लखनऊ : पार्किंग के नाम पर मनमानी वसूली के मामलों पर हाईकोर्ट ने सख्त संज्ञान लिया है. सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एलडीए से पूछा है कि क्या बड़े काॅमर्शियल बिल्डिंग्स जैसे मल्टीप्लेक्स, सिनेमा हॉल, थियेटर, ऑडिटोरियम और शॉपिंग मॉल इत्यादि में पार्किंग की सुविधा है और क्या वहां सामान्य जनता को पार्किंग की सुविधा के लिए शुल्क देना पड़ता है. न्यायालय ने अगली सुनवाई तक एलडीए को यह भी बताने को कहा है कि किस प्रावधान के तहत इन बिल्डिंग्स के निजी मालिक पार्किंग चार्ज वसूलते हैं. मामले की अगली सुनवाई 25 मई को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवंदर कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने राजीव अग्रवाल की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया है. वर्ष 2020 में दाखिल उक्त याचिका पर बहस करते हुए याची के अधिवक्ता अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने न्यायालय को बताया कि विभूतिखंड में प्लॉट नं0 टीसी/जी- 11 पर स्थित मॉल के सामने की 30 मीटर चौड़ी सड़क पर नगर निगम द्वारा आवंटित पार्किंग चलाकर सड़क पर अतिक्रमण किया गया है.
याचिका पर जवाब देते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि 25 अगस्त 2021 को एक शासानदेश के जरिए सभी अवैध पार्किंग को बंद करने का आदेश दिया जा चुका है. उक्त आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन पार्किंग एरिया में शेड और टॉयलेट जैसी सुविधाएं नहीं हैं, उन्हें भी बंद किया जाए. इस पर न्यायालय ने नगर निगम को शहरी इलाके में चल रहे ऐसे अवैध पार्किंग का सर्वे कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा कि उक्त सर्वे पांच सप्ताह में पूरा कर लिया जाए. इसके साथ ही न्यायालय ने एलडीए को भी उपरोक्त आदेश पारित किया है.