ सूर्यकान्त पहले चिकित्सक हैं, जिन्होंने किसी भी विश्व हिन्दी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभाग किया. डॉ सूर्यकान्‍त ने अपना चिकित्सकीय एम.डी. शोध प्रबंध 1991 में “क्षय रोगों की अल्पावधि रसायन चिकित्सा में सह औषधियों की भूमिका“ हिंदी भाषा में लिखकर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में हिन्दी भाषा के स्थापन/प्रसार में एक नवीन इतिहास व कीर्तिमान स्थापित कर दिया था. डॉ. सूर्यकांत को हिंदी में शोध प्रबंध जमा करने की अनुमति एक वर्ष के सतत संघर्ष के बाद उप्र विधान सभा के ऐतिहासिक प्रस्ताव (14-08-1991) द्वारा मिली थी.



उन्हें भारत के प्रसिद्ध शीर्ष 58 लोगों में शामिल किया गया है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों और स्थानों में काम कर रहे हैं. डॉ. सूर्यकान्त को हाल ही में विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है. उन्हें अब तक विभिन्न संस्थाओं द्वारा 173 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. हिंदी भाषा की उन्नति में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर के विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी को समृद्ध करने के लिए दिया गया. “आत्माराम राष्ट्रीय पुरस्कार (2017)". इसके अतिरिक्त डॉ. सूर्यकान्त को मिलने वाले सम्मानों में उप्र हिन्दी संस्थान द्वारा अति प्रतिष्ठित विश्वविद्यालीय हिंदी पुरस्कार (2013) और “विद्या वाचस्पति“, “चिकित्सा शिरोमणि“ मानद उपाधि, एवं “साहित्य गौरव चिकित्सा वाचस्पति“ (अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सेवी संस्थान इलाहाबाद) प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा को चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित करने के लिए डॉ. सूर्यकान्त को अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल, (2012) इटावा हिन्दी निधि सम्मान (2009), विज्ञान प्रभा, लखनऊ (1993) आदि के द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.

डॉ सूर्यकान्त उप्र हिन्दी संस्थान के पुस्तक समीक्षक तथा उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की हिन्दी भाषा समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. डॉ. सूर्यकान्त मप्र शासन की ’’चिकित्सा पाठ्यक्रम हिन्दी माध्यम समिति’’ के सलाहकार सदस्य भी हैं. मध्य प्रदेश में हिन्दी भाषा में चिकित्सा शिक्षा का शुभारम्भ 16 अक्टूबर 2022 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किया जा चुका है. इस कार्यक्रम में डॉ सूर्यकान्त को विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग करने का अवसर मिला. डॉ. सूर्यकान्त ने केजीएमयू में हिन्दी भाषा में रोगियों एवं परिजनों के लिए विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी के लिए एक “चिकित्सा ज्ञान वाटिका“ की भी स्थापना की है. यह चिकित्सा ज्ञान वाटिका अपनी तरह का अभिनव प्रयोग है, जो कि हिन्दी भाषा में विश्व में पहली बार किया गया है. इस वाटिका से रोगियों एवं परिजनों को विभिन्न बीमारियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है.

डॉ. सूर्यकान्त ने केजीएमयू, लखनऊ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विगत 27 वर्षों से चिकित्सा शिक्षक, 18 वर्षों से प्रोफेसर व 11 वर्षों से विभागाध्यक्ष के रूप में रोगी के उपचार के पर्चों तथा उनके छुट्टी के कार्ड पर दवाओं के निर्देश हिन्दी में दिए जाने पर जोर दिया है. उनके इस प्रयास से रोगियों को अपनी दवाओं के दिशा निर्देश समझने में आसानी होती है. डॉ. सूर्यकान्त ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के प्रति चेतना तथा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में, अनेकों लेख (लगभग 1000) लिखे तथा दूरदर्शन, आकाशवाणी, ज्ञानवाणी और एफएम रेडियो के अनेक कार्यक्रमों में भागीदारी की. इसके अलावा उन्होंने चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों हिन्दी भाषा में 7 मौलिक पुस्तकों के माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने का उल्लेखनीय कार्य किया है.

यह भी पढ़ें : Lucknow News : 25 फरवरी से चार मार्च तक प्रभावित रहेंगी 19 शहरों की बिलिंग सेवाएं, जानें वजह

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.