लखनऊ : आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों को प्रलोभन और धोखा देकर हज़ारों गैर मुस्लिमों का अवैध धर्मांतरण कराने के मामले (cases of illegal conversion) में एटीएस द्वारा आरोपी बनाए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी, मोहम्मद उमर गौतम, मोहम्मद इदरिश क़ुरैशी, सरफ़राज़ अली ज़ाफ़री, मोहम्मद सलीम, आसिफ उर्फ कुणाल अशोक चौधरी, सलाहुद्दीन, अब्दुल्ला उमर समेत पंद्रह अभियुक्तों पर एनआईए-एटीएस के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को आरोप तय कर दिया है. कोर्ट ने मामले में गवाही के लिए 3 जनवरी 2023 की तारीख़ तय की है.
सभी पंद्रह आरोपियों को जेल से लाकर कोर्ट में पेश किया गया, जहां पर कोर्ट ने आरोपियों को आरोप पढ़कर सुनाए जिसे आरोपियों ने इनकार किया और मुक़दमे के विचारण की मांग की. कोर्ट को सरकारी वकील एमके सिंह ने बताया कि आरोपियों पर आरोप है कि उनके द्वारा आपराधिक साजिश के तहत देशव्यापी अवैध धर्मांतरण कराने का गिरोह संचालित किया जा रहा था, इस गिरोह के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर, दिव्यांगजन व औरतों को बहला-फुसलाकर, डराकर, बलपूर्वक और नाजायज दबाव डाल कर धर्मांतरण किया जा रहा था. कहा गया कि धर्मांतरित व्यक्ति वापस मूल धर्म में वापस न जाए और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो इसके लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण दिया जाता था जिसके चलते विभिन्न धर्मों के बीच आपसी वैमनस्यता और कटुता बढे़. अदालत में आरोपियों पर आरोप तय करते हुए कहा गया कि सरगना ने अपने गिरोह के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाया और जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने के लिए भारी संख्या में लोगों को लालच देकर उनके मूल धर्म के लिए भरम, घृणा, भय पैदा करके धर्म परिवर्तन किया है. कहा गया कि आरोपियों ने धर्म परिवर्तित लोगों को भ्रमित करके मूल धर्म के लिए विद्वेष पैदा किया. भाईचारे को बिगाड़ा जिससे देश की अखंडता और एकता को बढ़ाने वाली बंधुता पर असर पड़ा है.