ETV Bharat / state

सभी बाल संरक्षण गृह की सोशल मीडिया से हो रही निगरानी: जिला प्रोबेशन अधिकारी

author img

By

Published : Jun 24, 2020, 1:23 PM IST

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राजकीय बाल संरक्षण गृह में व्यवस्थाओं को लेकर ईटीवी भारत ने जिला प्रोबेशन अधिकारी से बातचीत की. इस दौरान बाल संरक्षण गृह की स्थिति के बारे में जानकारी जुटाई.

बाल संरक्षण गृह.
बाल संरक्षण गृह.

लखनऊ: कानपुर के राजकीय बाल संरक्षण गृह में संवासिनियों के गर्भवती होने का मामला सामने आने के बाद लखनऊ जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है. इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने राजधानी के जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे से विशेष बात की और शहर के सभी बाल गृह की स्थिति के बारे में जानकारी जुटाई.

जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.

जिलाधिकारी ने गठित की टीम
जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे ने बताया कि जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने इसके लिए अधिकारियों की एक टीम बनाई है. इस टीम में शामिल अपर जिलाधिकारी और सिटी मजिस्ट्रेट सभी संरक्षण गृह का औचक निरीक्षण करेंगे. उन्होंने कहा कि समय-समय पर वे भी संरक्षण गृह का दौरा करते हैं. साथ ही स्थिति का जायजा लेते हैं.

शहर में हैं 32 बाल संरक्षण गृह
सुधाकर शरण पांडे ने बताया कि वर्तमान समय में शहर में 32 संरक्षण गृह कार्य कर रहे हैं. इसमें से आठ राजकीय सहायता प्राप्त हैं और बाकी एनजीओ के सहयोग से संचालित किए जा रहे हैं.

सोशल मीडिया से की जा रही निगरानी
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया की सभी संरक्षण गृह के काउंसलर, सुपरिटेंडेंट और प्रबंधकों को सोशल मीडिया से जोड़ा गया है. इससे सभी हालातों पर निगरानी की जा रही है. उन्होंने कहा साथ ही साथ सभी बाल संरक्षण गृहों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है.

जुवेनाइल एक्ट 2015 का हो रहा पालन
जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कोई भी नाबालिग बालक या बालिका संरक्षण गृह में लाए जाते हैं तो उन्हें सीधे प्रवेश नहीं दिया जाता. उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्हें सक्षम प्राधिकारी के समक्ष पेश किया जाता है. इसके बाद उनका मेडिकल कराया जाता है और सक्षम प्राधिकारी के आदेश के बाद ही अंदर प्रवेश दिलाया जाता है. उन्होंने बताया कि हर एक जांच की जाती है. उसकी रिपोर्ट सक्षम अधिकारी को पेश की जाती है. उन्होंने कहा कि सक्षम अधिकारी के निर्देश पर ही कोई काम किया जाता है.

चिकित्सकों का नियमित होता है दौरा
सुधाकर शरण पांडे ने बताया कि समय-समय पर सभी नामित चिकित्सकों का दौरा होता है, जो सभी बच्चों और महिलाओं का परीक्षण करते हैं. उन्होंने कहा कि शहर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर आते हैं और यहां उनका परीक्षण करते हैं. सुधाकर शरण पांडे ने कहा कि लड़कों के लिए पुरुष डॉक्टर और महिलाओं और बालिकाओं के लिए गायनोलॉजिस्ट आते हैं और उनका टेस्ट करते हैं.

सुरक्षा के विशेष इंतजाम
सुरक्षा के इंतजामों पर जिला प्रोबेशन अधिकारी ने कहा कि उनके यहां सभी संरक्षण गृह सीसीटीवी से लैस हैं. इसके साथ-साथ यहां पर होमगार्ड की भी तैनाती की गई है. सभी स्टाफ की रोस्टर वाइज ड्यूटी लगाई जाती है. लॉकडाउन के समय सभी स्टाफ की साप्ताहिक ड्यूटी लगाई गई थी. वहीं कोविड-19 के चलते सभी संरक्षण गृह में अलग से एक क्वारंटाइन वार्ड बनाया गया है.

लखनऊ: कानपुर के राजकीय बाल संरक्षण गृह में संवासिनियों के गर्भवती होने का मामला सामने आने के बाद लखनऊ जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है. इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने राजधानी के जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे से विशेष बात की और शहर के सभी बाल गृह की स्थिति के बारे में जानकारी जुटाई.

जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.

जिलाधिकारी ने गठित की टीम
जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे ने बताया कि जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने इसके लिए अधिकारियों की एक टीम बनाई है. इस टीम में शामिल अपर जिलाधिकारी और सिटी मजिस्ट्रेट सभी संरक्षण गृह का औचक निरीक्षण करेंगे. उन्होंने कहा कि समय-समय पर वे भी संरक्षण गृह का दौरा करते हैं. साथ ही स्थिति का जायजा लेते हैं.

शहर में हैं 32 बाल संरक्षण गृह
सुधाकर शरण पांडे ने बताया कि वर्तमान समय में शहर में 32 संरक्षण गृह कार्य कर रहे हैं. इसमें से आठ राजकीय सहायता प्राप्त हैं और बाकी एनजीओ के सहयोग से संचालित किए जा रहे हैं.

सोशल मीडिया से की जा रही निगरानी
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया की सभी संरक्षण गृह के काउंसलर, सुपरिटेंडेंट और प्रबंधकों को सोशल मीडिया से जोड़ा गया है. इससे सभी हालातों पर निगरानी की जा रही है. उन्होंने कहा साथ ही साथ सभी बाल संरक्षण गृहों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है.

जुवेनाइल एक्ट 2015 का हो रहा पालन
जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कोई भी नाबालिग बालक या बालिका संरक्षण गृह में लाए जाते हैं तो उन्हें सीधे प्रवेश नहीं दिया जाता. उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्हें सक्षम प्राधिकारी के समक्ष पेश किया जाता है. इसके बाद उनका मेडिकल कराया जाता है और सक्षम प्राधिकारी के आदेश के बाद ही अंदर प्रवेश दिलाया जाता है. उन्होंने बताया कि हर एक जांच की जाती है. उसकी रिपोर्ट सक्षम अधिकारी को पेश की जाती है. उन्होंने कहा कि सक्षम अधिकारी के निर्देश पर ही कोई काम किया जाता है.

चिकित्सकों का नियमित होता है दौरा
सुधाकर शरण पांडे ने बताया कि समय-समय पर सभी नामित चिकित्सकों का दौरा होता है, जो सभी बच्चों और महिलाओं का परीक्षण करते हैं. उन्होंने कहा कि शहर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर आते हैं और यहां उनका परीक्षण करते हैं. सुधाकर शरण पांडे ने कहा कि लड़कों के लिए पुरुष डॉक्टर और महिलाओं और बालिकाओं के लिए गायनोलॉजिस्ट आते हैं और उनका टेस्ट करते हैं.

सुरक्षा के विशेष इंतजाम
सुरक्षा के इंतजामों पर जिला प्रोबेशन अधिकारी ने कहा कि उनके यहां सभी संरक्षण गृह सीसीटीवी से लैस हैं. इसके साथ-साथ यहां पर होमगार्ड की भी तैनाती की गई है. सभी स्टाफ की रोस्टर वाइज ड्यूटी लगाई जाती है. लॉकडाउन के समय सभी स्टाफ की साप्ताहिक ड्यूटी लगाई गई थी. वहीं कोविड-19 के चलते सभी संरक्षण गृह में अलग से एक क्वारंटाइन वार्ड बनाया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.