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अस्पताल व डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश, ये है मामला - अम्बेडकर नगर के सुनील मिश्र

न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश लखनऊ (Court District and Sessions Judge Lucknow ) ने एक अस्पताल व डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. आरोप है कि शव को कोरोना पॉजिटिव कराने की धमकी दी गई थी.

न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश लखनऊ
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Published : Jul 28, 2021, 11:02 PM IST

लखनऊ: एसीजेएम अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने मरीज की मौत के बाद जबरिया लाखों की रकम जमा करने व न देने पर शव को कोरोना पॉजिटिव कराने की धमकी देने के एक मामले में एडवांस न्यूरो एण्ड जनरल हॉस्पिटल के मालिक डॉ. विनोद तिवारी समेत डॉ. सीमा तिवारी व मैनेजर शशिकांत के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश थानाध्यक्ष सुशांत गोल्फ सिटी को दिया है. कोर्ट ने एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत में पेश करने का आदेश देते हुए विवेचना के परिणाम से अदालत को भी अवगत कराने का निर्देश भी दिया है.


कोर्ट ने यह आदेश अम्बेडकर नगर के सुनील मिश्र के प्रार्थना पत्र पर दिया. वादे एके अधिवक्ता वकील प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी कि 22 मई 2021 को वादी की पत्नी शैला मिश्रा की तबीयत खराब हुई. उन्होंने एडवांस न्यूरो हॉस्पिटल के मालिक डॉ. विनोद तिवारी से बात की. डॉ. विनोद तिवारी ने कहा कि उनके अस्पताल में ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, कार्डियोलॉजिस्ट, चेस्ट स्पेशलिस्ट, सर्जन व फीजिशयन सहित सभी प्रकार के डॉक्टर 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं.

आरोप है कि सुनील जब अपनी पत्नी के साथ हॉस्पिटल पहुंचे, तो भर्ती में विलंब किया जाने लगा और अभियुक्तों ने कहा कि पहले 10 लाख रुपये जमा कराओ, तभी भर्ती करेंगे. वादी ने असमर्थता जताई तो कहा गया कि भर्ती करने से पहले कोरोना जांच के लिए कोविड केयर सेंटर भेजा जाएगा, जहां से रिपोर्ट आने में तीन-चार दिन लगेंगे और इतने दिन में मरीज की जान चली जाएगी. यह सुनकर वादी ने इंतजाम कर पांच लाख रुपये जमा कराए, तब उसकी पत्नी को भर्ती किया गया, लेकिन शेष पैसे जमा करने को कहा गया वर्ना इलाज बंद करने की धमकी दी गई. बहुत मिन्नतें करने पर शाम सात बजे एक वार्ड ब्वाय द्वारा उनकी पत्नी को इंजेक्शन दिया गया, जिसके बाद पत्नी की तबीयत और खराब हो गई.

वादी ने इस पर इलाज कहीं और कराने के लिए अपनी पत्नी को डिस्चार्ज करने को कहा. इस पर पूरा स्टाफ भड़क गया. कहा कि अब मरीज का शव तभी मिलेगा, जब पूरे पैसे जमा होंगे. वादी को शक हुआ कि कहीं उसकी पत्नी की मौत तो नहीं हो गई है. उसने जाकर देखा, तो उसकी पत्नी की सांस नहीं चल रही थी. सुनील रोने-चिल्लाने लगा. स्टाफ ने बताया कि यह तो पहले ही मर चुकी थी, इसलिए डोक्टर नहीं आ रहे थे.

