लखनऊ: प्रदेश में सोमवार को दो कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं. वहीं इस दौरान बीते 24 घंटों में दो मरीज रिकवर भी हुए है. इसी के साथ एक्टिव केस का आंकड़ा 26 पहुंच गया हैं. सोमवार सुबह आई रिपोर्ट में राज्य के 18 जिलों में कोरोना संक्रमण के मरीज पाए गए हैं. वहीं, बीते 24 घंटे में कुल 33 हजार 539 सैंपल की जांच हुई हैं. हालांकि रविवार सुबह राज्य में एक भी संक्रमित मरीज नही मिला था. फिलहाल प्रदेशभर में 22 मरीज होम आइसोलेशन में हैं.
इस दौरान लखनऊ के मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक भी हुई. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि कोरोना से मुकाबले की तैयारियां पूरी हैं. राजधानी के अस्पतालों में लगभग 3872 बेड क्रियाशील हैं. इसमें आईसोलेशन से लेकर वेंटिलेटर तक की सुविधा है. अस्पतालों में जरूरी दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था है. सरकारी अस्पतालों में कोरोना की मुफ्त जांच हो रही है. बैठक में डिप्टी सीएमओ डॉ. संदीप सिंह, डॉ. निशांत निर्वाण, डॉ. सोमनाथ सिंह मौजूद रहे. साथ ही उप मुख्य चिकित्साधिकारी, सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालयों के अधिकारी मौजूद रहे. डॉ. निशांत निर्वाण ने बताया कि कोविड की संभावित लहर के मद्देनजर ऑक्सीजन सिलेंडर, प्लांट, वेंटिलेटर काम कर रहे हैं.
जिलों में हुई सबसे सैंपल की जांचः मैनपुरी में 2232, गाजियाबाद में 2132, फिरोजाबाद में 1599, लखीमपुर खीरी में 1582, एटा में 1394 और गाजियाबाद में 1262 सैंपलों की जांच की गई. जबकि गाजीपुर में 18 सैंपल की जांच की गई. इनमें से एक सैंपल की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव रही. वहीं, पीलीभीत में 958 सैंपल में से एक पॉजिटिव मिला हैं.
यहां है इलाज की सुविधाः केजीएमयू, एरा, प्रसाद, कैरियर इंस्टीट्यूट, इंटीग्रल, टीएस मिश्रा, कैसर संस्थान, बलरामपुर, लोकबंधु, राम सागर मिश्र, मलिहाबाद, चिनहट, मोहनलालगंज व गोसाईगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आदि में इलाज की सुविधा है.
वहीं, सोमवार को लकनऊ में फार्मासिस्ट संवर्ग के लिए रोजगार सृजन और अधिकारों की रक्षा के लिए फार्मासिस्टों ने अधिकार दिवस मनाया. इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री को 12 सूत्रीय मांगों वाला ज्ञापन भेजा. कार्यक्रम की शुरुआत राजधानी के वन विभाग कार्यालय से हुई. यहां पर सैंकड़ों की संख्या में जुटे फार्मासिस्टों ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव का जन्मदिन मनाया.
फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) के पदों की संकल्पना करते समय नेशनल हेल्थ पॉलिसी में फार्मेसिस्टो को भी वेलनेस सेंटर पर तैनात किए जाने की बात नीतिगत रूप से डॉक्यूमेंट में लाई गई थी. लेकिन उसे लागू नहीं किया गया. जब कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के पदों का सृजन होना शुरू हुआ (भले ही वह संविदा के आधार पर हो) उस समय केवल नर्सिंग संवर्ग के लोगों को ही सीएचओ के योग्य माना गया. बीएससी नर्सिंग के कोर्स में सीएचओ की ट्रेनिंग को सम्मिलित कर दिया गया.
सीएचओ को कुछ दवाएं वितरित करने का अधिकार दिया गया जो नैतिक रूप से फार्मासिस्टों के अधिकारों का हनन है. जिला अस्पताल और महिला अस्पताल मिलाकर मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं और वहां पर पूर्व से सृजित पद समाप्त हो रहे हैं. प्रदेश के लगभग दो हजार फार्मासिस्ट, चीफ फार्मासिस्ट, प्रभारी अधिकारी फार्मेसी के पद समाप्त हो जाएंगे तो फिर नई नियुक्तियां नहीं हो पायेंगी. उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि फार्मेसिस्ट अपने अधिकारों की जानकारी रखें.
सुनील यादव ने कहा कि दवाओं का वितरण जहां पर भी हो रहा हो, वहां पर फार्मासिस्ट जरूर होना चाहिए. इसके साथ ही उनका मानदेय तय होना चाहिए. मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के अन्दर करीब एक लाख पचास हजार रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हैं, इनका जनहित में उपयोग हो सकता है, इनका उपयोग होने से आम लोगों को सही दवा मिल सकेगी और वह गलत दवाओं के प्रयोग से बचेंगे.
इस मौके पर फार्मेसिस्ट फेडरेशन की यूथ विंग के पदाधिकारियों की घोषणा भी की गई. जिसमें संरक्षक उपेंद्र यादव, अध्यक्ष आदेश, सचिव पी एस पाठक, अजीत, संगठन मंत्री अफजल अहमद, प्रभारी संयोजन अमर यादव, उपाध्यक्ष अनूप आनंद, देश दीपक मिश्रा, राम सरन, सुजीत वर्मा शिखा मिश्रा निर्वाचित हुए. इसके अलावा मंडलीय प्रभारी भी मनोनित किए गए. सोमवार को फार्मेसिस्ट फेडरेशन की यूथ विंग की तरफ से प्रदेश के सभी फार्मासिस्ट कालेजों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सभी जनपदों में अलग-अलग कार्यक्रम किए गए. कई जनपदों में रैली, सेमिनार भी आयोजित किए गए.
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