लखनऊ : लविवि में संचालित डिप्लोमा कोर्सेज को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही बड़ा निर्णय लेने जा रहा है. विश्वविद्यालय अपने यहां संचालित करीब 3 दर्जन से अधिक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स अगले शैक्षणिक सत्र से पूरी तरह से समाप्त (Diploma course end in Lucknow University) कर देगा. इनके स्थान पर विश्वविद्यालय प्रशासन ऑनलाइन मोड में नए कोर्सेज लांच करेगा. विद्यार्थी अपने रेगुलर विषय की पढ़ाई करने के साथ ही ऑनलाइन मोड में इन डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई कर सकेंगे. नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद से सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स का महत्व लगभग समाप्त हो गया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में करीब 36 डिप्लोमा कोर्सेज का संचालन किया जाता है. हर साल स्नातक व परास्नातक लेवल पर छात्रों से इन डिप्लोमा कोर्सेज में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे जाते हैं, लेकिन 4 या 5 कोर्सेज को छोड़ दें तो शेष कोर्सों में छात्र प्रवेश की रुचि भी नहीं लेते हैं. हालात यह है कि बीते 3 शैक्षणिक सत्रों से डिप्लोमा कोर्सेज के 30 से अधिक विषयों में एक भी छात्रों ने प्रवेश नहीं लिया है. हर साल इन विषयों में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन मानक के अनुरूप आवेदन ना आने पर इनको उस सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया जाता है. विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार, डिप्लोमा कोर्सों में प्रवेश के लिए कम से कम सीटों के सापेक्ष 60 प्रतिशत आवेदन आने चाहिए. उसके बाद ही इन कोर्सेज का संचालन हो सकता है, लेकिन ज्यादातर कोर्स में इक्का-दुक्का ही आवेदन आते हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन नियमों का हवाला देकर इन डिप्लोमा कोर्स को लगातार सत्र से सस्पेंड करता आ रहा है.
विद्यांत पीजी कॉलेज के प्रोफेसर व शिक्षक नेता प्रोफेसर मनीष हिन्दवी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में जो बदलाव किए गए हैं. उससे इन डिप्लोमा कोर्सेज के अस्तित्व को ही लगभग समाप्त कर दिया है. नई शिक्षा नीति में स्नातक डिग्री को तीन भागों में विभाजित किया है. पहले जहां तीन वर्ष की पढ़ाई करने के बाद छात्र को स्नातक की डिग्री प्रदान कर दी जाती थी, वहीं नई नीति के अनुसार, अगर कोई छात्र पहले साल में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे ड्रॉपआउट ना मानकर उसे उस कोर्स में सर्टिफिकेट प्रदान कर दिया जाएगा. इसी तरह दूसरे साल में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्र को डिप्लोमा, तीन साल की पढ़ाई पूरी करने वाले को डिग्री और चौथे साल के छात्र को डिग्री विद रिसर्च प्रदान किया जाएगा. ऐसी स्थिति में अलग से डिप्लोमा कोर्स के संचालन पर एक सवालिया निशान खड़ा हो गया है, वहीं अगर कोई छात्र चार साल की स्नातक की पढ़ाई पूरी करता है तो उसे परास्नातक एक साल का ही करना पड़ेगा. ऐसे में उस छात्र को एक साल में पीजी डिप्लोमा की डिग्री मिल जाएगी.
वहीं दूसरी तरफ लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने अगले सत्र से ऑनलाइन कोर्स शुरू करने का दावा किया है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अपने रेगुलर कोर्स के साथ ही कोई ऑनलाइन कोर्स करना चाहें तो वह विश्वविद्यालय से कर सकते हैं. इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने अगले सत्र से ही डुएल डिग्री प्रोग्राम को भी लागू करने का निर्णय लिया है. इसके लिए प्रवेश समिति में इस पर सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी गई है.