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यूपी विधानसभा के 45 विधायकों पर आपराधिक आरोप, ADR ने जारी की रिपोर्ट

यूपी विधानसभा के 45 विधायकों पर आपराधिक आरोप है. ये एडीआर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है.

ADR ने जारी की रिपोर्ट
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Published : Dec 24, 2021, 4:09 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा के 45 विधायकों पर अधिनियम 1951की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत न्यायालय ने आरोप तय किये हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म और यूपी इलेक्शन वॉच ने उत्तर प्रदेश विधानसभा 2017 के 396 वर्तमान विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट जारी की है.

एडीआर के मुख्य प्रदेश से संयोजक संजय सिंह ने आज बताया कि विधानसभा के इन 396 में से 45 (12 प्रतिशत) ऐसे विधायक है, जिनके ऊपर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आने वाले अपराधों के लिए न्यायालय द्वारा आरोप तय किए गए है. इस रिपोर्ट में निम्नलिखित बातों का विश्लेषण किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(1) के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(2) के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें कम से कम 6 महीने की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर आयोग्य घोषित किया जाएगा. इसी प्रकार आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(3) के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें 2 साल से कम की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा.

आ.पी. अधिनियम, 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(1), (2) और (3) के बारे में जनप्रतिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में संसद के किसी भी सदन के सदस्य के साथ-साथ विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में होने और चुने जाने वाले व्यक्तियों के लिए अयोग्यता का प्रावधान है. अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उपधारा में उल्लिखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य किया जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल बाद तक की अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा.

जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराध गंभीर/भयानक/जघन्य प्रकृति के हैं और भारतीय दंड संहिता, 1860(आईपीसी) के तहत हत्या, बलात्कार, डकैती, लूट, अपहरण, महिलाओं के ऊपर अत्याचार, रिश्वत, अनुचित प्रभाव, धर्म, नस्ल, भाषा, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता जैसे अपराध शामिल हैं. इसमें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग, उत्पादन, विनिर्माण, खेती, कब्जा, बिक्री, खरीद, परिवहन, भंडारण और किसी भी नशीली दवा या मनः प्रभावी पदार्थ के सेवन से संबंधित अपराध एफईआरए 1973 से संबंधित अपराध, जमाखोरी और मुनाफाखोरी से संबंधित अपराध, भोजन और दवाओं में मिलावट, दहेज आदि से संबंधित अपराध भी शामिल हैं. इसके अलावा, धारा 8 में उन सभी अपराधों को भी शामिल किया गया है जहां एक व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई जाती है.

आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायक दलवार जिनके ऊपर आर.पी. अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए हैं.

इसे भी पढ़ें- केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी से ब्लैकमेलिंग का पर्दाफाश, गैंग के पांच सदस्य गिरफ्तार

ये है स्थिति

- 45 विधायकों ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनके ऊपर आर.पी. अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए हैं.

- दलों में बीजेपी के सबसे अधिक 32 विधायकों, इसके बात एसपी के 5 और बीएसपी और अपनादल (एस) प्रत्येक के 3 विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनके ऊपर आर.पी. अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए है.

- 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है.

- 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं.

- वर्तमान विधायकों का पूरा विवरण जिनके ऊपर आ.पी. अधिनियम, 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आने वाले अपराधों के लिए न्यायालय द्वारा आरोप तय किए गए हैं और जिन पर 20 से अधिक सालों से मामले लंबित हैं. जिनमें पहले स्थान पर बीजेपी के मरिहन निर्वाचन क्षेत्र से रमाशंकर सिंह दूसरे स्थान पर बीएसपी के मऊ से मुख्तार अंसारी तीसरे स्थान पर बीजेपी के धामपुर से अशोक कुमार राणा हैं.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा के 45 विधायकों पर अधिनियम 1951की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत न्यायालय ने आरोप तय किये हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म और यूपी इलेक्शन वॉच ने उत्तर प्रदेश विधानसभा 2017 के 396 वर्तमान विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट जारी की है.

एडीआर के मुख्य प्रदेश से संयोजक संजय सिंह ने आज बताया कि विधानसभा के इन 396 में से 45 (12 प्रतिशत) ऐसे विधायक है, जिनके ऊपर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आने वाले अपराधों के लिए न्यायालय द्वारा आरोप तय किए गए है. इस रिपोर्ट में निम्नलिखित बातों का विश्लेषण किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(1) के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(2) के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें कम से कम 6 महीने की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर आयोग्य घोषित किया जाएगा. इसी प्रकार आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(3) के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें 2 साल से कम की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा.

आ.पी. अधिनियम, 1951 (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 8(1), (2) और (3) के बारे में जनप्रतिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में संसद के किसी भी सदन के सदस्य के साथ-साथ विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में होने और चुने जाने वाले व्यक्तियों के लिए अयोग्यता का प्रावधान है. अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उपधारा में उल्लिखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य किया जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल बाद तक की अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा.

जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराध गंभीर/भयानक/जघन्य प्रकृति के हैं और भारतीय दंड संहिता, 1860(आईपीसी) के तहत हत्या, बलात्कार, डकैती, लूट, अपहरण, महिलाओं के ऊपर अत्याचार, रिश्वत, अनुचित प्रभाव, धर्म, नस्ल, भाषा, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता जैसे अपराध शामिल हैं. इसमें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग, उत्पादन, विनिर्माण, खेती, कब्जा, बिक्री, खरीद, परिवहन, भंडारण और किसी भी नशीली दवा या मनः प्रभावी पदार्थ के सेवन से संबंधित अपराध एफईआरए 1973 से संबंधित अपराध, जमाखोरी और मुनाफाखोरी से संबंधित अपराध, भोजन और दवाओं में मिलावट, दहेज आदि से संबंधित अपराध भी शामिल हैं. इसके अलावा, धारा 8 में उन सभी अपराधों को भी शामिल किया गया है जहां एक व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई जाती है.

आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायक दलवार जिनके ऊपर आर.पी. अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए हैं.

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ये है स्थिति

- 45 विधायकों ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनके ऊपर आर.पी. अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए हैं.

- दलों में बीजेपी के सबसे अधिक 32 विधायकों, इसके बात एसपी के 5 और बीएसपी और अपनादल (एस) प्रत्येक के 3 विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनके ऊपर आर.पी. अधिनियम 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए है.

- 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है.

- 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं.

- वर्तमान विधायकों का पूरा विवरण जिनके ऊपर आ.पी. अधिनियम, 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत आने वाले अपराधों के लिए न्यायालय द्वारा आरोप तय किए गए हैं और जिन पर 20 से अधिक सालों से मामले लंबित हैं. जिनमें पहले स्थान पर बीजेपी के मरिहन निर्वाचन क्षेत्र से रमाशंकर सिंह दूसरे स्थान पर बीएसपी के मऊ से मुख्तार अंसारी तीसरे स्थान पर बीजेपी के धामपुर से अशोक कुमार राणा हैं.

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