जबलपुर: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए कथित गैंगरेप मामले में जिस महिला को नक्सली बताया गया, वह जबलपुर मेडिकल कॉलेज की लेक्चरर निकली है. अपने ऊपर लगे आरोपों पर डॉ. राजकुमारी बंसल ने सफाई देते हुए कहा कि वे पीड़ित परिवार को सहानुभूति देने के लिए गईं थी. उनके ऊपर जो भी आरोप लगे हैं, वो गलत हैं. वह हर किस्म की जांच के लिए तैयार हैं.
जबलपुर में सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की लेक्चरर राजकुमारी बंसल का कहना है कि वे हाथरस में पीड़ित परिवार के साथ चार दिन रह कर आई हैं. उत्तर प्रदेश एसआईटी ने डॉ. राजकुमारी बंसल को अपनी संदिग्ध सूची में रखा है, जिसमें उन्हें नक्सली बताया जा रहा है, लेकिन राजकुमारी बंसल ने इस आरोप को सिरे से नकारा है. उनका कहना है कि वह जबलपुर मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर हैं और वे हाथरस केवल इसलिए गईं थी, क्योंकि उनकी पीड़ित परिवार के प्रति सहानुभूति थी. इसके अलावा उन्होंने वहां न तो किसी को भड़काया है और न ही कोई गलत बयान दिया.
राजकुमारी बंसल का कहना है कि उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है. उनकी पीड़ा सिर्फ इतनी थी की एक पीड़ित दलित लड़की को जिस तरीके से प्रशासन ने रातोंरात अंतिम संस्कार कर किस्से को खत्म करने की कोशिश की है. उसमें वह परिवार अकेला पड़ गया था, इसलिए वे उस परिवार के साथ सहानुभूति देने के लिए गईं थी. उनकी मनसिकता किसी को उकसावे की नहीं थी. वे इस बात से व्यथित हैं कि पीड़ित परिवार के साथ प्रशासन ने जिस प्रकार का व्यवहार किया है वह नहीं करना चाहिए था.
यूपी के हाथरस मामले में फिलहाल जांच चल रही है. जांच के दौरान मामले में नक्सल कनेक्शन की बात सामने आई थी. बताया जा रहा है कि संदिग्ध नक्सली महिला पीड़िता के घर में भाभी बनकर रह रही थी और 16 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक पीड़िता के घर में रहकर नक्सली महिला बड़ी साजिश रच रही थी और परिवार को उकसाने का काम कर रही थी, जिसके बाद से पुलिस मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली महिला की तलाश में जुटी हुई थी.