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पावर टेक कंपनी के मीटर लगाने पर लगी रोक, जानें क्यों

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने पावर टेक कंपनी के मीटरों को लगाने पर रोक लगा दी है. अब सभी उपभोक्ताओं के घर से मीटर उतारे जाएंगे और बिल संशोधित किया जाएगा. बता दें कि इन स्मार्ट मीटरों में बड़ी तकनीकी खामियां सामने आईं थीं और बड़े पैमाने पर रीडिंग व भार जंपिंग के मामले सामने आए थे.

पावर टेक कंपनी के मीटर लगाने पर लगी रोक
पावर टेक कंपनी के मीटर लगाने पर लगी रोक
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Published : Nov 2, 2020, 12:49 AM IST

लखनऊ: प्रदेश में पिछले पांच सालों में लगभग 2,500 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक, प्रीपेड और स्मार्ट मीटर की खरीदारी की जा चुकी है. घटिया क्वालिटी के मीटर लेकर उपभोक्ताओं के यहां लगाए जाते हैं. बाद में इन्हीं मीटरों को बदलने के लिए फिर से टेंडर होता है. यहीं पर बड़े स्तर पर घोटाला किया जाता है.

पांच सालों में सैकड़ों करोड़ रुपये के मीटर खरीदे जाने की लगातार उत्तर प्रदेश सरकार से सीबीआई जांच की मांग भी की जा रही है. अब एक बार फिर घटिया स्मार्ट मीटर पर सवाल खड़े हुए हैं तो दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने पावर टेक कंपनी के मीटरों को लगाने पर रोक लगा दी है. सभी उपभोक्ताओं के घर से मीटर उतारे जाएंगे और बिल संशोधित किया जाएगा.

मीटर में सामने आईं थी गड़बड़ियां
सौभाग्य योजना में उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाने के लिए पावर टेक मीटर कंपनी से मीटर लिए गए थे. इन मीटरों में बड़ी तकनीकी खामियां सामने आईं थीं और बड़े पैमाने पर रीडिंग व भार जंपिंग के मामले सामने आए थे. इस पर रविवार को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने पावर टेक मीटर लगाने पर रोक लगा दी है. शिकायत आने पर उसे बदलने का निर्देश जारी किया है.

10 सदस्यीय टीम कर रही है जांच
बता दें कि जन्माष्टमी पर स्मार्ट मीटर बत्ती गुल प्रकरण, भार जंपिंग, मीटर रीडिंग जंपिंग के बाद अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है. तीन माह में यूएटी टेस्ट करने के लिए 10 सदस्यीय टीम जांच में लगी है. सवाल यह उठता है कि यूएटी जांच किए बिना स्मार्ट मीटर लगाने का काम क्यों शुरू कराया गया और कई जांच रिपोर्ट आने के बाद भी आज तक किसी दोषी अभियंता पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इतना ही नहीं किसी मीटर निर्माता कंपनी को ब्लैकलिस्ट तक नहीं किया गया.

क्या है यूएटी टेस्ट
जब भी कोई नया सॉफ्टवेयर किसी भी योजना के लिए लागू किया जाता है तो सबसे पहले यूजर एक्सेप्टेन्स टेस्ट (यूएटी) किया जाता है. ये कई चरणों में पूरे सिस्टम में होता है, जिसमें एक छोर से दूसरे छोर तक सभी घटकों का परीक्षण किया जाता है. उसमें स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता व उसके हर पहलू की बारीकी से जांच होती है कि अब इस सिस्टम को चालू किया जाए कि नहीं. अब सवाल ये है कि स्मार्ट मीटर परियोजना को लागू करने के पहले अगर यूएटी टेस्ट किया गया होता तो न भार जंपिंग का मामला निकलता न रीडिंग जंपिंग का और न ही स्मार्ट मीटर बत्ती गुल का मामला सामने आता?

मीटर खरीद की सीबीआई जांच हो
पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में लगभग दो हजार करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक मीटर व लगभग 500 करोड़ के 12 लाख स्मार्ट मीटर खरीदे गए हैं. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश सरकार और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मीटर खरीदारी की सीबीआई जांच कराने की मांग की है.

लखनऊ: प्रदेश में पिछले पांच सालों में लगभग 2,500 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक, प्रीपेड और स्मार्ट मीटर की खरीदारी की जा चुकी है. घटिया क्वालिटी के मीटर लेकर उपभोक्ताओं के यहां लगाए जाते हैं. बाद में इन्हीं मीटरों को बदलने के लिए फिर से टेंडर होता है. यहीं पर बड़े स्तर पर घोटाला किया जाता है.

पांच सालों में सैकड़ों करोड़ रुपये के मीटर खरीदे जाने की लगातार उत्तर प्रदेश सरकार से सीबीआई जांच की मांग भी की जा रही है. अब एक बार फिर घटिया स्मार्ट मीटर पर सवाल खड़े हुए हैं तो दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने पावर टेक कंपनी के मीटरों को लगाने पर रोक लगा दी है. सभी उपभोक्ताओं के घर से मीटर उतारे जाएंगे और बिल संशोधित किया जाएगा.

मीटर में सामने आईं थी गड़बड़ियां
सौभाग्य योजना में उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाने के लिए पावर टेक मीटर कंपनी से मीटर लिए गए थे. इन मीटरों में बड़ी तकनीकी खामियां सामने आईं थीं और बड़े पैमाने पर रीडिंग व भार जंपिंग के मामले सामने आए थे. इस पर रविवार को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने पावर टेक मीटर लगाने पर रोक लगा दी है. शिकायत आने पर उसे बदलने का निर्देश जारी किया है.

10 सदस्यीय टीम कर रही है जांच
बता दें कि जन्माष्टमी पर स्मार्ट मीटर बत्ती गुल प्रकरण, भार जंपिंग, मीटर रीडिंग जंपिंग के बाद अब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है. तीन माह में यूएटी टेस्ट करने के लिए 10 सदस्यीय टीम जांच में लगी है. सवाल यह उठता है कि यूएटी जांच किए बिना स्मार्ट मीटर लगाने का काम क्यों शुरू कराया गया और कई जांच रिपोर्ट आने के बाद भी आज तक किसी दोषी अभियंता पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इतना ही नहीं किसी मीटर निर्माता कंपनी को ब्लैकलिस्ट तक नहीं किया गया.

क्या है यूएटी टेस्ट
जब भी कोई नया सॉफ्टवेयर किसी भी योजना के लिए लागू किया जाता है तो सबसे पहले यूजर एक्सेप्टेन्स टेस्ट (यूएटी) किया जाता है. ये कई चरणों में पूरे सिस्टम में होता है, जिसमें एक छोर से दूसरे छोर तक सभी घटकों का परीक्षण किया जाता है. उसमें स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता व उसके हर पहलू की बारीकी से जांच होती है कि अब इस सिस्टम को चालू किया जाए कि नहीं. अब सवाल ये है कि स्मार्ट मीटर परियोजना को लागू करने के पहले अगर यूएटी टेस्ट किया गया होता तो न भार जंपिंग का मामला निकलता न रीडिंग जंपिंग का और न ही स्मार्ट मीटर बत्ती गुल का मामला सामने आता?

मीटर खरीद की सीबीआई जांच हो
पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में लगभग दो हजार करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक मीटर व लगभग 500 करोड़ के 12 लाख स्मार्ट मीटर खरीदे गए हैं. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश सरकार और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मीटर खरीदारी की सीबीआई जांच कराने की मांग की है.

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