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IPL की सट्टा एप्लीकेशन को साइबर ठगों ने बनाया हथियार, जानिए कैसे कर रहे जालसाजी

प्रदेश में लोगों को ठगने के लिए साइबर ठग नए-नए तरीके निकाल रहे हैं. आईपीएल की सट्टा एप्लीकेशन को साइबर ठग हथियार बना रहे हैं,

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Published : Apr 18, 2023, 12:22 PM IST

लखनऊ : देश में आईपीएल की धूम है, क्रिकेट प्रेमी अपनी मनपसंद टीम को टीवी के सामने और स्टेडियम में जाकर चीयर कर रहे हैं. हालांकि कुछ ऐसे भी हैं, जो फेवरेट टीम बनाकर मोबाइल एप्लीकेशन में पैसे कमाने का सपना देख रहे हैं और इसी सपने को हथियार बना रहे हैं साइबर अपराधी. बीते दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें बेस्ट टीम बनाकर देने का वादा कर ये साइबर ठग लोगों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं.

इंस्ट्राग्राम पर ठग के झांसे में आया पीड़ित : राजधानी के कल्याणपुर के रहने वाले संदीप शर्मा, बीते 4 वर्षों से मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए आईपीएल मैच की टीम 11 बना रहे हैं, हालांकि इन चार वर्षों में उन्होंने पैसे गंवाए ही हैं. इसी दौरान 9 अप्रैल को संदीप ने इंस्ट्राग्राम में एक पोस्ट देखी, जिसमें लिखा था कि 'जिस भाई को टीम चाहिए मिलेगा 1 से 5 रैंक तक कन्फर्म कराऊंगा और जीतने होने के बाद में 10% देना पड़ेगा अगर जीते नहीं हुआ तो 51000 का इनाम मिलेगा.' संदीप ने उस पोस्ट के नीचे दिए गए नंबर पर कॉल की तो फोन उठाने वाले ने उनसे कुछ सवाल किए और व्हाट्सएप में एक यूपीआई बार कोड और एक लिंक भेजा. संदीप से कहा गया कि 399 रुपए मेंबरशिप फीस है, इसे बार कोड के द्वारा भेजने के बाद लिंक को ओपन पर दिए गए निर्देशों का पालन कीजिए. संदीप ने अपनी किस्मत आजमाने के लिए पहले 399 रुपए का पेमेंट किया और फिर लिंक खोल कर निर्देशों का पालन किया. कुछ ही देर में संदीप के बैंक एकाउंट से 7365 रुपए कट गए. दोबारा उस नंबर पर कॉल की गई तो फोन नहीं उठाया गया.

साइबर पुलिस भी है हैरान : संदीप जैसे आलमबाग के रोहित, पीजीआई इलाके के मोहम्मद रिजवान भी साइबर ठगों के इस तरह की जालसाजी के झांसे में आकर अपने पैसे गंवा चुके हैं. एसीपी साइबर सेल अभिनव कहते हैं कि सबसे पहले इन पीड़ितों को स्थानीय थाने या फिर साइबर सेल में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि उनकी टीम ऐसे ठगों को पकड़ सके. अभिनव कहते हैं कि मोबाइल एप्लीकेशन में अपनी फेवरेट 11 बनाने के चक्कर में आज के युवा जमकर अपनी पूंजी गंवा रहे हैं. इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि जो युवा पैसे हार चुके होते हैं वो बहुत ही आसानी से इन ठगों के झांसे में आ जाते हैं और उनकी हर कही हुई बातों पर भरोसा कर लेते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ता है. एसीपी अभिनव के मुताबिक, उनकी टीम ऐसे अपराधियों पर नजर बनाए हुए है, जल्द ही इनके नेक्सस का खुलासा किया जाएगा.'

एक्सपर्ट की बातों पर करें गौर : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, 'साइबर सुरक्षा को लेकर समय-समय पर पुलिस और हमारे जैसे एक्सपर्ट लोगों को बताते रहते हैं कि किसी भी हाल में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे जाने वाले लिंक को क्लिक न करें. खासतौर वो उस डिवाइस में तो बिल्कुल नही, जिसमें आप यूपीआई या फिर बैंक एप्लिकेशन चलाते हों. बावजूद इसके लोग कुछ पैसे के लालच में साइबर ठगों के झांसे में आ जाते हैं और उनकी हर कही हुई बातों पर भरोसा कर उन्हें फॉलो करने लगते हैं. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि वैसे तो युवाओं को ऐसी सट्टा एप्लीकेशन से दूरी बनानी चाहिए, लेकिन अगर आप उसे यूज कर भी रहे हैं तो सोशल मीडिया में जिताऊ टीम बनाकर देने वाली पोस्ट पर ध्यान न दें. यदि आप इन साइबर ठगों के झांसे में आ गए हैं तो पैसे कटने के बाद तत्काल 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज कराएं या फिर स्थानीय थाने व साइबर थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराएं.'

