लखनऊ: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह को मानहानि के मामले में लखनऊ की अदालत ने शुक्रवार को नोटिस जारी किया है. नोटिस में संजय सिंह को लगाए गए आरोपों का साक्ष्य देने के लिए कहा गया है. यह मामला उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह से जुड़ा हुआ है.
बता दें कि पिछले दिनों संजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता करके जल शक्ति मंत्रालय में करोड़ों रुपये के घोटाला होने की बात कही थी. जिसके बाद जलशक्ति मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह ने संजय सिंह के खिलाफ मानहानि का दावा सिविल कोर्ट में किया था. इस दावे के बाद शुक्रवार को अदालत ने संजय सिंह को नोटिस जारी किया है.
जल शक्ति मंत्री के अधिवक्ता प्रशान्त सिंह अटल ने बताया कि सुनवाई के बाद न्यायालय सिविल जज लखनऊ ने आप सांसद को मानहानि का नोटिस जारी किया है. इसमें उनको तय समय के भीतर अपने लगाए गए आरोपों को सिद्ध करना होगा, वरना अदालत इस मामले में आगे की कार्यवाही करेगी. प्रशांत सिंह अटल ने बताया कि उनके दावे को अदालत ने स्वीकार किया है, इसीलिए संजय सिंह को यह नोटिस भेजी गई है.
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रामक है और समय-समय पर संजय सिंह प्रेस वार्ता करके विभिन्न मुद्दों पर भ्रष्टाचार होने का दावा करते हैं. इससे पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों के बुरे हाल पर एक अभियान चला दिया था. जिसके बाद संजय सिंह ने जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह के खिलाफ टिप्पणी की थी.
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बता दें कि 18 अगस्त को संजय सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि जल निगम के पंजीकृत ठेकेदार, जो काम 30% कम दरों पर काम कर रहे थे, वही काम जल जीवन मिशन में जिन कंपनियों को काम दिया गया, वह आधे प्रतिशत से भी कम दरों पर काम कर रही हैं. जिन कंपनियों को काम दिए गए, उनमें उत्तर प्रदेश का एक भी ठेकेदार शामिल नहीं है. यूपी के ठेकेदार काम ना कर सकें, इसके लिए नियम और शर्तें बदली गईं और उनका पंजीकरण नवीनीकृत नहीं किया गया.
उन्होंने एक-एक कर जल निगम में पंजीकृत ठेकेदारों के काम गिनाए और बताया कि वह कितनी कम दरों पर काम कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने उन कंपनियों का भी ब्यौरा दिया जो आधे प्रतिशत से भी कम दर पर काम कर रही हैं. इन कार्यों में करोड़ों का घोटाला किया गया.संजय सिंह ने कहा था कि मैं जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह से पूछना चाहता हूं कि सरकार के दो विभागों में एक ही काम के रेट में जमीन-आसमान का फर्क क्यों है. ये घोटाला नहीं तो और क्या है.