लखनऊः मिशन शक्ति के तहत कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक का आयोजन किया गया. भिक्षावृत्ति जैसे संवेदनशील सामाजिक अपराध को कैसे समाप्त किया जाए इसको लेकर बैठक के दौरान विस्तृत चर्चा की गई. चौराहों पर भिक्षावृत्ति में संलिप्त परिवारों को वहां से काउंसलिंग कर हटाने और सरकार द्वारा चलाई जा रही स्पॉन्सरशिप एवं फास्टर केयर योजना से जोड़ने का काम किया जाएगा. इसके अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के 18 वर्ष से कम आयु और दो बच्चों को अधिकतम 3 वर्ष तक प्रति बालक धनराशि 2000 देने का प्रावधान किया गया है, जिससे भिक्षावृत्ति को समाज से कम किया जा सके.
रुचिता चौधरी पुलिस उपायुक्त महिला अपराध ने सुझाव दिया कि, थानों में गुमशुदा लोगों की सूची से मेल करते हुए लोगों को चिन्हित किया जाए. फोटो एवं वीडियोग्राफी के माध्यम से इन परिवारों के सदस्यों के पहचान की जाए. जिससे भिक्षावृत्ति को कम किया जा सकता है.
गरीमा स्वरूप अपर जिलाधिकारी ने अपने सुझाव प्रकट करते हुए बताया कि इन बच्चों के देखरेख के लिए यदि कुछ समृद्ध परिवार या सक्रिय संगठन इन्हें स्वीकार कर ले तो एक नया प्रयास होगा. जिससे संभवत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे. साथ ही भिक्षावृत्ति को समाज से कम किया जा सकता है. बताया कि यदि इन परिवारों के लिए जल्द ही शेल्टर होम की व्यवस्था कराई जाएगी.
भिक्षावृत्ति के विषय पर प्रचार प्रसार के माध्यम से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को जिला कार्यालय लखनऊ को साझा करने का अनुरोध किया गया है. ताकि प्रशासन द्वारा यथासंभव संस्थाओं का सहयोग किया जा सके. जिससे समाज में होने वाली भिक्षावृत्ति को कम किया जा सके.