लखनऊः उत्तर प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थानों में पढ़ रहे तीन लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं की गोपनीय सूचनाएं लीक होने का खतरा बढ़ गया है. इसमें छात्रों की फोटो, माता-पिता का नाम, मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी जैसी सूचनाएं शामिल हैं. ये सूचनाएं परीक्षा फार्म के रूप में प्राविधिक शिक्षा परिषद और यूराईज पोर्टल (urize portal) (छात्र सशक्तिकरण के लिए एकीकृत नवप्रवर्तन) के साथ साझा की गई है.
प्राविधिक शिक्षा परिषद ने आशंका जताई है कि यूराईज पोर्टल के साथ छात्रों की गोपनीय जानकारियों को साझा करना सुरक्षित नहीं है. ऐसे में बोर्ड ने शासन की ओर से लागू की गई इस व्यवस्था को समाप्त किए जाने का फैसला कर लिया है. इस संबंध में शासन को पत्र भी भेज दिया गया है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में संचालित सभी राजकीय, सहायता प्राप्त और निजी पॉलीटेक्निक संस्थानों में दाखिले और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दो अलग-अलग संस्थाओं के पास है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद दाखिले कराती है. प्रवेश के बाद प्रवेश परीक्षा परिषद दाखिला लेने वाले छात्रों का डाटा प्राविधिक शिक्षा परिषद को भेजता है. प्राविधिक शिक्षा परिषद इस डाटा के हिसाब से परीक्षा कराती है.
बीती एक फरवरी को शासन की तरफ से नई व्यवस्था लागू की गई है. शासन ने अपने स्तर पर ही यू-राइज पोर्टल के संचालन का फरमान जारी किया. इस नई व्यवस्था में छात्रों को परीक्षा फार्म यू-राइज के पोर्टल पर जाकर भरना था. ऐसे में उनकी सभी गोपनीय सूचनाएं थर्ड पार्टी के पास पहुंच गई.
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प्राविधिक शिक्षा परिषद की 58वीं बैठक में अध्यक्ष विद्या सागर गुप्ता समेत अन्य सदस्यों ने इस पर आपत्ति उठाई. उनकी ओर से थर्ड पार्टी व्यवस्था की वैधानिकता पर ही सवाल खड़े किए गए. सदस्यों ने बताया कि उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा-1962 यथासंशोधित 1974 की धारा-23 में स्पष्ट व्यवस्था की गई है कि कोई भी नियम एवं विनियमों को तैयार कर उसके अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को संस्तुति भेजी जाएगी. जिस पर राज्य सरकार द्वारा प्रेषित प्रस्ताव पर अनुमोदन, संशोधन अथवा विनियमों में परिवर्तन किया जा सकता है. यू-राइज पोर्टल की बाहरी व्यवस्था को लागू करते समय शासन ने परिषद के सदस्यों से किसी प्रकार का अनुमोदन या स्वीकृति नहीं ली है. इसके चलते परिषद ने सर्वसम्मति से यू-राइज पोर्टल की व्यवस्था को समाप्त करने का फैसला लिया है.
यू-राइज पोर्टल की व्यवस्था को लागू करने के लिए अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. इस पूरे प्रकरण को लाखों छात्रों की सूचनाओं को खतरे में डालकर कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के खेल के रूप में देखा जा रहा है.