लखनऊ: उत्तर प्रदेश निर्यात निगम में प्रबंध निदेशक पद पर कार्य करने के दौरान लाखों रुपए के दुरुपयोग किए जाने के मामले में अभियुक्त पूर्व आईएएस अधिकारी तुलसी गौड़ की डिस्चार्ज अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश रमाकांत प्रसाद ने गुरुवार को खारिज कर दिया. अभियुक्त की ओर से दी गई डिस्चार्ज अर्जी का विरोध करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता व विशेष लोक अभियोजक का तर्क था कि अभियुक्त के विरुद्ध सतर्कता अधिष्ठान के इंस्पेक्टर रमेश चंद यादव ने 21 जून 2011 को हजरतगंज थाने में पांच लाख 15 हजार 765 रुपये का दुरुपयोग किए जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
कहा गया कि शासन के 10 जुलाई 2002 के पत्र के माध्यम से आईएएस तुलसी गौड़ के विरुद्ध खुली जांच कराए जाने का आदेश उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को दिया गया था. बहस के दौरान कहा गया कि खुली जांच सम्पन्न करने के उपरांत सतर्कता अधिष्ठान ने 30 जुलाई 2009 को आरएस राठौर तत्कालीन संयुक्त निदेशक उत्तर प्रदेश लखनऊ ने इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया, जिसमें तुलसी गौड़ को दोषी पाया गया.
जांच में यह भी पाया गया की तुलसी गौड़ आईएएस प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश निर्यात निगम लखनऊ के पद पर 10 अक्टूबर 2002 से 29 अगस्त 2002 तक नियुक्त थे तथा इसी दौरान धन का दुरुपयोग किया गया. अदालत ने अभियुक्त की डिस्चार्ज अर्जी को खारिज करते हुए कहा है कि पत्रावली पर पर्याप्त साक्ष्य होने के अलावा उसके विरुद्ध शासन द्वारा विधि अनुकूल अभियोजन चलाए जाने की अनुमति प्राप्त की गई है तथा अभियुक्त का अपराधिक इतिहास होना भी कहा गया.
अदालत ने कहा है कि पत्रावली पर मौजूद साक्ष्य एवं गवाहों के बयान के आधार पर विरुद्ध पर्याप्त आधारों पर आरोप पत्र दाखिल किया गया है. कोर्ट ने उसके विरुद्ध आरोप तय किए जाने के लिए 30 सितम्बर की तिथि नियत की है.