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यूपी विधानसभा चुनाव में डूबी कांग्रेस की नैया, ये रही वजह.. - उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव

उत्तर प्रदेश का किला फतह करने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भले ही लाख जोर लगाया हो, लेकिन नतीजे कांग्रेस पार्टी के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं आए हैं.

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चुनाव में डूबी कांग्रेस की नैया
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Published : Mar 10, 2022, 6:01 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश का किला फतह करने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Congress National General Secretary Priyanka Gandhi) ने भले ही लाख जोर लगाया हो, लेकिन नतीजे कांग्रेस पार्टी के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं आए हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की इस हार के कई मायने रहे हैं. इनमें बड़े नेताओं का चुनाव से पहले पार्टी छोड़ जाना, लगातार संगठन के नेताओं का निष्क्रिय होना, 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देना और बार-बार कई सीट पर उम्मीदवार बदलना शामिल है.

कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में खोई हुई जमीन हासिल करने की पुरजोर कोशिशों में लगी हुई है. राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने तमाम तरह के अभियान चलाए. लेकिन कोई भी अभियान कांग्रेस पार्टी के काम नहीं आए. फिर चाहे कांग्रेस के प्रशिक्षण कैंप रहे हों, या फिर सदस्यता अभियान रहा हो. लड़की हूं, लड़ सकती हूं अभियान रहा हो ये सारे अभियान कांग्रेस के लिए जीत का अभियान नहीं बन पाये. इसके अलावा भी कांग्रेस पार्टी की हार के कई वजह रहे हैं. इनमें सबसे बड़ी वजह कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओं का पार्टी से हाथ छोड़ना रहा है.

चुनाव में डूबी कांग्रेस की नैया

कई नेताओं ने कांग्रेस पार्टी से दूरी बना ली और यही वजह रही कि इधर प्रियंका गांधी पार्टी के लिए मेहनत करती रहीं, उधर संगठन बिखरता ही चला गया. कई बड़े नेताओं ने प्रियंका गांधी पर ही अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी. इसी वजह से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की जमीन खिसकती चली गई. इसके अलावा 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देना भी कांग्रेस पार्टी पर काफी भारी पड़ा है. पार्टी की तमाम महिला प्रत्याशी जीत की दहलीज पर तो पहुंचना दूर अपनी जमानत बचाने के लिए भी तरस गईं. महिला उम्मीदवार के रूप में सिर्फ कांग्रेस की नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा "मोना" ही चुनाव जीत पाईं.

कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से तमाम पुराने नेता भी नाराज होकर पार्टी का साथ देने के बजाय घरों में बैठ गए. ये भी कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह रही है. इसके अलावा सदस्यता अभियान और प्रतिज्ञा यात्राओं में पार्टी नेताओं का दिलचस्पी न दिखाना भी एक कारण जरूर है. इतना ही नहीं पार्टी की तरफ से लगातार प्रत्याशियों के टिकट बदले जाना भी कांग्रेस की हार का एक अहम कारण बना है.

दरअसल, कांग्रेस की हार में एक बहुत बड़ी वजह पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को भी माना जाएगा. पार्टी के जितने भी नेता कांग्रेस का हाथ छोड़ कर गए, वो यही आरोप लगाकर गए कि निजी सचिव प्रियंका गांधी से मिलने ही नहीं देते. तमाम कार्यकर्ताओं की यह शिकायत लगातार सामने आ रही है. इसी वजह से कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी के साथ ही प्रियंका गांधी से भी रूठने लगे हैं. लिहाजा, कार्यकर्ताओं ने चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए पसीना ही नहीं बहाया.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर शहर सीट पर योगी आदित्यनाथ ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर रचा इतिहास

