लखनऊ: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के मुद्दे पर ऊर्जा प्रबंधन और संगठन के बीच दो दिन से कायम गतिरोध मंगलवार शाम समाप्त हो गया. दोनों पक्षों के बीच हुई सफल वार्ता के बाद निजीकरण अगले तीन माह तक के लिए टाल दिया गया. इन तीन माह में बिजलीकर्मियों को अपने बेहतर काम से खुद को साबित करना होगा. ऊर्जा प्रबंधन ने बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को 15 जनवरी 2021 तक का समय दिया है. दोनों पक्षों में सफल वार्ता के बाद अब विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से प्रदेश भर में जारी कार्य बहिष्कार फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.
प्रदेश की योगी सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की उपस्थिति में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारियों के बीच निजीकरण को लेकर वार्ता हुई. इस दौरान काफी देर तक दोनों पक्षों के बीच विभिन्न बिंदुओं को लेकर चर्चा हुई. समिति के पदाधिकारी इस बात को लेकर अड़े रहे कि उन्हें निजीकरण किसी कीमत पर मंजूर नहीं. इसके बाद ऊर्जा प्रबंधन झुका और तीन माह के लिए निजीकरण टालने का फैसला लिया. बिजली कर्मियों को विभाग में सुधार के लिए यह समय दिया गया.
राजस्व वसूली के साथ ही समय पर बिल उपलब्ध कराने और उपभोक्ताओं की शिकायतें दूर करने के साथ ही विभाग के हित में काम करने के लिए कहा गया है. भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगाने की भी बात कही गई है. इसके अलावा वार्ता में यह भी पक्ष रखा गया कि आगामी 15 जनवरी 2021 को काम की समीक्षा की जाएगी, जिसमें ऊर्जा मंत्री, प्रबंधन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति मिलकर अमल करेंगे कि इन तीन माह में क्या परिणाम सामने आए हैं.
वार्ता में ये भी निर्णय लिया गया कि अब तक आंदोलन के दौरान संविदाकर्मी, विद्युत कर्मचारी, अवर अभियंता एवं अभियंताओं के खिलाफ किसी प्रकार के उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं की जाएगी. जिन भी थानों में मुकदमे दर्ज होंगे उन्हें बिना शर्त वापस लिया जाएगा. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि सफल वार्ता के बाद अब कार्य बहिष्कार खत्म करने का फैसला लिया गया है. सभी कल फिर से पूर्व की तरह काम पर रहेंगे.