लखनऊ: प्रदेश में बीते दिनों मेडिकल कॉरपोरेशन के ऊपर दवाइयों से लेकर तमाम आरोप लगे हैं. इसी बीच एक नया मामला मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट में मॉनिटर से संबंधित आया है. इसमें टेंडर प्रक्रिया को लेकर बात सामने आई है. टेंडर प्रक्रिया में गलत कंपनी को एकतरफा फैसला करते हुए पूरा टेंडर देने की बात सामने आई है. इस पूरे मामले पर भी स्वास्थ्य मंत्री ने प्रमुख सचिव स्तर से जांच की बात कही है.
मल्टी पैरामीटर खरीदने के लिए आवंटित किए गए 15 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये की लागत से मदर एंड चाइल्ड बैंक के लिए मॉनिटर खरीदे जा रहे हैं. मॉनिटर नवजातों के लिए कारगर नहीं होंगे. इनको 1 से 30 दिन तक के बच्चों के लिए खरीदा जाना है, लेकिन मॉनिटर 1 माह से ऊपर के बच्चों पर ही काम करेंगे. कॉरपोरेशन के माध्यम से करीब 34 जिलों में 500 मल्टी पैरामीटर खरीदना है. इसके लिए करीब 15 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया. वहीं इस पूरे मामले पर आरोप है कि अधिकारी अपनी कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में हैं.
टेंडर मामले में बरती जाएगी पारदर्शिता
इस पूरे मामले पर जांच करने की बात कही गई है. वहीं इस बीच एक बार फिर से उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा फैसला कर एक कंपनी को टेंडर देने की तैयारी में है. इस पूरे मामले पर जब प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच कर रहे हैं. यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.
उन्होंने कहा कि पूरे मामले में पारदर्शिता भी बरती जाएगी. बता दें कि यह मामला बीते दिनों सामने आया था. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन की निदेशक श्रुति सिंह को सभी फाइलों के साथ तलब किया था. वहीं इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव के स्तर से जांच बैठा दी थी, लेकिन अब भी हालात जस के तस बने हुए हैं.
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अधिकारी लगा रहे सरकार को चूना
34 जिलों में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में बीते दिनों मॉनिटर लगने थे, लेकिन यह मॉनिटर लगाने की व्यवस्था अधर में है. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकारी अपने पसंदीदा कंपनी को टेंडर देने की होड़ में लगे हुए हैं. मदर एंड चाइल्ड के यूनिट में लगाए जाने वाले मॉनिटर की अब तक चार से पांच बार टेंडर प्रक्रिया की जा चुकी है.