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह भी स्वीकार करते हैं कि प्रदेश की जनता ने असल मुद्दों पर विश्वास करने के बजाय भारतीय जनता पार्टी के बहकावे में विश्वास कर लिया. यही वजह रही कि कांग्रेस पार्टी की हार हो गई. हालांकि जनता का विश्वास अभी हमारी पार्टी पर बरकरार है और हमारा भी विश्वास जनता पर उसी तरह बरकरार है. हमें पूरी उम्मीद है कि यह नतीजा भले हमारे पक्ष में न आया हो, लेकिन 2024 में जनता कांग्रेस पार्टी का साथ जरूर देगी. हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश का किला फतह करने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Congress National General Secretary Priyanka Gandhi) ने भले ही लाख जोर लगाया हो, लेकिन नतीजे कांग्रेस पार्टी के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं आए हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की इस हार के कई मायने रहे हैं. इनमें बड़े नेताओं का चुनाव से पहले पार्टी छोड़ जाना, लगातार संगठन के नेताओं का निष्क्रिय होना, 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देना और बार-बार कई सीट पर उम्मीदवार बदलना शामिल है.

कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में खोई हुई जमीन हासिल करने की पुरजोर कोशिशों में लगी हुई है. राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने तमाम तरह के अभियान चलाए. लेकिन कोई भी अभियान कांग्रेस पार्टी के काम नहीं आए. फिर चाहे कांग्रेस के प्रशिक्षण कैंप रहे हों, या फिर सदस्यता अभियान रहा हो. लड़की हूं, लड़ सकती हूं अभियान रहा हो ये सारे अभियान कांग्रेस के लिए जीत का अभियान नहीं बन पाये. इसके अलावा भी कांग्रेस पार्टी की हार के कई वजह रहे हैं. इनमें सबसे बड़ी वजह कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओं का पार्टी से हाथ छोड़ना रहा है.

चुनाव में डूबी कांग्रेस की नैया

कई नेताओं ने कांग्रेस पार्टी से दूरी बना ली और यही वजह रही कि इधर प्रियंका गांधी पार्टी के लिए मेहनत करती रहीं, उधर संगठन बिखरता ही चला गया. कई बड़े नेताओं ने प्रियंका गांधी पर ही अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी. इसी वजह से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की जमीन खिसकती चली गई. इसके अलावा 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देना भी कांग्रेस पार्टी पर काफी भारी पड़ा है. पार्टी की तमाम महिला प्रत्याशी जीत की दहलीज पर तो पहुंचना दूर अपनी जमानत बचाने के लिए भी तरस गईं. महिला उम्मीदवार के रूप में सिर्फ कांग्रेस की नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा "मोना" ही चुनाव जीत पाईं.

कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से तमाम पुराने नेता भी नाराज होकर पार्टी का साथ देने के बजाय घरों में बैठ गए. ये भी कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह रही है. इसके अलावा सदस्यता अभियान और प्रतिज्ञा यात्राओं में पार्टी नेताओं का दिलचस्पी न दिखाना भी एक कारण जरूर है. इतना ही नहीं पार्टी की तरफ से लगातार प्रत्याशियों के टिकट बदले जाना भी कांग्रेस की हार का एक अहम कारण बना है.

दरअसल, कांग्रेस की हार में एक बहुत बड़ी वजह पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को भी माना जाएगा. पार्टी के जितने भी नेता कांग्रेस का हाथ छोड़ कर गए, वो यही आरोप लगाकर गए कि निजी सचिव प्रियंका गांधी से मिलने ही नहीं देते. तमाम कार्यकर्ताओं की यह शिकायत लगातार सामने आ रही है. इसी वजह से कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी के साथ ही प्रियंका गांधी से भी रूठने लगे हैं. लिहाजा, कार्यकर्ताओं ने चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए पसीना ही नहीं बहाया.

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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह भी स्वीकार करते हैं कि प्रदेश की जनता ने असल मुद्दों पर विश्वास करने के बजाय भारतीय जनता पार्टी के बहकावे में विश्वास कर लिया. यही वजह रही कि कांग्रेस पार्टी की हार हो गई. हालांकि जनता का विश्वास अभी हमारी पार्टी पर बरकरार है और हमारा भी विश्वास जनता पर उसी तरह बरकरार है. हमें पूरी उम्मीद है कि यह नतीजा भले हमारे पक्ष में न आया हो, लेकिन 2024 में जनता कांग्रेस पार्टी का साथ जरूर देगी. हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी.

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