यह भी पढ़ें : कई सीटों पर भाजपा ने चर्चा से बाहर रहे चेहरों को उतारकर सबको चौंकाया

लखनऊ : देश में आईपीएल की धूम है, क्रिकेट प्रेमी अपनी मनपसंद टीम को टीवी के सामने और स्टेडियम में जाकर चीयर कर रहे हैं. हालांकि कुछ ऐसे भी हैं, जो फेवरेट टीम बनाकर मोबाइल एप्लीकेशन में पैसे कमाने का सपना देख रहे हैं और इसी सपने को हथियार बना रहे हैं साइबर अपराधी. बीते दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें बेस्ट टीम बनाकर देने का वादा कर ये साइबर ठग लोगों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं.

इंस्ट्राग्राम पर ठग के झांसे में आया पीड़ित : राजधानी के कल्याणपुर के रहने वाले संदीप शर्मा, बीते 4 वर्षों से मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए आईपीएल मैच की टीम 11 बना रहे हैं, हालांकि इन चार वर्षों में उन्होंने पैसे गंवाए ही हैं. इसी दौरान 9 अप्रैल को संदीप ने इंस्ट्राग्राम में एक पोस्ट देखी, जिसमें लिखा था कि 'जिस भाई को टीम चाहिए मिलेगा 1 से 5 रैंक तक कन्फर्म कराऊंगा और जीतने होने के बाद में 10% देना पड़ेगा अगर जीते नहीं हुआ तो 51000 का इनाम मिलेगा.' संदीप ने उस पोस्ट के नीचे दिए गए नंबर पर कॉल की तो फोन उठाने वाले ने उनसे कुछ सवाल किए और व्हाट्सएप में एक यूपीआई बार कोड और एक लिंक भेजा. संदीप से कहा गया कि 399 रुपए मेंबरशिप फीस है, इसे बार कोड के द्वारा भेजने के बाद लिंक को ओपन पर दिए गए निर्देशों का पालन कीजिए. संदीप ने अपनी किस्मत आजमाने के लिए पहले 399 रुपए का पेमेंट किया और फिर लिंक खोल कर निर्देशों का पालन किया. कुछ ही देर में संदीप के बैंक एकाउंट से 7365 रुपए कट गए. दोबारा उस नंबर पर कॉल की गई तो फोन नहीं उठाया गया.

साइबर पुलिस भी है हैरान : संदीप जैसे आलमबाग के रोहित, पीजीआई इलाके के मोहम्मद रिजवान भी साइबर ठगों के इस तरह की जालसाजी के झांसे में आकर अपने पैसे गंवा चुके हैं. एसीपी साइबर सेल अभिनव कहते हैं कि सबसे पहले इन पीड़ितों को स्थानीय थाने या फिर साइबर सेल में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि उनकी टीम ऐसे ठगों को पकड़ सके. अभिनव कहते हैं कि मोबाइल एप्लीकेशन में अपनी फेवरेट 11 बनाने के चक्कर में आज के युवा जमकर अपनी पूंजी गंवा रहे हैं. इसी का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि जो युवा पैसे हार चुके होते हैं वो बहुत ही आसानी से इन ठगों के झांसे में आ जाते हैं और उनकी हर कही हुई बातों पर भरोसा कर लेते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ता है. एसीपी अभिनव के मुताबिक, उनकी टीम ऐसे अपराधियों पर नजर बनाए हुए है, जल्द ही इनके नेक्सस का खुलासा किया जाएगा.'

एक्सपर्ट की बातों पर करें गौर : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक, 'साइबर सुरक्षा को लेकर समय-समय पर पुलिस और हमारे जैसे एक्सपर्ट लोगों को बताते रहते हैं कि किसी भी हाल में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे जाने वाले लिंक को क्लिक न करें. खासतौर वो उस डिवाइस में तो बिल्कुल नही, जिसमें आप यूपीआई या फिर बैंक एप्लिकेशन चलाते हों. बावजूद इसके लोग कुछ पैसे के लालच में साइबर ठगों के झांसे में आ जाते हैं और उनकी हर कही हुई बातों पर भरोसा कर उन्हें फॉलो करने लगते हैं. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि वैसे तो युवाओं को ऐसी सट्टा एप्लीकेशन से दूरी बनानी चाहिए, लेकिन अगर आप उसे यूज कर भी रहे हैं तो सोशल मीडिया में जिताऊ टीम बनाकर देने वाली पोस्ट पर ध्यान न दें. यदि आप इन साइबर ठगों के झांसे में आ गए हैं तो पैसे कटने के बाद तत्काल 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज कराएं या फिर स्थानीय थाने व साइबर थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराएं.'

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