रात करीब 12 बजे डॉ. विनोद व उनकी पत्नी डॉ. सीमा आए. स्टाफ से कहा कि यदि पैसा जमा हो गया हो, तो लाश दे दो. कहा गया कि स्टाफ ने पैसे के लिए मारपीट शुरू कर दी. धमकी दी गई कि तुम्हारी पत्नी के शव को कोरोना पॉजिटिव करा देंगे और उसके बाद उसका पोस्टमार्टम कराएंगे. बिना कोरोना जांच किए भर्ती करने पर ऊपर तक पैसा देना पड़ता है. हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप पर शव दे दिया गया.
पढ़ें- लखनऊ नगर निगम में हाउस टैक्स घोटाला, करोड़ों की हेराफेरी

लखनऊ: एसीजेएम अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने मरीज की मौत के बाद जबरिया लाखों की रकम जमा करने व न देने पर शव को कोरोना पॉजिटिव कराने की धमकी देने के एक मामले में एडवांस न्यूरो एण्ड जनरल हॉस्पिटल के मालिक डॉ. विनोद तिवारी समेत डॉ. सीमा तिवारी व मैनेजर शशिकांत के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश थानाध्यक्ष सुशांत गोल्फ सिटी को दिया है. कोर्ट ने एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत में पेश करने का आदेश देते हुए विवेचना के परिणाम से अदालत को भी अवगत कराने का निर्देश भी दिया है.


कोर्ट ने यह आदेश अम्बेडकर नगर के सुनील मिश्र के प्रार्थना पत्र पर दिया. वादे एके अधिवक्ता वकील प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी कि 22 मई 2021 को वादी की पत्नी शैला मिश्रा की तबीयत खराब हुई. उन्होंने एडवांस न्यूरो हॉस्पिटल के मालिक डॉ. विनोद तिवारी से बात की. डॉ. विनोद तिवारी ने कहा कि उनके अस्पताल में ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, कार्डियोलॉजिस्ट, चेस्ट स्पेशलिस्ट, सर्जन व फीजिशयन सहित सभी प्रकार के डॉक्टर 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं.

आरोप है कि सुनील जब अपनी पत्नी के साथ हॉस्पिटल पहुंचे, तो भर्ती में विलंब किया जाने लगा और अभियुक्तों ने कहा कि पहले 10 लाख रुपये जमा कराओ, तभी भर्ती करेंगे. वादी ने असमर्थता जताई तो कहा गया कि भर्ती करने से पहले कोरोना जांच के लिए कोविड केयर सेंटर भेजा जाएगा, जहां से रिपोर्ट आने में तीन-चार दिन लगेंगे और इतने दिन में मरीज की जान चली जाएगी. यह सुनकर वादी ने इंतजाम कर पांच लाख रुपये जमा कराए, तब उसकी पत्नी को भर्ती किया गया, लेकिन शेष पैसे जमा करने को कहा गया वर्ना इलाज बंद करने की धमकी दी गई. बहुत मिन्नतें करने पर शाम सात बजे एक वार्ड ब्वाय द्वारा उनकी पत्नी को इंजेक्शन दिया गया, जिसके बाद पत्नी की तबीयत और खराब हो गई.

वादी ने इस पर इलाज कहीं और कराने के लिए अपनी पत्नी को डिस्चार्ज करने को कहा. इस पर पूरा स्टाफ भड़क गया. कहा कि अब मरीज का शव तभी मिलेगा, जब पूरे पैसे जमा होंगे. वादी को शक हुआ कि कहीं उसकी पत्नी की मौत तो नहीं हो गई है. उसने जाकर देखा, तो उसकी पत्नी की सांस नहीं चल रही थी. सुनील रोने-चिल्लाने लगा. स्टाफ ने बताया कि यह तो पहले ही मर चुकी थी, इसलिए डोक्टर नहीं आ रहे थे.

रात करीब 12 बजे डॉ. विनोद व उनकी पत्नी डॉ. सीमा आए. स्टाफ से कहा कि यदि पैसा जमा हो गया हो, तो लाश दे दो. कहा गया कि स्टाफ ने पैसे के लिए मारपीट शुरू कर दी. धमकी दी गई कि तुम्हारी पत्नी के शव को कोरोना पॉजिटिव करा देंगे और उसके बाद उसका पोस्टमार्टम कराएंगे. बिना कोरोना जांच किए भर्ती करने पर ऊपर तक पैसा देना पड़ता है. हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप पर शव दे दिया गया.
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