लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के निकट आते ही सभी राजनितिक दल जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं. इस चुनावी समर में राजनितिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम सीमा पर है. इसी क्रम में रविवार को यूपी कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के संयोजक व प्रवक्ता अशोक सिंह ने बयान जारी कर बीजेपी पर निशाना साधा है.
कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा, कि बीजेपी की यूपी सरकार बहन-बेटियों के साथ हो रहे अपराध को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है. बीजेपी आरोपियों को संरक्षण देने का काम कर रही है, वहीं पीड़ित महिलाओं को कलंकित किया जा रहा है. बीजेपी की अपराधियों को संरक्षण देन की नीति से अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं. यूपी में बहन-बेटियों के साथ नाबालिग मासूम बच्चियों तक के साथ अत्याचार और हैवानियत हो रही है. उन्होंने कहा, कि विगत दिनों आजमगढ़ में थाने के सामने पीड़िता द्वारा आत्मदाह का प्रयास, नोएडा में 3 नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना और प्रयागराज, महोबा, गोरखपुर, एटा, बागपत, बुलंदशहर में महिलाओं और बच्चियों के साथ हुई हैवानियत की घटनाएं सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करतीं हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा, कि बीजेपी की सरकार का बेटी बचाओ का नारा झूठा साबित हुआ है. सच्चाई यह है, कि यूपी में योगी के शासन काल में बेटियों के ऊपर कहर की बरसात हो रही है. हत्या व बलात्कार से उत्तर प्रदेश दहल रहा है, पिछले साढ़े चार वर्षों के बीजेपी शासन में 20,881 हत्या व 18,860 दुष्कर्म व सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएं हुईं हैं.
योगी शासन बोल रहा है, कि यहां अपराधी नहीं हैं. शर्म की बात यह है, कि बेटियों के लिए उत्तर प्रदेश योगी शासन में नर्क का रूप ले चुका है. अपराधियां के हाथ बढ़ते जा रहे हैं इसका एक और उदाहरण है कि भाजपा नेता की बहन के साथ भी छेड़छाड़ हो जाती है. पुलिस अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने से बचती है.
उन्होंने कहा, कि सामूहिक दुष्कर्म के साथ हत्या की घटनाएं और छेड़छाड़ से त्रस्त उत्तर प्रदेश में कानून का राज गड्ढे में दफन नजर आता है. किसी बड़ी घटना में कार्रवाई तब ही होती है, जब कांग्रेस सड़कों पर उतरती है और न्याय की मांग करती है. पिछले 15 दिनों में बेटियों के साथ अपराध की बाढ़ आयी हुई है. बेटियों को अपने विद्यालय या कार्यस्थल तक जाना मुश्किल हो चुका है. पुलिस से शिकायत करने पर शिकायतकर्ता व उसके परिजनों के साथ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की जाती है. इतना ही नहीं पुलिस घटना को दबाने या सुलह कराने का जबरन दबाव बनाती है.
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