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लखनऊ: मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट के तहत खरीदे मॉनिटर नवजात के लिए कारगर नहीं

मेडिकल कॉरपोरेशन के ऊपर दवाइयों से लेकर तमाम आरोप लगे हैं. इसमें एक मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट में मॉनिटर से संबंधित आया है. इसमें गलत तरीके से टेंडर देने के साथ यह मॉनिटर नवजातों के लिए कारगर नहीं होने की बात सामने आई है. पूरे मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने प्रमुख सचिव स्तर से जांच की बात कही है.

मॉनिटर नवजात के लिए कारगर नहीं.
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Published : Oct 15, 2019, 10:59 AM IST

लखनऊ: प्रदेश में बीते दिनों मेडिकल कॉरपोरेशन के ऊपर दवाइयों से लेकर तमाम आरोप लगे हैं. इसी बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट में मॉनिटर से संबंधित आया है. इसमें टेंडर प्रक्रिया को लेकर बात सामने आई है. टेंडर प्रक्रिया में गलत कंपनी को एकतरफा फैसला करते हुए पूरा टेंडर देने की बात सामने आई है. इस पूरे मामले पर भी स्वास्थ्य मंत्री ने प्रमुख सचिव स्तर से जांच की बात कही है.

मॉनिटर नवजात के लिए कारगर नहीं.

मल्टी पैरामीटर खरीदने के लिए आवंटित किए गए 15 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये की लागत से मदर एंड चाइल्ड बैंक के लिए मॉनिटर खरीदे जा रहे हैं. मॉनिटर नवजातों के लिए कारगर नहीं होंगे. इनको 1 से 30 दिन तक के बच्चों के लिए खरीदा जाना है, लेकिन मॉनिटर 1 माह से ऊपर के बच्चों पर ही काम करेंगे. कॉरपोरेशन के माध्यम से करीब 34 जिलों में 500 मल्टी पैरामीटर खरीदना है. इसके लिए करीब 15 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया. वहीं इस पूरे मामले पर आरोप है कि अधिकारी अपनी कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में हैं.

टेंडर मामले में बरती जाएगी पारदर्शिता
इस पूरे मामले पर जांच करने की बात कही गई है. वहीं इस बीच एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में है. इस पूरे मामले पर जब प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं. यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.

उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता भी बरती जाएगी. बता दें कि यह मामला बीते दिनों सामने आया था. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था. वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी, लेकिन अब भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

इसे भी पढ़ें:- डॉ. कफील को BRD मामले में क्लीन चिट नहीं, प्रमुख सचिव चिकित्सा करेंगे जांच: स्वास्थ्य मंत्री

अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना
34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे, लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अधर में है. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए हैं. मदर एंड चाइल्ड के यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है.

लखनऊ: प्रदेश में बीते दिनों मेडिकल कॉरपोरेशन के ऊपर दवाइयों से लेकर तमाम आरोप लगे हैं. इसी बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट में मॉनिटर से संबंधित आया है. इसमें टेंडर प्रक्रिया को लेकर बात सामने आई है. टेंडर प्रक्रिया में गलत कंपनी को एकतरफा फैसला करते हुए पूरा टेंडर देने की बात सामने आई है. इस पूरे मामले पर भी स्वास्थ्य मंत्री ने प्रमुख सचिव स्तर से जांच की बात कही है.

मॉनिटर नवजात के लिए कारगर नहीं.

मल्टी पैरामीटर खरीदने के लिए आवंटित किए गए 15 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये की लागत से मदर एंड चाइल्ड बैंक के लिए मॉनिटर खरीदे जा रहे हैं. मॉनिटर नवजातों के लिए कारगर नहीं होंगे. इनको 1 से 30 दिन तक के बच्चों के लिए खरीदा जाना है, लेकिन मॉनिटर 1 माह से ऊपर के बच्चों पर ही काम करेंगे. कॉरपोरेशन के माध्यम से करीब 34 जिलों में 500 मल्टी पैरामीटर खरीदना है. इसके लिए करीब 15 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया. वहीं इस पूरे मामले पर आरोप है कि अधिकारी अपनी कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में हैं.

टेंडर मामले में बरती जाएगी पारदर्शिता
इस पूरे मामले पर जांच करने की बात कही गई है. वहीं इस बीच एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में है. इस पूरे मामले पर जब प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं. यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.

उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता भी बरती जाएगी. बता दें कि यह मामला बीते दिनों सामने आया था. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था. वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी, लेकिन अब भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

इसे भी पढ़ें:- डॉ. कफील को BRD मामले में क्लीन चिट नहीं, प्रमुख सचिव चिकित्सा करेंगे जांच: स्वास्थ्य मंत्री

अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना
34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे, लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अधर में है. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए हैं. मदर एंड चाइल्ड के यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है.

Intro:उत्तर प्रदेश में बीते दिनों मेडिकल कॉर्पोरेशन के ऊपर दवाइयों से लेकर 1 मिनट तक की तमाम आरोप लगे हैं उसे बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट में मॉनिटर संबंधित आया है जिसमें टेंडर प्रक्रिया से लेकर गलत कंपनी को टेंडर में एकतरफा फैसला करते हुए टेंडर में शामिल कर उसे पूरा टेंडर देने की बात सामने आई है। इस पूरे मामले पर भी स्वास्थ्य मंत्री द्वारा बीते दिनों प्रमुख सचिव स्तर से जांच की बात कही गई थी।




Body:उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपए की लागत से मदर एंड चाइल्ड बैंक के लिए खरीदे जा रहे हैं।मॉनिटर नवजातों के लिए कारगर नहीं होंगे इन 1 से 30 दिन तक के बच्चों के लिए खरीदा जाना है। लेकिन मॉनिटर 1 माह से ऊपर के बच्चों पर ही काम करेंगे। कॉपरेशन के माध्यम से करीब 34 जिलों में 500 multi-parameter विदेशी खरीदनी है। उसके लिए करीब 15 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया।वहीं इस पूरे मामले पर आरोप है कि ऑपरेशन के अधिकारी अपनी कंपनी को देने की तैयारी है। उन्होंने इस पूरे मामले पर जांच करने की बात कही गई है वही इस बीच एक बार फिर से इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा तेजी दिखाते हुए तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एक तरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में है।इस पूरे मामले पर जब हमने प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत करी तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं। यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता भी बरती जाएगी।बताते चलें यह मामला बीते दिनों सामने आया था इसके बाद स्वास्थ मंत्री ने भी उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन के निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था। तो वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी। लेकिन अभी भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना

34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे।लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अधर में है। दरअसल ऐसा इसलिए अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए। इसके लिए अधिकारियों द्वारा मदर एंड चाइल्ड के यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार की टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है।लेकिन अभी तक उन्हें टेंडर मे काम करने वाली कंपनियों नहीं मिल पाई।अधिकारी टेंडर प्रक्रिया कंपनी में शामिल करना चाहते हैं।वही पांचवी बार की टेंडर प्रक्रिया में भी रातों रात टेंडर खुल जाता है और एक कंपनी को टेंडर में शामिल कर उसे पूरा कार्य दे दिया जाता है। टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ एक कंपनी शामिल होने की वजह से सरकार को भी इस पूरे मामले में घाटा झेलना पड़ता है।टेंडर प्रक्रिया इसी वजह से लगाई जाती है जिससे कि सरकार को कम खर्चे में बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिल पाए।लेकिन अधिकारी अपने फायदे के लिए सरकार का नुकसान करा रहे हैं।

बाइट- देवेश चतुर्वेदी,प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश




Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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